चीन के 15 प्रतिशत रेस्तरांओं में इस्तेमाल होता है गटर से निकाला गया तेल

punjabkesari.in Friday, Apr 29, 2022 - 04:05 PM (IST)

चीन में विविध प्रकार के व्यंजन बनते हैं, खाने पीने में हर प्रांत की अपनी विशेषता और अपना व्यंजन है जिसे चीनी लोग बड़े चाव के साथ खाते हैं। एक तरफ उत्तरी और सुदूर उत्तरी चीन के व्यंजन हैं जिनमें तेल, मसाले कम डाले जाते हैं और वह खाना उबला हुआ होता है, तो वहीं दक्षिणी और तटीय चीन के व्यंजनों में मसाले भी बहुत पड़ते हैं, और तेल भी बहुत मात्रा में डाला जाता है। चीनी व्यंजनों में तले-भुने खाने का अपना महत्व है। पिछले 3 दशकों में चीन ने जैसे-जैसे आर्थिक तरक्की की, चीनियों के व्यंजनों में तेल की मात्रा भी बढ़ी।पूर्वोत्तर चीन के चीलिन, हेइलोंगचियांग और लियाओनिंग प्रांत में सोयाबीन का तेल बहुतायत में खाया जाता है, सुदूर दक्षिण के क्वांगतुंग, फूइचांग और क्वांगशी च्यांग स्वायत्त प्रांत में मूंगफली का तेल खाया जाता है और बाकी चीन के च्यांगसू, चच्यांग, आनहुई, च्यांगशी, हूनान, सङ्घान, कुईचो, युनान, शानसी, कानसू, छिंगहाई और शिनच्यांग प्रांतों में कोनोला तेल खाया जाता है।

इन तेलों में राइस बार्न तेल, सूरजमुखी के बीज का तेल भी प्रमुखता से इस्तेमाल किया जाता है। चीन में तेल की मांग बढ़ने के साथ-साथ हर तरह का तेल बाजार में उपलब्ध है। इस समय चीन में 44 प्रतिशत लोग सोयाबीन का तेल खाते हैं, 24 प्रतिशत कोनोला तेल, 18 प्रतिशत पाम तेल और 9 प्रतिशत लोग मूंगफली का तेल खाते हैं। इनके अलावा बचे 5 प्रतिशत लोग कपास के बीज का तेल, सूरजमुखी का तेल, तिल का तेल, कैमेलिया का तेल और जैतून का तेल इस्तेमाल करते हैं। समय है। चीन शेषता और के साथ इन तेलों का इस्तेमाल करने वाले लोगों जानवरों की संख्या में बदलाव आने लगा।

चीन में 3 दशक पहले हालात ऐसे नहीं थे, ग्रामीण जाते हैं और लोग या तो सूअर की चर्बी पिघला कर तेल के रूप यानी ची दक्षिणी और में इस्तेमाल करते थे या कोनोला के बीजों को अपरिष्कृत खा रहा बहुत पड़ते हैं तरीके से कूट कर निकाला गया तेल इस्तेमाल करते गटर वाल ता है। चीनी थे। लेकिन पिछले तीन दशकों में चीन में तेल की तेल महत्व है। नार्थिक तरक्की त्रा भी बढ़ी। चियांग और न बहुतायत में तुंग, फूडचांग मूंगफली का = के च्यांगसू, छान, कुईचो, और शिनच्यांग । इन तेलों में का तेल भी 1 साथ-साथ हर इस समय चीन ल खाते हैं, 24 तेल, कैमेलिया मांग जिस तेजी से बढ़ी है, उस तेजी से उत्पादन नहीं बढ़ा, जिस कारण बड़ी संख्या में लोग रेस्तरां के गटर से तेल निकाल कर उसे अनगढ़ तरीके से परिष्कृत कर दोबारा इस्तेमाल करते हैं।

