अमरीका में 80 से अधिक चीनी कंपनियों पर व्यापार प्रतिबंध का खतरा

Friday, May 20, 2022 - 06:29 AM (IST)

अमरीकी प्रतिभूति और विनियामक आयोग ने अमरीका में व्यापार कर रही चीनी कम्पनियों पर निशाना साधते हुए पारदॢशता से काम न करने का जिम्मेदार पाया है। ऐसा लगता है कि अब अमरीका मेें लिस्टिड चीनी कम्पनियों पर गाज गिरने वाली है। अमरीकी प्रतिभूति और विनियामक आयोग के अध्यक्ष गैरी जेनस्लर ने बताया कि आयोग ने तय किया है कि अमरीका में सूचीबद्ध 80 से ज्यादा चीनी कम्पनियों पर रोक लगाई जाएगी और उन्हें अमरीकी सूची से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। 

इस कानून के बनने के बाद अगले 3 वर्षों में चीनी कम्पनियों को अमरीकी शेयर बाजारों से हटाया जाएगा। इस सूची में चीन की बड़ी और दिग्गज कंपनियां शामिल हैं-जैक मा (चीनी नाम-मा युन) की अलीबाबा, जेडी डॉटकॉम, दीदी, पिनदुओदुओ इंक, बिलीबिली इंक और नेटईजी इंक। इसके अलावा चाइना पैट्रोलियम और कैमिकल कार्पोरेशन कम्पनियां भी शामिल थीं।अमरीका ने इन कंपनियों के खिलाफ यह कार्रवाई 2020 में लागू किए गए कानून ‘द होल्डिंग फॉरेन कम्पनीज एकाऊंटेबल एक्ट’ के तहत की है। किसी भी विदेशी कंपनी से अमरीका को होने वाले खतरे के मद्देनजर इस कानून को तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अस्तित्व में लेकर आए थे। 

इनके अलावा कुंग होंगच्यांग की हिकविजन कम्पनी भी इस लिस्ट में शामिल है। बाइडेन प्रशासन ने कहा है कि इन चीनी कम्पनियों से अमरीका की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है, इसलिए इन पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। वहीं लियु छियांगतुंग की कम्पनी जेडी डॉट कॉम ने एक  वक्तव्य जारी कर कहा है कि उसे अमरीकी प्रतिभूति और विनियम आयोग द्वारा द होल्डिंग फॉरेन कम्पनीज एकाऊंटेबल एक्ट में डाला गया है। कम्पनी ने कहा कि वह अमरीका और चीन में लागू सारे कानूनों का पालन करते हुए अमरीकी नेसडैक और चीनी हांगकांग स्टाक एक्सचेंज में बनी रहने की पूरी कोशिश करेगी। 

दरअसल अमरीकी प्रशासन ने यह पाया कि पिछले कई वर्षों से जेडी डॉट कॉम का बही खाते का मामला अमरीकी और चीनी नियामकों के बीच उलझा हुआ है, जिसे लेकर बाइडेन प्रशासन ने यह कदम उठाया है। अमरीका ने चीनी विनियामकों से इस बात का आग्रह किया था कि चीन अमरीकी विनियामकों को इस बात की छूट दे कि अमरीका इन चीनी कम्पनियों के बही खातों की जांच कर सके जो अमरीका में अपना व्यापार करती हैं। इसके साथ ही इन कम्पनियों को यह भी घोषित करना होगा कि वे किसी विदेशी सरकार द्वारा खरीदी गई या संचालित हैं या नहीं, लेकिन चीन ने अमरीका के इस आग्रह को नहीं माना। इसका सबसे बड़ा नुक्सान उन अमरीकी निवेशकों को होगा जो करीब 2 दशक से अधिक समय से इन चीनी कम्पनियों में अपने पैसे निवेश कर रहे हैं। 

पिछले वर्ष नवम्बर में भी बाइडेन प्रशासन ने कुछ चीनी कम्पनियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए थे, जिसके तहत हुआवे और जैड.टी.ई. कम्पनियों के अमरीका में नैटवर्क उपकरण लाइसैंस लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। अमरीका की दलील थी कि इन कम्पनियों से अमरीका की सुरक्षा को बहुत खतरा है क्योंकि ये कम्पनियां चीन सरकार के साथ अपना डाटा सांझा करने के लिए बाध्य थीं। यहां पर चीनी कम्पनियों ने ऐसा पैंतरा मारा कि उन्होंने शंघाई सैंसेक्स  में और साथ ही हांगकांग सैंसेक्स में भी खुद को लिस्ट करवा लिया। यानी दोनों जगहों पर इन कम्पनियों ने खुद को लिस्ट करवाया, ताकि अगर कोई अमरीकी कानून चीनी कम्पनियों के विरुद्ध जाए तो चीनी कम्पनियां खुद को हांगकांग में लिस्ट होने के दस्तावेज दिखाकर अमरीका में अपना बचाव कर सकें। 

चीन सरकार नहीं चाहती कि अमरीका किसी भी चीनी कम्पनी की ऑडिट फाइल को देखे, क्योंकि यह चीनी कानून के खिलाफ है, लेकिन अमरीका चाहता है कि वह उन चीनी कम्पनियों के ऑडिट फाइलों की जांच करे जो अमरीका में लिस्टिड हैं और व्यापार करती हैं। जिन चीनी कम्पनियों पर अमरीकी कानून के तहत अमरीका में डिलिस्टिंग की गाज गिरने वाली है, उनमें जेडी डॉट कॉम, अली बाबा, बाईदू शामिल हैं। 

अमरीका चाहता है कि वह चीनी कम्पनियों के बही खातों की जांच करे, यद्यपि चीन ने साफतौर पर अमरीका की इस मांग के बारे में कुछ नहीं कहा, लेकिन वह अमरीकी नियामकों को चीनी कानून के तहत ऐसा करने की आज्ञा नहीं देना चाहता। वहीं चीन ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए एक नया पैंतरा चल दिया है, जिसके तहत इस वर्ष अप्रैल में चीन ने अपनी सीमा से बाहर काम करने वाली चीनी कम्पनियों से जुड़े कानून में संशोधन का प्रस्ताव रखा है।  लेकिन चीन ने अमरीका के सामने इस कानून को लेकर यह बताया है कि उसने दोनों देशों के बीच आपसी व्यापारिक संबंधों को सुधारने के लिए कानूनी अड़चनों को समाप्त कर दिया है, ताकि अमरीका में लिस्टिड चीनी कम्पनियों के ऊपर किसी तरह का कोई खतरा न मंडराए। 

लेकिन अगर चीनी कम्पनियां अमरीकी मांग को अगले 3 वर्षों तक पूरा नहीं करतीं तो उन्हें अमरीकी प्रतिभूति और विनियामक आयोग की कार्रवाई के तहत अमरीका में व्यापार करने से 
हटा दिया जाएगा। आने वाले दिनों में यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि यह मुद्दा कौन-सा नया मोड़ लेता है।

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