जी-20 अध्यक्षता में भारत का सुरक्षित एवं समृद्ध भविष्य
punjabkesari.in Saturday, Sep 09, 2023 - 05:41 AM (IST)

एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य
जैसे -जैसे नई दिल्ली में जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन के आयोजन का समय निकट आ रहा है, स्वच्छ ऊर्जा का रुख करने में महत्वपूर्ण खनिजों की अहमियत के संबंध में आम सहमति बढ़ती जा रही है। गोवा में जी-20 ऊर्जा परिवर्तन मंत्रियों की बैठक के परिणाम दस्तावेज में ‘ऐसे महत्वपूर्ण खनिजों और सामग्रियों की विश्वसनीय, जिम्मेदार और टिकाऊ आपूर्ति शृंखला बनाए रखने की आवश्यकता’ पर ध्यान दिया गया है।
जो खनिज उपयोग की दृष्टि से महत्वपूर्ण होते हैं और जिनका कोई व्यवहार्य विकल्प नहीं होता, लेकिन जो देश की आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण होते हैं, उन्हें प्राय: महत्वपूर्ण खनिजों के रूप में परिभाषित किया जाता है। कोबाल्ट, लीथियम, सिलीकॉन, ग्रेफाइट और दुर्लभ मृदा तत्व (आर.ई.ई.) जैसे महत्वपूर्ण खनिजों का उपयोग सौर मॉड्यूल, पवन टर्बाइन और बैटरी जैसी स्वच्छ प्रौद्योगिकियों में किया जाता है। इन प्रौद्योगिकियों के उपयोग से 2030 तक 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म बिजली क्षमता और 2030 तक उत्सर्जन-तीव्रता को 2005 के स्तर से 45 प्रतिशत कम करने के भारत के संधारणीय या सतत् लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिल सकती है। इसलिए खनिज आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं और इन्हें आधुनिक सभ्यता की बुनियाद करार दिया जा सकता है।
स्वच्छ प्रौद्योगिकियों की बढ़ती मांग के कारण विभिन्न महत्वपूर्ण खनिजों के वैश्विक खनन में तेजी आई है। काऊंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमैंट एंड वाटर (सी.ई.ई.डब्ल्यू.) के सहयोग से मंत्रालय द्वारा संचालित एक अध्ययन के अनुसार, 2016 और 2022 के बीच लीथियम, आर.ई.ई. और कोबाल्ट जैसे प्रमुख खनिजों के वाॢषक उत्पादन में क्रमश: 240 प्रतिशत, 134 और 67 प्रतिशत वृद्धि हुई। कोबाल्ट, तांबा और निक्कल जैसे खनिजों के मामले में, वर्तमान खनन उत्पादन पहले से ही वैश्विक भंडार के 2 प्रतिशत से अधिक है।
हालांकि, महत्वपूर्ण खनिजों की वैश्विक आपूर्ति शृंखलाएं जटिल हैं और व्यापार संबंधी सरोकारों, भू-राजनीतिक कारकों और प्राकृतिक आपदाओं जैसे अप्रत्याशित व्यवधानों के प्रति असुरक्षित हो सकती हैं। हमारी आयात निर्भरता कम करने, राष्ट्रीय सुरक्षा सुदृढ़ बनाने और बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए घरेलू मूल्य शृंखला विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति शृंखला को सुरक्षित बनाना महत्वपूर्ण है। सहकारी संघवाद के लिए एक मिसाल कायम करते हुए सरकार ने संबंधित राज्य सरकारों के लिए राजस्व प्राप्ति सुनिश्चित करते हुए 24 महत्वपूर्ण खनिजों से संबंधित रियायतों की विशेष रूप से नीलामी करने का उत्तरदायित्व लिया है। इस उपाय से राज्य सरकार की राजस्व प्राप्तियों में सुधार होगा, जिससे उनकी राजकोषीय स्थिति को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन मिलेगा।
घरेलू व्यवस्थाओं को मजबूत बनाने के अलावा बहुपक्षीय और द्विपक्षीय संबद्धताओं के माध्यम से सहयोगपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय प्रयास लचीली और महत्वपूर्ण खनिज मूल्य शृंखला के निर्माण में मदद कर सकते हैं। लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में सामूहिक कार्रवाई महत्वपूर्ण है और सरकार महत्वपूर्ण खनिजों के संबंध में सक्रिय रूप से नई सांझेदारियां और गठबंधन बना रही है जैसे-खनिज सुरक्षा सांझेदारी (एम.एस.पी.)में भारत का प्रवेश, ऑस्ट्रेलिया-भारत आॢथक सहयोग और व्यापार समझौता (ई.सी.टी.ए.) तथा खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (के.ए.बी.आई.एल.)काचिली और अर्जेंटीना जैसे देशों में खनिज अधिग्रहण के अवसर तलाशने का प्रयास करना। भारत की जी-20 की अध्यक्षता के तहत प्रधानमंत्री का ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ का विजन सांझा भविष्य के लिए उत्सर्जन में कमी और जलवायु परिवर्तन शमन से संबंधित हमारे सांझा लक्ष्यों के महत्व को रेखांकित करता है।-प्रह्लाद जोशी(केंद्रीय कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री)