चीन में कुछ लोग इस धंधे से मालामाल तक हो गए। ये लोग न सिर्फ रेस्तरां के पास के गटर से तेल इकट्ठा करते हैं, बल्कि शहर के हर उस इलाके के गटर से तेल इकट्ठा करते हैं। जिन इलाकों में ढेर सारे रेस्तरां मौजूद हैं। ये लोग अपनी कच्ची फैक्टरियों में ले जाकर उस गंदे तेल को गर्म करते हैं, कई बार इसे कुछ दूसरे तरीकों से साफ करते हैं और डिब्बों में भर कर छोटे रेस्तरांओं, का तेल लगातार खाने से लिवर, किडनी, आमाशय नाम के एक वेईबो अका पुरानी दही, ठेले पर सामान बेचने वालों को बेच देते हैं। इस तरह तो आपकी इससे ज्यादा को बहुत क दिन आपके और आंतों का कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।

वुहान के फूड साइंस एंड इंजीनियरिंग एंड इसके कुछ खाते हैं। इनके टैक्नोलॉजी इंस्टीच्यूट के एक वैज्ञानिक के अनुसार इकोनॉमिक न्स के बीज का हर वर्ष चीन में गटर से निकाला हुआ 20-30 लाख ने अपने सीन टन तेल दोबारा रेस्तरां में खाने की टेबल पर पहुंचता है। चीन में पिछले कुछ वर्षों से वनस्पति और जानवरों की चर्बी से बने तेल की खपत करीब 2 करोड़ 25 लाख टन है। चीन में करीब 15 प्रतिशत ग्रामीण रेस्तरां गटर से निकाले गए तेल में खाना बनाते हैं। यानी चीन में अगर कोई व्यक्ति 10 बार बाहर खाना खा रहा है तो उसे कम से कम एक बार खाने में गटर वाला तेल खाने को मिलेगा।

तेल की तेल को रेस्तरां की रसोई वाले गटर से निकाला जाता है, जिसमें भारी मात्रा में सीसा और दूसरी धातुओं के अंश, पैस्टीसाइड्स और पैथोजेन वाले बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जिन्हें चीन के छोटे और अवैध तेल शोधक कारखाने। निकाल नहीं पाते और अंततः ये खाने वाले के पेट में चले जाते हैं। चीन में गटर तेल के बारे में लोगों को जानकारी देना बहुत खतरनाक काम है, इसमें लोगों की जान भी चली जाती है। वर्ष 2012 के 9 अप्रैल को त्सो फू नाम के एक मशहूर टी.वी. न्यूज एंकर ने अपने सीना बेईबो अकाउंट पर एक संदेश में लिखा- आप लोग  पुरानी दही, जैली न खाया करें, खासकर बच्चे, नहीं हैं।

इस तरह तो आपकी सेहत पर इसका गंभीर असर होगा, मैं आमाशय इससे ज्यादा और कुछ नहीं लिख सकता। इस संदेश को बहुत कम समय में 1.30 लाख लोगों ने देखा। इसके कुछ ही समय बाद त्सू बनछ्यांग नाम के इकोनॉमिकऑब्जर्वर अकबार के एक खोजी पत्रकार ने अफनी सीना बेईबो अकाउंड पर लिखा कि एक दिन आपके द्धारा फैंके गए चमड़े की जूते पलक झपकते ही आपके पेट में चले जाएंगे। लेकिन ऐसी रीब 2 पोस्ट लिखने के कुछ ही समय बाद इन्होंने अपनी पोस्ट को डिलीट कर दिया। त्सो फू को उस राष्ट्रीय ते हैं। टी.वी. न्यूज चैनल से हटा दिया गया, जिसमें वह खाना काम करता था।

चार महीने बाद वह एक दूसरे खाने में टी.वी. चैनल पर दिखाई देने लगा, लेकिन 3 वर्ष बाद उसे वहां से भी इस्तीफा देना पड़ा। वर्ष 2010 में चीन की राष्ट्रीय परिषद ने एक धातुओं आदेश जारी कर इस्तेमाल किए गए तेल और रेस्तरां की रसोईघर से निकले कूड़े के प्रबंधन के चीन के लिए कानून बनाए, लेकिन ये कानून सिर्फ कागजों कारखाने तक ही सिमट कर रह गए। इस आदेश के लागू ये खाने होने के एक दशक बाद भी चीन में तेल की समस्या जस की तस है। आज भी वहां पर धड़ले में लोगों से रेस्तरांओं में गटर वाला तेल इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसे रोकने में चीन की सरकार पूरी तरह ली जाती असमर्थ दिखाई देती है।


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