कौन बनेगा मुख्यमंत्री, अब इस पर होंगी निगाहें
punjabkesari.in Tuesday, Dec 05, 2023 - 05:17 AM (IST)

5 राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणामों के बाद इन राज्यों के मुख्यमंत्री कौन होंगे इसे लेकर अटकलें जारी हैं। एग्जिट पोल ने कांटे की टक्कर की भविष्यवाणी की थी जिसमें कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए 2-2 का बराबरी का परिणाम था। राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कड़ी टक्कर के बावजूद कांग्रेस केवल तेलगांना ही जीत सकी। हालांकि भाजपा ने उत्तर में खुद को मजबूत कर लिया है जबकि दक्षिण में उसे अभी और पैर जमाना बाकी है। भाजपा की सफल चुनावी रणनीति ने उसके समर्थकों को एकजुट और आंतरिक संघर्षों को कम किया। सांसदों को उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारने से पार्टी को आंतरिक तोड़-फोड़ कम करने में मदद मिली। अपने मजबूत स्थानीय नेतृत्व के कारण कांग्रेस को तेलंगाना में बढ़त मिली। पार्टी को कई नेताओं के दल बदलने से भी बहुत फायदा हुआ जो इसे एक व्यवहार्य दावेदार के रूप में देखने लगे। खासकर कर्नाटक में इसकी सफलता के बाद? एक बार यह स्पष्ट हो गया कि यह सत्तारूढ़ बी.आर.एस. के लिए एक गंभीर चुनौती है, तो मतदाता कांग्रेस की ओर स्थानांतरित हो गए।
भाजपा और कांग्रेस ने चुनाव से पूर्व मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की। दोनों पार्टियों को यह तय करना होगा कि स्थापित नेताओं को जारी रखना है या नए नेतृत्व की तलाश करनी है। कांग्रेस को तय करना होगा कि रेवंत रैड्डी को नियुक्त किया जाए या किसी नए चेहरे को। पार्टी के पास कई संभावित उम्मीदवार हैं। इसलिए मुख्य सवाल यह है कि नए नियमों को कैसे लागू किया जाए। भाजपा वसुंधरा राजे, शिवराज सिंह चौहान और रमन सिंह जैसे पुराने नेताओं को चरणबद्ध तरीके से बाहर करने के पक्ष में है जो अपनी पारी खेल चुके हैं। नई उम्मीदवारों का चयन करते समय एक अन्य महत्वपूर्ण कारक उनकी जाति है। जातियों का विविध मिश्रण आवश्यक है इसे राजपूतों या अगड़ी जातियों तक सीमित नहीं रखना चाहिए। साथ ही उनके प्रदर्शन को भी ध्यान में रखा जाए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2024 के लोकसभा चुनावों में राज्यों से एक उपयुक्त उम्मीदवार चाहते हैं। हैट्रिक लगाने के लिए यह उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। उदाहरण के तौर पर मध्यप्रदेश पर नजर डालते हैं सबसे लम्बे समय तक सेवा करने वाले मुख्यमंत्रियों में से एक शिवराज सिंह चौहान पद पर बने रहने के लिए तैयार हैं। एक कार्यक्रम के दौरान चौहान ने जनता से उनकी राय भी मांगी थी कि क्या उन्हें निर्वाचित होने पर फिर से मुख्यमंत्री पद के लिए खड़ा होना चाहिए? मध्य प्रदेश में शीर्ष पद के लिए कई संभावित उम्मीदवार हैं। इनमें 3 केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, फग्गन सिंह कुलस्ते और प्रह्लाद पटेल शामिल हैं जो कई विकल्प प्रदान करते हैं। कमलनाथ सरकार को गिराने में मदद करने वाले पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और ज्योतिरादित्य सिंधिया भी संभावित उम्मीदवारों की सूची में हैं। राजस्थान में प्रमुख उम्मीदवार पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे होंगी। वहीं केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल और महंत बालक नाथ भी दौड़ में हैं। राज्यवद्र्धन राठौर राजपूत हैं और कई बार कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।
छत्तीसगढ़ में भी पूर्व मंत्री रमन सिंह सबसे आगे हैं। वर्ष 2018 तक 15 वर्षों तक छत्तीसगढ़ पर शासन करने वाले डा. रमन सिंह राज्य में पार्टी का सबसे जाना-पहचाना चेहरा हैं। पिछले 5 वर्षों में उन्हें दरकिनार कर दिया गया है। विष्णु देव साव भी सी.एम. के दावेदार हैं। उनकी छवि काफी साफ-सुथरी है। वह आर.एस.एस. परिवार से आते हैं। केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह एक और विकल्प है। कांग्रेस को अपनी ओर से तेलगांना में पार्टी को एकजुट रखने के लिए एक नेता चुनना होगा। बी.आर.एस. के नेता के. चंद्रशेखर राव अन्य दलों के सदस्यों को लुभाने की अपनी प्रतिभा के लिए जाने जाते हैं। ऐतिहासिक रूप से कांग्रेस ने अपने झुंड की रक्षा करने की क्षमता खो दी है। यह गोवा, कर्नाटक और अन्य राज्यों में दिखाई दिया। तेलंगाना में रेवंत रैड्डी सबसे संभावित उम्मीदवार हैं। उनकी कार्यशैली के लिए पार्टी के भीतर से आलोचनाओं के बावजूद उन्हें कांग्रेस नेतृत्व का पूरा समर्थन प्राप्त था।
रैड्डी को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जिसमें 2024 के लोकसभा चुनाव में अधिक सीटें जीतना भी शामिल है। हालांकि उनके लिए अपनी पार्टी को एकजुट रखना अधिक महत्वपूर्ण है। कड़े दल-बदल विरोधी कानूनों के बावजूद विधायकों को पाला बदलने के लिए बड़ी रकम का प्रलोभन दिया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर जीतने वाली पार्टी की सरकार गिर जाती है। राजनीतिक दल सत्ता छीनने के लिए जरूरी विधायकों को खरीदने के हथकंडे अपनाते हैं।-कल्याणी शंकर