जी-20 का आयोजन ऐतिहासिक बन गया
देश -दुनिया में लोकप्रिय हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में, भारत की अध्यक्षता में जी-20 के आयोजन ने समग्र विकास की स्वॢणम रेखा खींची है। वैश्विक कल्याण के लिए भारत के दृष्टिकोण की विश्व आज सराहना कर रहा है। भारतीय अध्यक्षता में जी-20 का आयोजन ऐतिहासिक बन गया है।
इस वृहद आयोजन के दौरान जी-20 के कृषि कार्यसमूह (ए.डब्ल्यू.जी.) की बैठकें भी देश के कुछ प्रमुख शहरों में आयोजित की गईं, जिनमें कृषि वैज्ञानिकों-विशेषज्ञों तथा आला अधिकारियों के साथ ही जी-20 के सदस्य व विशेष आमंत्रित देशों के कृषि मंत्रियों ने शिरकत करके इस जी-20 आयोजन की थीम ‘एक पृथ्वी-एक परिवार-एक भविष्य’ की दिल खोलकर प्रशंसा करने के साथ ही समूचे कृषि परिदृश्य को किसानों-कृषि क्षेत्र की भलाई के लिए सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता जताई व इस पर आगे मिल-जुलकर काम करते रहने का संकल्प व्यक्त किया है। स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय, दोनों बाजारों की जरूरतों को पूरा करने वाली कृषि मूल्य शृंखलाओं का विस्तार और संवर्धन, न केवल खाद्य सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करने के लिए बल्कि भारत जैसे विकासशील देशों में गरीबी को कम करने के लिए भी एक सशक्त कार्यनीति है।
अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में विकास की तरह, कृषि विस्तार में ग्रामीण गरीबी से प्रभावी ढंग से निपटने की क्षमता है। परिणामत: विकासशील देशों में विकास, आर्थिक उन्नति और कृषि मूल्य शृंखलाओं के सुदृढ़ीकरण को प्राथमिकता देना किसानों के सामने आने वाली सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों के समाधान के लिए सबसे प्रभावशाली साबित हो सकता है। कुशलतापूर्वक संचालित कृषि मूल्य शृंखला छोटे पैमाने के किसानों को आवश्यक हितधारकों एवं उन्नत प्रक्रियाओं से जोड़ती है। यह उन्हें अन्य लाभों के साथ-साथ उच्च गुणवत्ता वाले कृषि इनपुट, अत्याधुनिक तकनीक, कड़े गुणवत्ता मानकों, सुविधाजनक ऋण विकल्प और प्रसंस्करण तथा बाजार के अवसरों के लिंक तक पहुंचने में सक्षम बनाता है। इसे समझते हुए, भारत ने अपनी जी-20 अध्यक्षता के तहत कृषि कार्य समूह के तत्वावधान में चर्चा के लिए उप-विषयों में से एक के रूप में समावेशी कृषि मूल्य शृंखला और खाद्य प्रणालियों को चुना। चर्चा छोटे व सीमांत किसानों के लिए आॢथक अवसरों को बढ़ाने के साथ-साथ महिलाओं और युवाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से अवसंरचना को मजबूत करने, प्रौद्योगिकी सांझाकरण और निवेश के माध्यम से मूल्य शृंखलाओं की लचीलापन और दक्षता बढ़ाने पर केंद्रित थी। भारत की अध्यक्षता इस संबंध में हुई यह पहल एक मील के पत्थर के रूप में है।
जी-20 देशों ने ऐसे स्केलेबल समाधानों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्धता जताई है, जो सतत् खाद्य प्रणालियों की दिशा में परिवर्तन का समर्थन करते हैं। जी-20 देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने टिकाऊ और मजबूत खाद्य प्रणाली स्थापित करने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने स्थानीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कृषि-खाद्य मूल्य शृंखलाओं को बढ़ाने और विविधीकरण का आह्वान किया, जिसका लक्ष्य भोजन, कृषि इनपुट और उत्पादों तक किफायती पहुंच की सुविधा प्रदान करना है।
