हिंदुत्व के इतिहास में मोदी का नाम गहरी स्याही से लिखा जाएगा

punjabkesari.in Monday, Dec 05, 2022 - 04:42 AM (IST)

मैं कसम खा सकता हूं कि मैंने उज्जैन के महान महाकाल मंदिर के साष्टांग में फिसलते हुए राहुल गांधी को परमानंद या आस्था में मूर्छित होते देखा था। साष्टांग जोकि प्रार्थना का उच्चतम रूप है वह एक यज्ञ के बराबर है जहां पुजारी अग्निकुंड के चारों ओर बैठते हैं, उसमें घी डालते हैं और वैदिक मंत्रों का जाप करते हैं। इसके साथ-साथ पुजारी भक्तों को आशीर्वाद देते हैं जैसा कि राहुल गांधी को दिया गया। 

90 दिनों से अधिक समय तक 7 राज्यों में फैले 36 जिलों में 3750 किलोमीटर की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का एक हिस्सा चलने के बाद राहुल गांधी को अपने माथे पर कुछ और सिंदूर का लेप लगाने से पहले शायद अपनी शारीरिक और आध्यात्मिक बैटरी को रिचार्ज करने की जरूरत थी। राहुल गांधी के विवेक रक्षक रणदीप सुर्जेवाला जिन्होंने कुछ साल पहले उन्हें पहली बार जनेऊ धारी ब्राह्मण घोषित किया था, एक बात जिसे उनके माता-पिता भूल गए थे वे अब तक जमा किए गए सभी ‘पुण्य’ का हिसाब रख रहे होंगे। यह अंतिम हथियार ‘ब्रह्मास्त्र’ होगा जोकि 2024 में भाजपा को धूल चटा देगा। ‘मंदिरों में जो सुबह-ओ-शाम रहे,ऐसा राहुल जरूर जीतेगा।’मतलब यह कि राहुल का मंदिरों में 24 घंटे फुदकना चुनावी दस्तक में स्कोर करने में मदद दे सकता है। 

यह सच है कि राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा गांधी दोनों भाई-बहन की कथित धार्मिकता को इस सबकी सम्मोहक विचित्रता के कारण कुछ हद तक अत्यधिक ध्यान में रखा जाता है। दोनों भाई-बहन अभी भी आस्था या शास्त्रीय भक्तों के रूप में पर्याप्त रूप से प्रेरक नहीं हैं। वे दोनों तो जातीय पर्यटकों के रूप में आते हैं, पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं तथा मंदिरों में प्रार्थना करते हैं। वे दोनों प्लेग जैसी मुस्लिम बस्तियों से बचते हैं या फिर चुनावी कारणों से वह ऐसा करते हैं। मुसलमानों से निकटता भाजपा के लिए वोटों का ध्रुवीकरण करने में मदद देगी। 

2017 में अहमदाबाद में एक सफल अभियान के बाद रैडीसन ब्लू में एक मीडिया कार्यक्रम आयोजित किया गया था। टी.वी. कैमरों की चकाचौंध के समक्ष राहुल बैठे थे। उनके साथ अशोक गहलोत, रणदीप सुर्जेवाला, राजीव शुक्ला और कई अन्य दिग्गज लोग थे। मैंने पूछ लिया कि अहमद पटेल कहां हैं? एक कांग्रेसी स्वयं सेवक तो उछल कर बोल पड़ा कि, ‘‘यह एक रहस्य है लेकिन वे होटल में हैं।’’ कांग्रेस के सबसे चॢचत नेता को नजरों से ओझल कर दिया गया ताकि भाजपा का ध्रुवीकरण न हो। शायद यही काम कर गया क्योंकि कांग्रेस ने अच्छी लड़ाई लड़ी। यह ऐसी बेशर्म तरकीबें हैं जिनकी इस बार परीक्षा होगी। 

इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देना चाहिए कि उन्होंने हवा में इतना भगवा रंग बिखेर दिया है कि उसी हवा को अंदर लिए और बाहर छोड़े बिना किसी भी राजनीतिक दल का जीवित रहना असभंव है। इसका अभिप्राय: यह नहीं है कि मोदी के आगमन से पहले राजनीतिक वातावरण में बहुत भगवा नहीं था। यह वहां था और इसके अलावा बहुत कुछ था। यदि हम भूलने की बीमारी को एक तरफ रख दें तो कांग्रेस के 4 बार के अध्यक्ष और हिंदू महासभा के समवर्ती संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय का आंकड़ा सामने आता है। 

