नई पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की मांग कर रही भारतीय वायुसेना

punjabkesari.in Sunday, Oct 26, 2025 - 05:13 AM (IST)

पिछले एक दशक में, भारतीय वायुसेना (आई.ए.एफ.) लगातार नई पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की मांग कर रही है। अब जब मिग-21 को सेवा से हटा दिया गया है  तो वायुसेना के लड़ाकू स्क्वाड्रन की संख्या उसकी स्वीकृत क्षमता से 70 प्रतिशत कम रह गई है। स्वदेशी निर्माण और अंतरराष्ट्रीय खरीद में देरी को ही इस ‘तत्काल कमी’ का कारण बताया गया है। 17 अक्तूबर को, महाराष्ट्र के नासिक में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड  (एच.ए.एल.) के परिसर में लगभग 800 लोग ‘लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस   एम.के1ए.’ की पहली उड़ान देखने के लिए एकत्र हुए। रनवे के किनारों पर खड़े लोगों ने देखा कि जब रूस में बने सुखोई एस.यू.-30 और नए तेजस एम.के1ए. ने आकाश में उड़ान भरी। कुछ करतब दिखाने के बाद विमान ने सुरक्षित लैंडिंग की। इस उड़ान को ‘तेजस का बपतिस्मा’ कहा गया। दोनों ओर खड़े दर्शक पानी की तोपों से विमान का पारंपरिक स्वागत कर रहे थे।

26 सितंबर को, चंडीगढ़ एयरफोर्स स्टेशन से 1,300 किलोमीटर दूर,वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने मिग-21 बाइसन की आखिरी उड़ान देखी। उस समय दो अन्य विमान भी साथ उड़ान भरे। यह मिग-21 के विदाई समारोह का प्रतीकात्मक क्षण था। वायुसेना के स्क्वाड्रन नंबर 23 और 28 ने अपने विमान की विस्तृत लॉगबुक  ‘फार्म 700’  को सौंप दिया। जिसमें एयर चीफ मार्शल सिंह के जीवनकाल तक की प्रत्येक मुरम्मत, निरीक्षण और रखरखाव का विवरण है  जो 1963 से उड़ान भर रहे लड़ाकू विमान की आधिकारिक तौर पर सेवानिवृत्ति का प्रतीक है। अपने अंतिम मिग-21 स्क्वाड्रन 23 पैंथर्स और नंबर 3 कोबरा की सेवानिवृत्ति के साथ  जो कुल मिलाकर 36 जैट विमानों का संचालन करते थे, भारतीय वायुसेना के पास 42 स्वीकृत क्षमता के मुकाबले 29 लड़ाकू स्क्वाड्रन हैं। यह 1960 के दशक के बाद से सबसे कम है।

मिग युग का अंत : मिग-21 विमानों की सेवानिवृत्ति के बाद वायुसेना के पास अब 29 लड़ाकू स्क्वाड्रन बचे हैं। नया तेजस विमान पुराने मिग-21 की जगह लेने वाला है लेकिन देरी के कारण भारतीय वायुसेना   में एक महत्वपूर्ण अंतराल उत्पन्न हो गया। मौजूदा तेजस एम.के.1ए. विमान कुछ वर्षों तक सेवा में रहेंगे, जब तक अगली पीढ़ी के विमान तैयार नहीं हो जाते। विशेषज्ञों का कहना है कि तेजस विमान बनाना भारत जैसे देशों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है लेकिन चीन जैसी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में उत्पादन अभी भी धीमा है। मिग की विरासत : मिग-21 के सेवा से हटने के साथ, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मिग की विरासत देश में स्वदेशी विमानों के निर्माण को प्रेरित करेगी। भारतीय वायुसेना द्वारा मिग-21 का निर्माण 1967 में शुरू हुआ था,जब तत्कालीन सोवियत संघ से लाइसैंस ट्रांसफर किया गया था। भारत में 872 मिग-21 बनाए गए। 1980 के दशक से ‘लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट’ परियोजना शुरू हुई  ताकि इन विमानों को प्रतिस्थापित किया जा सके। एच.ए.एल.के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डी.के.सुनील ने कहा,‘‘अब हमारा ध्यान पूरी तरह एल.सी.ए.कार्यक्रम पर है।’’ पूर्व वायुसेना कमांडर-इन-चीफ  एयर मार्शल दिलीप कुमार पटनायक ने कहा,‘‘अब स्वदेशी विमान और इंजन समाधान भारत की शीर्ष प्राथमिकता होनी चाहिए।’’तेजस एम.के.1ए.का डिजाइन 4 से 4.5 पीढ़ी के विमान के समान है। हालांकि एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट कार्यक्रम में देरी और समयसीमा की चुनौतियां बनी हुई हैं।

भारतीय वायुसेना का ध्यान केंद्रित: तेजस का पहला संस्करण  2001 में वायुसेना में शामिल हुआ। वर्तमान में, तेजस के 40 विमान वायुसेना के 45वें फ्लाइंग डैगर स्क्वाड्रन सूलर एयर फोर्स स्टेशन में सेवा दे रहे हैं। तेजस एम.के1ए जिसे उन्नत राडार और बेहतर इलैक्ट्रॉनिक प्रणाली से लैस किया गया है, फरवरी में पहली बार सामने आया। एयर चीफ  मार्शल ए.पी. सिंह ने कहा कि एच.ए.एल.अपने कार्यक्रम में देरी से जूझ रहा है। वर्तमान में एच.ए.एल.को जी.ई. एयरोस्पेस से प्रति माह दो जी.ई. 404 आई.एन. 20 इंजन मिल रहे हैं। योजना के अनुसार 83 एम.के.1ए. विमान 2029 तक सौंपे जा सकते हैं। अतिरिक्त 97 विमानों के लिए जी.ई. से बातचीत अंतिम चरण में है। वायुसेना की चुनौतियां और भविष्य की तैयारी : वायुसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘संतुलन बनाए रखने के लिए हमें हर साल लगभग दो स्क्वाड्रन (30 विमान) की आवश्यकता है। यह कमी तुरंत पूरी नहीं की जा सकती।’’ पिछले साल तक, वायुसेना ने 36 राफेल विमानों की तैनाती पूरी कर ली थी। लेकिन 2020 के बाद से कोई नया लड़ाकू विमान नहीं जोड़ा गया। भविष्य में, भारत एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट  पर काम कर रहा है  जो 5वीं पीढ़ी का स्टील्थ विमान होगा। इसकी पहली उड़ान अगले 5 वर्षों में होने की उम्मीद है।-सौरभ त्रिवेदी


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