चीन की ताईवान पर हमले की तैयारी, बचाव में अमरीका

punjabkesari.in Thursday, Jun 23, 2022 - 01:13 PM (IST)

हाल ही में चीन के खतरनाक मंसूबे दुनिया के सामने आए, जो पूरी दुनिया में विध्वंस मचा देंगे। यह जानकारी पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी के एक सम्मेलन का ऑडियो क्लिप बाजार में आने के बाद पता चली कि चीन के इरादे कितने खतरनाक हैं। इस ऑडियो क्लिप में ताईवान पर हमले की पूरी तैयारी के बारे में बात की जा रही है। इस ऑडियो क्लिप को यू-ट्यूब पर ल्यूड मीडिया ने पोस्ट किया है। जानकार इस ऑडियो क्लिप की जांच के बाद बताते हैं कि यह एकदम सही है। ऐसा पहली बार है जब चीन की सेना के शीर्ष कमांड का ऑडियो लीक हुआ और मीडिया में प्रकाशित भी हो गया। 14 मई को हुई इस मीटिंग के लीक ऑडियो क्लिप ने दुनिया में चीन की पोल खोल कर रख दी है, जो ऐसे समय लीक हुआ है, जब सी.पी.सी. के शीर्ष कमांडरों में सत्ता को लेकर आपसी खींचतान चल रही है।  

इस क्लिप के जरिए यह भी पता चला है कि चीन ‘थंडर’ नामक कोड  के साथ इस युद्ध की तैयारियों में जुटा हुआ है। इसके साथ ही इस मीटिंग में यह तय किया गया कि चीन के कौन से उद्योग ताईवान के साथ युद्ध के समय महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इनमें ड्रोन उत्पादन, टैलीकम्युनिकेशन कंपनियां, उपग्रह सेवाएं देने वाली कंपनियां, नौका बनाने वाली कंपनियां शामिल हैं। इसके साथ ही ताईवान से युद्ध के दौरान चीन को अपनी पर्ल नदी के डैल्टा और औद्योगिक रूप से उन्नत प्रांत क्वांगतुंग की रक्षा करना बहुत जरूरी होगा।  हाल ही में चीन ने दक्षिणी प्रशांत सागरीय देश सोलोमन से रक्षा समझौता करने के बाद एक अध्यादेश पास कर चीन की सेना को उसकी सीमा से दूर सैन्य अभियानों के लिए मंजूूरी दी है। इस बात का सीधा कयास यह लगाया जा रहा है कि चीन अपने पड़ोसी देश ताईवान पर हमला कर उसे अपनी सीमा में मिला सकता है। दरअसल चीन का हौसला इतना बुलंद इसलिए हो रहा है क्योंकि चीन ने यूक्रेन युद्ध में देख लिया है कि अमरीका और नाटो देश किनारे खड़े तमाशा देखते रहे और रूस ने पूरा यूक्रेन रौंद डाला। इसे लेकर चीन अमरीका द्वारा ताईवान को रक्षा का आश्वासन देने की बात को खोखली बातें मान रहा है। 

लेकिन चीन को शायद यह नहीं मालूम कि हर देश का अपना महत्व होता है। यूक्रेन से दुनिया को कोई उच्च स्तर की तकनीकी वस्तु नहीं मिलती, वहीं ताईवान की बात करें तो वह दुनिया के चंद बड़े माइक्रो चिप और सैमी कंडक्टर बनाने वाले देशों में से एक है। इसके अलावा ताईवान में कई औद्योगिक उत्पादों का निर्माण किया जाता है, जिनमें से कुछ उपभोक्ता के सीधे इस्तेमाल में आते हैं तो कुछ उत्पादकों के लिए काम में लाए जाते हैं। इस लिहाज से ताईवान का महत्व औद्योगिक और विकसित देशों में ज्यादा है। ताईवान अमरीकी औद्योगिक इकाईयों का हित भी साधता है, इसलिए अमरीका ने ताईवान की रक्षा के लिए बड़े स्तर पर उसे हथियार बेचे हैं। साथ ही अमरीकी नेवी सील और कमांडो ताईवान की सेना को आकर प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। यानी ताईवान की सैन्य तैयारी और असलहा चीन के खतरे  के अनुसार सही मात्रा में मौजूद है। 

इससे पहले चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंग ने अमरीका को चेतावनी भरे लहजे में कहा था कि अगर वह ताईवान के मुद्दे में फंसेगा तो चीन हथियारों का इस्तेमाल करने से पीछे नहीं हटेगा। वेई  फेंग ने सिंगापुर में आयोजित शांग्रीला डायलॉग्स में धमकी भरे अंदाज में कहा था कि ताईवान की आजादी की कोशिशों को ध्वस्त कर दिया जाएगा और इस योजना में जो भी कोई आएगा उसे सफल नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने साफ  किया कि ताईवान चीन ही है और जो भी उसे हमसे अलग करने की कोशिश करेगा उसे चीन कुचल देगा। चीन और अमरीका के बीच की तनातनी से दक्षिणी चीन सागर क्षेत्र एक बार फिर से दुनिया के केन्द्र में आ गया है। एक तरफ चीन की दक्षिणी चीन सागर में बढ़ती आक्रामकता ने अमरीका की ङ्क्षचता को बढ़ा दिया है, तो वहीं अमरीका की चेतावनी से चीन में डर भी है, क्योंकि भले ही चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आॢथक और सैन्य शक्ति बन गया है, लेकिन अमरीका के पास अत्याधुनिक हथियारों के अलावा दुनिया भर की आॢथककुंजी, रणनीति और नाटो, जी-7, यूरोपीय संघ जैसे बड़े संगठनों का साथ भी है। वैसे यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वाकई चीन ताईवान पर तुरंत कोई हमला करेगा या फिर रणनीतिक तौर पर हवा का रुख अपनी तरफ होने की प्रतीक्षा करेगा।


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