इस समूह के प्रमुख प्रकाशक के रूप में विनायक दामोदर सावरकर ने हिंदुत्व का विकास किया जिसे एक अवधि में नरेंद्र मोदी द्वारा आगे बढऩे के तरीके के रूप में अपनाया गया। हिंदुत्व के इतिहास में मोदी का नाम गहरी स्याही से लिखा जाएगा। आम आदमी पार्टी को भगवा रंग की आड़ में चुनावी खेल खेलना है लेकिन उसका वर्ग उन्मुखीकरण भाजपा और कांग्रेस से बहुत भिन्न है। दोनों पार्टियां हिंदू शासक वर्ग का प्रतिनिधित्व करती हैं। एक सत्ता में है और दूसरी उसके वफादार विपक्ष में।  भाजपा और कांग्रेस दोनों एक-दूसरे से ज्यादा ‘आप’ से नफरत करती हैं। 

‘आप’ की उत्पत्ति भ्रमित करने वाली है। अन्ना हजारे, बाबा रामदेव और आमिर खान दिल्ली के रामलीला मैदान में एक ही मंच पर एकत्र हुए लेकिन 2015 में दिल्ली में 70 में से 67 सीटें जीतने के बाद से इसका तेजी से विकास का रिकार्ड काफी असाधारण है। हिंदी बैल्ट में सत्ता में बैठे राजनीतिक दल गरीबों तक पहुंचने के लिए जाति का सहारा लेते हैं। ‘आप’ दूसरे तरीके से आगे बढ़ती है। यह अच्छे सरकारी स्कूलों, पड़ोस के क्लीनिकों, मुफ्त पानी और बिजली की जरूरत वाले वर्ग तक अपनी पहुंच बनाती है। इसी प्रक्रिया में अगर यह पार्टी निचली जातियों को भी फंसाती है तो ठीक है। लोहिया उक्ति के अनुसार भारत में जाति और वर्ग अक्सर सह-अस्तित्व में है। 

‘आप’ अपनी धार्मिक नीति में समर्पण की भावना से हिंदुत्व को ठेस नहीं पहुंचा रही है। ‘आप’ के लिए हिंदुत्व भगवान राम जैसी प्रतिष्ठित हस्तियों पर भाजपा को किसी भी तरह के एकाधिकार से वंचित करने की रणनीति है। आप राम मंदिर बनाते हैं। हम भक्तों के लिए राम मंदिर की व्यवस्था करेंगे। ऐसा ‘आप’ का कहना है। ‘आप’ हिंदू कार्ड का प्रचार नहीं कर रही है। यह तो भाजपा के एकाधिकार को कमजोर कर रही है। कोई आश्चर्य नहीं कि इससे भाजपा बिफर जाती है। यह दिल्ली के उप-राज्यपाल के कंधों पर सभी शस्त्रागार डालती है और ‘आप’ को स्थिर करने के लिए लगातार आग लगाती है। गुजरात विधानसभा और दिल्ली के नगर निगम के नतीजे भविष्य की राजनीति को कुछ हद तक तय करेंगे। ‘भारत जोड़ो यात्रा’, ‘मंदिर दर्शन’ और ‘पवित्र डुबकी’ के बावजूद कांग्रेस से कोई खतरा क्यों नहीं है। 

आने वाले दिनों में कांग्रेस की किस्मत में एक विडम्बनापूर्ण मोड़ आने वाला है। क्या कांग्रेस आने वाले हफ्तों में हर आऊटिंग में विफल रही। सभी क्षेत्रीय दल 2024 की तैयारी में सस्ती सौदेबाजी के लिए दौड़ लगाएंगे। उम्मीदें धराशायी हो सकती हैं क्योंकि हड़ताल करने के लिए कोई सौदेबाजी नहीं हो सकती। पार्टी अध्यक्ष के रूप में मल्लिकार्जुन खरगे अभी तक अपने पैर नहीं जमा सके हैं। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ जब जम्मू-कश्मीर पहुंचेगी तो घाटी में इसका क्या मिजाज रहेगा? कांग्रेस के नेतृत्व वाली यात्रा को कश्मीरी पंडित कैसे मानेंगे?-सईद नकवी 
         


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