जनता तथा उद्योगों के सहयोग के बिना यमुना को प्रदूषण मुक्त करना कठिन

punjabkesari.in Tuesday, Feb 27, 2024 - 06:53 AM (IST)

नदियों में प्रदूषण की समस्या लम्बे समय से चली आ रही है। दिल्ली में सिर्फ कुछ हिस्सों में ही गंगा से पेयजल उपलब्ध होता है और बाकी जगह यमुना से पानी आता है। ‘नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल’ के अनुसार यमुना नदी की कुल लम्बाई 1300 किलोमीटर से अधिक है और इसमें दिल्ली के वजीराबाद से कालिंदी कुंज तक का हिस्सा 22 किलोमीटर ही है परंतु यमुना का 76 प्रतिशत प्रदूषण इसी हिस्से में होता है। यमुना नदी में मानसून को छोड़ कर लगभग वर्ष भर ताजा पानी नहीं रहता और कई जगह नदी में सफेद झाग बना रहता है। 

इस समय यमुना नदी के वजीराबाद बैराज में प्रदूषित तत्वों का उच्च स्तर बना हुआ है जिसमें अमोनिया की मात्रा 2.5 पी.पी.एम. से अधिक हो जाने के कारण वजीराबाद तथा चंद्रावल के वाटर ट्रीटमैंट प्लांटों में जल उत्पादन 30 से 50 प्रतिशत तक कम हो जाने से राजधानी के अनेक हिस्सों में पेयजल संकट पैदा हो गया है। पानी में अमोनिया की 0.5 पी.पी.एम. से अधिक मात्रा शरीर के लिए हानिकारक है तथा लोगों द्वारा 1 पी.पी.एम. या इससे अधिक के अमोनिया स्तर वाले पानी का लम्बे समय तक सेवन स्वास्थ्य संबंधी अनेक समस्याएं पैदा कर सकता है और इसका सर्वाधिक दुष्प्रभाव लिवर पर पड़ता है। 

इससे डीहाईड्रेशन और लिवर इंफैक्शन के अलावा पीलिया और हैपेटाइटिस सहित अनेक रोग हो सकते हैं। इससे व्यक्ति के ‘कोमा’ में जाने का खतरा भी काफी अधिक होता है। चिकित्सकों का कहना है कि इससे बचने के लिए पानी को उबाल कर पीना चाहिए। निश्चय ही यह एक चिंताजनक स्थिति है। इससे मुक्ति पाने के लिए सरकार द्वारा प्रयास करना तो जरूरी है ही, आम जनता और उद्योग जगत की भागीदारी भी अपेक्षित है। जब तक उद्योगपति और आम जनता यमुना तथा अन्य नदियों में प्रदूषण पैदा करने वाले तत्व छोडऩा जारी रखेगी, सरकार द्वारा नदियों को प्रदूषण मुक्त करने के प्रयास विफल ही होते रहेंगे।—विजय कुमार


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News