कृषि कार्यसमूह ने बाजार में सुधार लाने, व्यापार विश्वास बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा एवं पोषण का समर्थन करने के लिए कृषि-खाद्य व्यापार के सुचारू प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए एक बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के महत्व को भी पहचाना। भोजन की हानि और बर्बादी का समाधान करना एक गंभीर मुद्दा है, जिससे कमियों को दूर करने की दिशा में एक उत्तरदायी प्रतिबद्धता की भावना आती है। उन्होंने प्रौद्योगिकी का उपयोग करके, ज्ञान सांझा करके, जागरूकता बढ़ाकर, समर्थन मांगकर और देशों में सर्वोत्तम परिपाटियों का आदान-प्रदान करके संपूर्ण मूल्य शृंखला में भोजन की हानि और बर्बादी को कम करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है।-नरेंद्र सिंह तोमर (कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, भारत सरकार)
बहुपक्षीय संगठनों को प्रभावी बनाने का ठोस कदम
भारत ने दिसंबर 2022 में जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण की-एक ऐसा समय, जब दुनिया जलवायु आपातकाल का सामना कर रही थी, महामारी के प्रभाव से जूझ रही थी और बढ़ते ध्रुवीकरण, भू-राजनीतिक संघर्ष और शक्ति संतुलन के बीच विभाजित थी। सतत् विकास लक्ष्यों (एस.डी.जी.) की प्रगति की असफलता से स्थिति और गंभीर हो गई, जिनके कारण सरकारों तथा नीति निर्माताओं को अतिरिक्त बोझ का सामना करना पड़ा। इस जटिल परिदृश्य में, बहुपक्षीय संगठनों को अपनी भूमिका को प्रभावी बनाने के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जो अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को विकसित और मजबूत करने में एक सतत् संघर्ष के रूप में सामने आया। समय बीतने के साथ, राष्ट्रों के अलग-अलग रास्तों ने ब्रिक्स, क्वाड, आसियान जैसे विभिन्न बहुपक्षीय मंचों के गठन को प्रेरित किया, जो एक तरफ तो क्षेत्रीय सहयोग को सुविधाजनक बनाते हैं, वहीं दूसरी तरफ विभाजित बहुपक्षीय व्यवस्था की जटिलताओं को बढ़ाते हैं।
इन व्यापक संकटों की पृष्ठभूमि में, बहुपक्षीय संगठनों में सुधार और सुदृढ़ीकरण की तत्काल आवश्यकता हो गई है। इस प्रयास में, न केवल बहुपक्षीय संगठनों को उनकी भूमिका के लिए मजबूती देना, बल्कि वैश्विक राजनीति और शक्ति संतुलन को अच्छी तरह से समझना भी शामिल हैं। आर्थिक और बहुपक्षीय सहयोग के एक प्रमुख मंच के रूप में, जी-20 विकसित, उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के व्यापक आयाम का प्रतिनिधित्व करता है तथा मजबूत बहुपक्षीय संवादों के माध्यम से दुनिया की सबसे गंभीर चुनौतियों का समाधान करने से जुड़ी अपनी महत्वाकांक्षा की जिम्मेदारी लेता है, जिनसे सभी सदस्य देश लाभांवित होते हैं। अपनी अध्यक्षता के दौरान, भारत ने बहुपक्षीय कूटनीति के भरोसेमंद भविष्य की दिशा में वैश्विक चर्चाओं को आगे बढ़ाने के लिए खुद को समर्पित करते हुए, इस एजैंडे को अपनी महत्वपूर्ण प्राथमिकताओं में से एक के रूप में प्रमुखता दी है।
पूरे वर्ष के दौरान, इस एजैंडे के विभिन्न घटकों पर ठोस प्रगति हासिल की गई। जर्मनी की अध्यक्षता के तहत, जी-20 विदेश मंत्रियों की वार्षिक बैठक की शुरूआत की गई थी। अपनी स्थापना के बाद से ही यह बैठक एक प्रथागत कार्यक्रम रही है, लेकिन भारत ने व्यापक विचार-विमर्श करने के बाद तैयार किए गए जी-20 विदेश मंत्रियों के दस्तावेज और अध्यक्षीय सारांश (एफ.एम.एम. ओ.डी.सी.एस.) को अपनाने वाला पहला देश होने की उपलब्धि हासिल की है। सदस्य देशों के लिए, इस व्यापक दस्तावेज में प्रासंगिक महत्वपूर्ण विषयों पर प्रकाश डाला गया है, जिनमें बहुपक्षीय संगठनों को मजबूत करना, आतंकवाद का मुकाबला करना और वैश्विक स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान करना शामिल हैं। यह उपलब्धि विदेश मंत्रियों के सहयोग से एक ऐसी मजबूत बहुपक्षीय प्रणाली बनाने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है, जो सभी देशों के हितों को पूरा करती हो। 125 देशों की भागीदारी के साथ, 10 सत्रों में चले इस दो दिवसीय ऐतिहासिक कार्यक्रम ने प्रतिभागी देशों को विकासशील दुनिया की चिंताओं, विचारों, चुनौतियों और प्राथमिकताओं को पेश करने का एक मंच प्रदान किया।-नृपेंद्र मिश्रा (पूर्व प्रमुख सचिव, प्रधानमंत्री कार्यालय)