‘अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ता इंटरनैट शटडाऊन’

punjabkesari.in Saturday, Feb 13, 2021 - 04:52 AM (IST)

26 जनवरी को दिल्ली में हुई हिंसा के बाद हरियाणा के कई जिलों सहित सिंघू, गाजीपुर तथा टीकरी बॉर्डर पर सरकार के निर्देशों पर इंटरनैट सेवा बाधित की गई थी, जो विभिन्न स्थानों पर करीब दस दिनों तक जारी रही। हरियाणा में दूरसंचार अस्थायी सेवा निलंबन (लोक आपात या लोक सुरक्षा) नियम, 2017 के नियम 2 के तहत क्षेत्र में शांति बनाए रखने और सार्वजनिक व्यवस्था में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को रोकने के लिए इंटरनैट सेवाएं बंद करने के आदेश दिए गए थे। 

इंटरनैट आज न केवल आम जनजीवन का अभिन्न अंग बन चुका है बल्कि इस पर पाबंदी के कारण हरियाणा में कोरोना वैक्सीन कार्यक्रम भी प्रभावित हुआ। इंटरनैट सुविधा पर पाबंदी के कारण छात्रों की ऑनलाइन कक्षाएं बंद हो गई थीं, इंटरनैट पर आधारित व्यवसाय ठप्प हो गए थे। 

विभिन्न सेवाओं और योजनाओं के माध्यम से एक ओर जहां सरकार ‘डिजिटल इंडिया’ के सपने दिखा रही है, अधिकांश सेवाओं को इंटरनैट आधारित किया जा रहा है, वहीं बार-बार होते इंटरनैट शटडाऊन के चलते जहां लोगों की दिनचर्या प्रभावित होती है और देश को इसका बड़ा आर्थिक नुक्सान भी झेलना पड़ता है। डिजिटल इंडिया के इस दौर में जिस तरह इंटरनैट शटडाऊन के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और लोगों को बार-बार नैटबंदी का शिकार होना पड़ रहा है, उससे भारत की छवि पूरी दुनिया में प्रभावित हो रही है। 

ब्रिटेन के डिजिटल प्राइवेसी एंड सिक्योरिटी रिसर्च ग्रुप ‘टॉप-10 वी.पी.एन.’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वर्ष भारत में कुल 75 बार इंटरनैट शटडाऊन किया गया। कुल 8927 घंटे तक इंटरनैट पर लगी पाबंदी से जहां 1.3 करोड़ उपभोक्ता प्रभावित हुए, वहीं इससे देश को करीब 2.8 बिलियन डॉलर (204.89 अरब रुपए) का नुक्सान हुआ। इंटरनैट पर जो पाबंदियां 2019 में लगाई गई थीं, वे 2020 में भी जारी रहीं और भारत को 2019 की तुलना में गत वर्ष इंटरनैट बंद होने से दोगुना नुक्सान हुआ। 

फेसबुक की पारदर्शिता रिपोर्ट में बताया गया था कि जुलाई 2019 से दिसम्बर 2019 के बीच तो भारत दुनिया में सर्वाधिक इंटरनैट व्यवधान वाला देश रहा था। वर्ष 2019 में कश्मीर में तो सालभर में 3692 घंटों के लिए इंटरनैट शटडाऊन किया गया। ‘शीर्ष 10 वी.पी.एन.’ की रिपोर्ट में बताया गया है कि बीते वर्ष विश्वभर में कुल इंटरनैट शटडाऊन 27165 घंटे का रहा, जो उससे पिछले साल से 49 प्रतिशत ज्यादा था। इसके अलावा इंटरनैट मीडिया शटडाऊन 5552 घंटे रहा। ब्रिटिश संस्था द्वारा इंटरनैट पर पाबंदियां लगाने वाले कुल 21 देशों की जानकारियों की समीक्षा करने पर पाया गया कि भारत में इसका जितना असर हुआ, वह अन्य 20 देशों के सम्मिलित नुक्सान के दोगुने से भी ज्यादा है और नुक्सान के मामले में 21 देशों की इस सूची में शीर्ष पर आ गया है। 

वर्ष 2020 में 1655 घंटों तक इंटरनैट ब्लैकआऊट रहा तथा 7272 घंटों की बैंडविथ प्रभावित हुई, जो किसी भी अन्य देश की तुलना में सर्वाधिक है। रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनियाभर में नैटबंदी से होने वाले कुल 4.01 अरब डॉलर के नुक्सान के तीन-चौथाई हिस्से का भागीदार बना है। इंटरनैट शटडाऊन के मामले में भारत के बाद दूसरे स्थान पर बेलारूस और तीसरे पर यमन रहा। बेलारूस में कुल 218 घंटों की नैटबंदी से 336.4 मिलियन डॉलर नुक्सान का अनुमान है। रिपोर्ट में ‘इंटरनैट शटडाऊन’ को परिभाषित करते हुए इसे ‘किसी विशेष आबादी के लिए या किसी एक स्थान पर इंटरनैट या इलैक्ट्रॉनिक संचार को इरादतन भंग करना’ बताया गया है और इस ब्रिटिश संस्था के अनुसार ऐसा ‘सूचना के प्रवाह पर नियंत्रण’ कायम करने के लिए किया जाता है। 

इंटरनैट शटडाऊन किए जाने पर सरकार और प्रशासन द्वारा सदैव एक ही तर्क दिया जाता है कि किसी विवाद या बवाल की स्थिति में हालात बेकाबू होने से रोकने तथा शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए अफवाहों, गलत संदेशों, खबरों, तथ्यों व फर्जी तस्वीरों के प्रचार-प्रसार के जरिए विरोध की ङ्क्षचगारी दूसरे राज्यों तक न भड़कने देने के उद्देश्य से ऐसा करने पर विवश होना पड़ता है। इसमें कोई दो राय नहीं कि सोशल मीडिया के जरिए कुछ लोगों द्वारा झूठे संदेश और फर्जी वीडियो वायरल कर माहौल खराब करने के प्रयास किए जाते हैं लेकिन उन पर शिकंजा कसने के लिए इंटरनैट पर पाबंदी लगाने के अलावा प्रशासन के पास और भी तमाम तरीके होते हैं। 

विश्वभर में कई रिसर्चरों का दावा है कि इंटरनैट बंद करने के बाद भी ङ्क्षहसा तथा प्रदर्शनों को रोकने में इससे कोई बड़ी सफलता नहीं मिलती है, हां, लोगों का काम धंधा अवश्य चौपट हो जाता है और व्यक्तिगत नुक्सान के साथ सरकार को भी बड़ी आॢथक चपत लगती है। इंटरनैट पर बार-बार पाबंदियां लगाए जाने का देश को भारी नुक्सान झेलना पड़ रहा है। एक अनुमान के अनुसार देश में आज 480 मिलियन से भी ज्यादा स्मार्टफोन यूजर्स हैं, जिनमें से अधिकांश इंटरनैट का इस्तेमाल करते हैं। आज हमें जीवन के हर कदम पर इंटरनैट की जरूरत पड़ती है क्योंकि आज का सारा सिस्टम काफी हद तक कम्प्यूटर और इंटरनैट की दुनिया से जुड़ चुका है।-योगेश कुमार गोयल


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