घुटने टेकता ईरान

punjabkesari.in Tuesday, Dec 06, 2022 - 06:21 AM (IST)

ईरान में हिजाब के विरुद्ध इतना जबरदस्त जन आंदोलन चल पड़ा है कि मुल्ला-मौलवियों और आयतुल्लाहों की सरकार को घुटने टेकने पड़ गए हैं। उसने घोषणा की है कि वह ‘गश्त-ए-इरशाद’ नामक अपनी मजहबी पुलिस को भंग कर रही है। इस पुलिस की स्थापना 2006 में राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद ने इसलिए की थी कि ईरानी लोगों से वह इस्लामी कानूनों और परंपराओं का पालन करवाएं। देखिए  ईरान की कथा भी कितनी विचित्र है।

सऊदी अरब और यू.ए.ई. जैसे सुन्नी और अरब राष्ट्रों से ईरान की हमेशा ठनी रहती है लेकिन फिर भी वह हिजाब जैसे सुन्नी और अरबी रीति-रिवाजों को उनसे भी ज्यादा सख्ती से लागू करने पर आमादा रहता है। ईरान तो आर्य राष्ट्र है। उसके शहंशाह को ‘आर्यमेहर’  कहा जाता था। लेकिन ईरान अपने भव्य भूतकाल को भूलकर अब अरबों की नकल करता है और दूसरी तरफ वह अपने शिया होने पर इतना गर्व करता है कि सुन्नी राष्ट्रों का वह इसराईल से भी बड़ा दुश्मन बना हुआ है। ईरान की इस पोंगापंथी को मैं ईरान में रहकर कई बार देख चुका हूं। 

वहां सुन्नियों, बहाइयों, वहाबियों और सिखों की हालत तो दयनीय रहती ही है, वहां की इस्लामी सरकारें अपने शिया नागरिकों पर जुल्म करने से भी बाज नहीं आतीं। अभी लगभग दो माह पहले एक कुर्द जाति की युवती महसा अमीनी को इसलिए गिरफ्तार कर लिया गया था कि उसने हिजाब नहीं पहन रखा था। जेल में उसकी हत्या हो गई। सारे ईरान में इतना बड़ा आंदोलन भड़का जितना कि 1979 में शहंशाहे-ईरान के खिलाफ  भड़क गया था। एक अनुमान के अनुसार अब तक लगभग 500 लोग मारे गए हैं और सैंकड़ों गिरफ्तार हो गए हैं। 

लोग सिर्फ हिजाब के विरुद्ध ही नहीं बल्कि आयतुल्लाह खामेनई के खिलाफ भी खुलकर बोल रहे हैं। वे इस्लामी शासन के अंत की मांग कर रहे हैं। अगले तीन दिन तक सारे व्यापार और बाजारों को बंद रखने की घोषणा इन आंदोलन-कारियों ने कर दी है। वर्तमान राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की कुर्सी हिलने लगी है। उन्हें पता है कि शहंशाह को भगाने के लिए ईरानी जनता ने कितने साहस और बलिदान का प्रमाण दिया था। इसीलिए अब इस ‘गश्त-ए-इरशाद’ यानी नैतिक पुलिस को भंग करने की घोषणा उनकी सरकार को करनी पड़ी है। 

सरकार का कहना है कि यह आंदोलन अमरीका और इसराईल के इशारों पर हो रहा है। उसकी इस बात पर न तो ईरानी लोग भरोसा करते हैं और न ही अन्य मुस्लिम राष्ट्रों के नागरिक! इस आंदोलन में हिजाब तो एक बहाना है। असलियत यह है कि ईरान की जनता, जो शहंशाह के काल में कई मामलों में अत्यंत आधुनिक हो गई थी, अब आयतुल्लाहों के राज में उसका दम घुट रहा है।-डा. वेदप्रताप वैदिक
 


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