युवा प्रतिभाओं में ग्लोबल स्किल का अभाव

Friday, Oct 28, 2022 - 05:24 AM (IST)

‘ब्रेन ड्रेन’ की समस्या से जूझते पंजाब में ‘इंटरनैशनल इंगलिश लैंग्वेज टैस्टिंग सिस्टम (आईलैट्स) एक असंगठित क्षेत्र के मिनी-उद्योग के रूप में तेजी से फैला है। यह बड़े पैमान पर उन युवाओं को आकर्षित कर रहा है जो अपने सपनों को पंख लगाए दुनिया के विकसित देेशों में करियर के लिए उड़ान भरने को तैयार हैं। पर दुर्भाग्य से युवा प्रतिभाओं के और कनाडा, अमरीका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में जाकर भी सपने पूरे नहीं हो पा रहे क्योंकि ग्लोबल स्तर की स्किल के अभाव में बेहतर प्लेसमैंट की उनकी इच्छा पूरी न हो पाने की वजह से वे वहां छोटे-मोटे काम करने को मजबूर हैं। देश में बेरोजगारी के चढ़ते ग्राफ के बीच रोजगार की तलाश में विदेशों का रुख करने से पहले युवाओं को देश में ही ग्लोबल स्किल से लैस करना बहुत जरूरी है।   

हाल ही में कई ऐसी घटनाओं ने दिल दहला दिए जहां विदेशों में नौकरी की तलाश में उत्पीड़न का शिकार हुए युवाओं को अपनी जान तक गंवानी पड़ी। ऐसे में केंद्र व राज्य सरकारें सुनिश्चित करें कि विदेशों का रुख करने वाले युवाओं को उत्पीडऩ से बचाकर उन्हें सही नौकरी दिलाने में कैसे मदद की जाए। इसके लिए कानूनी रूप से एक विदेशी प्लेसमैंट ईकोसिस्टम विकसित करने की जरूरत है, ताकि हमारे युवाओं और उनके परिवारों को धोखाधड़ी से बचाया जा सके। कथित प्लेसमैंट एजैंसियां युवाओं को गुमराह करके न केवल उन्हें लूट रही हैं बल्कि गलत देशों में भेजकर उनकी जान भी जोखिम में डालती हैं। 

करियर के लिए विदेश प्रवास से पहले युवाओं के लिए नैशनल स्किल डिवैल्पमैंट कॉर्पोरेशन (एन.एस.डी सी) की एक पहल- ‘इंडिया इंटरनैशनल स्किल सैंटर’ अमल में नहीं आ पाई। वास्तव में पूरे भारत में ऐसे सैंटरों की जरूरत है, जो अंतर्राष्ट्रीय मानकों से मेल खाते हुनर के कोर्स देश में उपलब्ध कराएं। अंतर्राष्ट्रीय कौशल मानकों के बगैर हमारे पढ़े-लिखे युवा भी विदेशों में जीवनयापन के लिए मजदूरी और साफ-सफाई जैसे काम करने को मजबूर हैं। 

इसके अलावा सरकार को यह सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोडऩी चाहिए कि फर्जी और अवैध इमीग्रेशन कम्पनियों के हाथों युवाओं का शोषण न हो। आईलैट्स विदेशों में एक अच्छी नौकरी पाने का साधन नहीं है और न ही यह कोई हुनर है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आईलैट्स के साथ उन देशों के बारे में भी बुनियादी जानकारी उम्मीदवारों के साथ सांझा की जानी चाहिए। अगर स्कूली पढ़ाई बीच में ही छोड़ने वाले आईलैट्स पास कर सकते हैं, तो उन्हें अपनी पढ़ाई बंद करने की क्या जरूरत है?

विदेशों में वर्क परमिट के लिए आवेदन करने से पहले हमारे युवाओं को अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मानकों के कौशल से लैस करने के साथ विदेशी भाषाओं में भी अच्छी तरह प्रशिक्षित करने की जरूरत है। इससे उन्हें न केवल विदेशों में अच्छी नौकरी मिलने में मदद मिलेगी बल्कि उनके आगे बढऩे के भी और कई रास्ते खुलेंगे। पंजाब के ग्रामीण इलाकों में रहने वाली 65 फीसदी आबादी खेती पर निर्भर है और इन इलाकों से बड़े पैमाने पर युवा कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, अमरीका, ब्रिटेन,खाड़ी और अन्य देशों में रोजगार की तलाश में जा रहे हैं। कानूनी या अवैध रूप से, वे इन देशों में जा रहे हैं लेकिन सही कौशल के अभाव में उन्हें एक अच्छी नौकरी की बजाय मजदूरी करनी पड़ती है। 

बेरोजगारी एक बहुआयामी समस्या है। पंजाब सरकार को कौशल विकास पाठ्यक्रमों के लिए विश्व स्तर पर प्रमाणित टैलेंट नोड बनाने की जरूरत है। हमारे तकनीकी संस्थानों और विश्वविद्यालयों को अपने कौशल पाठ्यक्रमों को विदेशी संस्थानों और ग्लोबल एंप्लॉयर के साथ तालमेल बिठाना चाहिए। केरल के बाद पंजाब देश में एक ऐसा राज्य है जहां से हर साल विदेश में नौकरी के लिए सबसे अधिक पलायन हो रहा है। विदेश मंत्रालय के अनुसार जनवरी 2016 से जनवरी 2022 तक पंजाब से 5.78 लाख लोग रोजगार के लिए देश छोड़कर गए। देश में रोजगार की बढ़ती संख्या की तुलना में सरकारी और प्राइवेट नौकरियां सीमित हैं। विदेशों में ट्रांसपोर्ट, कंस्ट्रक्शन लेबर, हैल्थ सर्विसिज, ब्यूटी-वैलनेस, आई.टी. पेशेवरों, प्लम्बर, बढ़ई जैसी हुनरमंद नौकरियों  के लिए युवाओं में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की कुशलता होनी चाहिए। 

दुर्भाग्य से, हमारे युवाओं के कौशल में सुधार की सरकारी पहल सफल नहीं रही। यह एक प्रणाली गत समस्या की ओर इशारा करती है जो युवाओं की प्रतिभा को प्रभावित कर रही है। एक युवा महिला के बारे में सोचें जो अपने अगले करियर बारे विचार कर रही है। उसे कहां ट्रेनिंग लेनी चाहिए? और उसके लिए किस तरह की नौकरियों के अवसर हैं? यह आज के कई युवाओं के लिए बड़ी दुविधा है। उन्हें अपने जीवन को बेहतर करने की इच्छा है लेकिन कौशल के अभाव में उन्हें सही नौकरी नहीं मिल पाती। 

समाधान : पंजाब में लगभग छह लाख लोग हर साल आईलैट्स की तैयारी करते हैं। सरकार को सभी आईलैट्स केंद्रों की स्थापना, मान्यता और प्रबंधन से एक मानक संचालन प्रक्रिया (एस.ओ.पी) लागू करनी चाहिए। इससे फर्जी इमिग्रेशन कंसल्टैंसी पर भी रोक लगाने में मदद मिलेगी। कानूनी तरीकों से युवाओं के इमीग्रेशन को सुगम बनाने और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कौशल प्रदान करने के लिए प्रत्येक जिले में एन.एस.डी.सी के मार्गदर्शन में इंडिया इंटरनैशनल स्किल सैंटर सक्रिय किए जाएं।-दिनेश सूद 

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