भारत में लगभग 50 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं जोखिम पर

punjabkesari.in Thursday, Feb 22, 2024 - 05:43 AM (IST)

उच्च जोखिम वाली गर्भधारण की व्यापकता मेघालय (67.8 प्रतिशत), मणिपुर (66.7 प्रतिशत), मिजोरम (60.3 प्रतिशत ) में सबसे अधिक थी, जबकि सिक्किम (33.3 प्रतिशत), ओडिशा (37.3 प्रतिशत) और छत्तीसगढ़ (38) में सबसे कम थी। भारत में लगभग 24,000 गर्भवती महिलाओं के डाटा का विश्लेषण करने वाले एक अध्ययन में उच्च जोखिम वाली गर्भधारण की व्यापकता 49.4 प्रतिशत पाई गई है। लगभग 33 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में एक ही उच्च जोखिम कारक था, जबकि 16 प्रतिशत में कई उच्च जोखिम कारक थे। पूर्वोत्तर राज्य मेघालय (67.8 प्रतिशत), मणिपुर (66.7 प्रतिशत) और मिजोरम (62.5 प्रतिशत) और दक्षिणी राज्य तेलंगाना (60.3 प्रतिशत) में भारत में उच्च जोखिम वाले कारकों का प्रसार सबसे अधिक था। 

जबकि सिक्किम (33.3 प्रतिशत ), ओडिशा (37.3 प्रतिशत) और छत्तीसगढ़ (38.1 प्रतिशत) में उच्च जोखिम वाली गर्भधारण का प्रचलन सबसे कम था। ग्लोबल हैल्थ जर्नल में हाल ही में प्रकाशित आई.सी.एम.आर. के शोधकत्र्ताओं द्वारा  एक अध्ययन के अनुसार, 33 प्रतिशत के साथ, मेघालय में महिलाओं में कई उच्च जोखिम वाले कारकों की आवृत्ति सबसे अधिक थी, इसके बाद मणिपुर, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना का स्थान है। नैशनल इंस्टीच्यूट फॉर रिसर्च इन रि-प्रोडक्टिव एंड चाइल्ड हैल्थ (एन.आई.आर.आर.सी.एच.) मुंबई  के अध्ययन में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2019-2021) के राष्ट्रीय प्रतिनिधि क्रॉस-सैक्शनल घरेलू सर्वेक्षण डाटा का उपयोग किया गया। शोधकत्र्ताओं ने जनसांख्यिकी स्वास्थ्य सर्वेक्षण (डी.एच.एस.) कार्यक्रम से यूनिट-स्तरीय डाटा का उपयोग किया। 15 वर्ष की आयु की लगभग 28,400 वर्तमान गर्भवती महिलाओं का डाटा एकत्रित किया गया। 

अध्ययन में फैमिली हैल्थ एस. (2019-2021) के क्रॉस-सैक्शनल के सर्वेक्षण डाटा का उपयोग किया गया है। 49 वर्ष की उम्र की लगभग 28,400 गर्भवती महिलाओं का डाटा निकाला गया, सर्वेक्षण के समय 23,853 महिलाएं गर्भवती थीं। अध्ययन में पाया गया कि कमजोर आबादी की गर्भवती महिलाएं, जैसे कि गरीब महिलाएं और जिनके पास कोई शिक्षा नहीं थी, उनमें एक या अधिक जोखिम वाले गर्भधारण की संभावना होती है। प्रमुख उच्च जोखिम वाले कारकों में जन्म के समय कम अंतराल (अंतिम जन्म से वर्तमान गर्भाधान के समय के बीच का समय अंतराल 18 महीने से कम होना), प्रतिकूल जन्म परिणाम जैसे गर्भपात,  या मृत जन्म और अंत में महिला-पुरुष शामिल थे। हाल ही में हुई सबसे अधिक डिलीवरी सिजेरियन सैक्शन से हुई थीं। 

सिजेरियन सैक्शन में किशोर महिलाएं, 15 से 17 साल की उम्र की महिलाएं और 35 साल से अधिक उम्र की महिलाएं, गर्भवती महिलाएं, जो छोटी हैं (ऊंचाई 140 सै.मी. से कम), और जिनका बॉडी मास इंडैक्स 30 से अधिक है, शामिल हैं। अधिक वजन वाली महिलाओं के लिए गर्भकालीन वजन में 7-11 किलोग्राम तक वृद्धि और मोटापे से ग्रस्त महिलाओं के लिए 5-9 किलोग्राम तक वजन बढऩा गर्भावस्था माना जाता था। जीवनशैली के जोखिम कारकों में तंबाकू का उपयोग और शराब का सेवन शामिल है, जबकि पिछले जन्म के जोखिमों में 5 से अधिक बच्चों वाली गर्भवती महिलाएं, कम जन्म अंतराल वाली महिलाएं और 59 महीने से अधिक लंबे जन्म अंतराल वाली महिलाएं शामिल हैं। 

किशोर गर्भधारण से उत्पन्न होने वाला जोखिम कारक त्रिपुरा में सबसे अधिक था।  5 से अधिक बच्चों वाली महिलाएं (उच्च जन्म क्रम) मेघालय (10.7 प्रतिशत) में देखी गईं, जबकि 18 महीने से कम का  जन्म अंतराल आंध्र प्रदेश (48.1 प्रतिशत) में सबसे अधिक था, और सिजेरियन डिलीवरी लद्दाख और पुड् डुचेरी में सबसे अधिक थी। (प्रत्येक 50 प्रतिशत)। चंडीगढ़ में महिलाओं में सबसे अधिक प्रतिकूल जन्म परिणाम 40 प्रतिशत और साथ ही समय से पहले जन्म 37.5 प्रतिशत थे। देश भर में उच्च जोखिम वाले गर्भधारण के उच्च प्रसार में योगदान देने वाला प्राथमिक कारक कम जन्म अंतराल था। कम जन्म अंतर की प्रमुख समस्या यह थी कि आधी भारतीय महिलाएं अपनी अगली गर्भावस्था में देरी के लिए गर्भनिरोधक का उपयोग नहीं कर रही थीं। 5 साल से कम उम्र के बच्चों में जन्म के कम अंतराल के कारण मृत्यु दर 3 या अधिक वर्षों की तुलना में दोगुनी अधिक बताई गई है। शिक्षित महिलाओं की तुलना में बिना किसी शैक्षिक श्रेणी वाली महिलाओं (22.5 प्रतिशत) में कई उच्च जोखिमों का अनुपात अधिक था।-आर.प्रसाद


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