आर्थिक पाबंदियों से ईरान को मिली मुक्ति : ‘तेल देखो, तेल की धार देखो’

Tuesday, Jan 19, 2016 - 12:37 AM (IST)

(कृष्ण भाटिया): तेल देखो, तेल की धार देखो, यह मुहावरा किस संदर्भ में प्रयोग में लाया गया होगा और इसके पीछे छिपी विद्वता का महत्व क्या रहा होगा, यह एक बड़ी गहरी सोच और विश्लेषण का विषय है। लेकिन आज के युग में तेल की धारा किस ओर बहती है और उसका महत्व क्या है, इस पर कुछ विशेष मनन की आवश्यकता नहीं। आज का सारा जीवन ही तेल पर आश्रित, उसी पर आधारित है। उसकी धारा किस दिशा में बहती है, सारा विस्मित संसार उसी ओर देख रहा है।

 
पिछले कुछ दिनों से जो कुछ देखने में आ रहा है यदि घटनाओं का प्रवाह इसी प्रकार जारी रहा तो संभावना है कि तेल की यह धारा शीघ्र  ही एक भव्य नदी का रूप धारण करके विश्वव्यापी आॢथक क्रांति को जन्म देने का कारण बन जाए। तेल की कीमतें जिस तेजी से नीचे आ गिरी हैं तथा अगले कुछ दिनों में और भी ज्यादा गिरने के संकेत हैं उससे ये आशाएं जागी हैं कि जनजीवन पर इसका सुखद प्रभाव पड़ेगा। पैट्रोल और डीजल की कीमतें तो आश्चर्यजनक हद तक नीचे आ ही रही हैं, दिनचर्या में प्रयोग होने वाली अन्य आवश्यक वस्तुओं, खाद्य पदार्थों इत्यादि के मूल्य भी सस्ते होने की आशा है। इसका मुख्य कारण होगा शनिवार को संयुक्त राष्ट्र का एक अत्यंत महत्वपूर्ण फैसला जिसके द्वारा ईरान को अंतर्राष्ट्रीय आॢथक पाबंदियों से मुक्ति दे दी गई है।
 
आर्थिक बेडिय़ों से ईरान को मिली मुक्ति : 1979 में आई क्रांति में पश्चिम समर्थक शाह का तख्ता उलट दिए जाने के बाद शासन सत्ता कट्टर धार्मिक शिया मुल्लाओं के हाथ में आ जाने से संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पर पश्चिमी देशों ने ईरान पर आॢथक पाबंदियां लगा दी थीं। इसके साथ उन देशों के विरुद्ध भी कड़े आर्थिक आदेश जारी कर दिए थे जिनके साथ ईरान के व्यापारिक संबंध थे। 
 
इन पाबंदियों के कारण ईरान की आर्थिक उन्नति रुक गई थी और वह विश्वव्यापी गतिविधियों में उतनी आजादी से भाग नहीं ले पा रहा था जिसका वह अपने आप को अधिकारी समझता था और न ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वह अपनी भूमिका उतने प्रभावशाली ढंग से निभा सकता था जितनी उसकी क्षमता थी। लेकिन 2 वर्ष पूर्व देश की राजनीतिक बागडोर वर्तमान उदारवादी नेताओं के हाथ आ जाने के बाद से ईरान की अंतर्राष्ट्रीय नीतियों में भारी बदलाव आने के कारण पिछले वर्ष अमरीका ने ईरान के साथ जब एक महत्वपूर्ण परमाणु संधि की तो यह उम्मीद पैदा हो गई थी कि ईरान के प्रति पश्चिम देशों का रवैया अब बदलने लगेगा। 
 
संधि में ईरान पर यह शर्त लगाई गई थी कि वह एक वर्ष तक अपनी परमाणु शक्ति में कोई विस्तार नहीं करेगा। एक वर्ष बाद संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञ ईरान के परमाणु ठिकानों का परीक्षण करके अगर प्रमाणपत्र दे देंगे कि ईरान ने इस वर्ष के दौरान संधि की शर्तों का पालन किया है तो उसे आर्थिक पाबंदियों से मुक्त कर दिया जाएगा।
 
तेल का सैलाब : शनिवार को जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र के अधीन पश्चिमी देशों की एक उच्च स्तरीय बैठक में ईरान को इन आर्थिक हथकडिय़ों से मुक्त करने का फैसला किया गया। यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण फैसला है जिससे विश्व राजनीति प्रभावित होगी। आर्थिक विशेषज्ञों ने यह भी भविष्यवाणी की है कि ईरान अब पूरे जोर-शोर के साथ विश्व के व्यापार, उद्योग और राजनीति में शीघ्र ही सक्रिय हो जाएगा तथा अपना पिछला घाटा पूरा करने की कोशिश करेगा।
 
ईरान जो पहला कदम उठाएगा वह होगा तेल के मैदान में। पश्चिमी समाचार पत्रों ने तो प्रथम पृष्ठ पर मोटे शीर्षकों में लिखा है कि ईरान इसी सप्ताह दुनिया के तेल के बाजारों में तेल का सैलाब ला देगा। अंतर्राष्ट्रीय मार्कीट में इस वक्त तेल जितनी खुली मात्रा में और जितने सस्ते दामों पर मिल रहा है उतना पिछले 12 वर्षों में कभी नहीं मिला था। 
 
इससे तेल उत्पादक देशों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। उन्हें भी ईरान का अनुकरण करना पड़ेगा जिसका प्रभाव तेल मार्कीट पर पड़ेगा।
मध्य पूर्व में इस समय भारी तनाव है। शिया-सुन्नी कटुता चरम सीमा पर है। आर्थिक बेडिय़ों से मुक्ति के बाद ईरान विश्व स्तर पर अपनी नई छवि स्थापित करने की चेष्टा करेगा।
 
भारत पर प्रभाव : इस सारे घटनाक्रम का भारत पर सुखद प्रभाव पडऩे की आशा है। भारत और ईरान के परस्पर संबंध ऐतिहासिक और बड़े मैत्रीपूर्ण हैं। दोनों देशों में व्यापार में प्रतिवर्ष वृद्धि हो रही है। आर्थिक पाबंदियों से मुक्ति के बाद व्यापार की मात्रा में और भी भारी वृद्धि होना निश्चित है। ईरान और भारत के बीच तेल की पाइपलाइन बिछाने की योजना पर पिछले कई वर्षों से बातचीत चल रही है।
 
भारत कोई बड़ा तेल उत्पादक देश नहीं। तेल की अपनी 85 प्रतिशत जरूरतें वह आयात द्वारा पूरी करता है। जिन देशों से भारत भारी मात्रा में तेल मंगवाता है ईरान उनमें से मुख्य है। तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में कमी और ईरान की स्थिति में परिवर्तन के बाद भारत को कितना लाभ पहुंचता है, उसके लिए तेल देखो, तेल की धार देखो।  
 
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