भारत का कोविड वैक्सीन अभियान दुनिया के लिए एक सबक

punjabkesari.in Wednesday, Mar 01, 2023 - 05:10 AM (IST)

जब 2020 की शुरूआत में कोविड-19 शुरू हुआ, तो अधिकांश विशेषज्ञों ने भविष्यवाणी की कि भारत विनाशकारी परिणामों का सामना कर सकता है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तिगत और निरंतर पर्यवेक्षण के तहत सरकार की अभूतपूर्व और असाधारण प्रतिक्रिया ने ऐसी कयामत की भविष्यवाणियों को झूठा साबित किया। विकसित और विकासशील दुनिया दोनों के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी लचीलेपन का एक उदाहरण स्थापित करते हुए भारत महामारी से मजबूत होकर उभरा।

जब चीन सहित कई विकसित देश कोविड-19 प्रबंधन से जूझ रहे थे, महामारी से सफलतापूर्वक निपटने में अब दुनिया भर में पी.एम. मोदी की सफलता की कहानी का हवाला दिया जा रहा है। भारत न केवल अपनी आबादी की रक्षा करने में सफल रहा, बल्कि उसने अन्य देशों को टीके भी भेजे। इस प्रकार भारत ने  दुनिया के सामने दो साल के भीतर पहली बार डी.एन.ए. वैक्सीन और नेजल ड्रॉप वैक्सीन विकसित करने की अपनी क्षमता साबित कर दी।

इसलिए पी.एम. मोदी के तहत कोविड वैक्सीन यात्रा की सफलता की कहानी एक केस स्टडी है। महामारी की शुरूआत में, यह स्पष्ट था कि टीके वायरस के प्रसार का मुकाबला करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। वैश्विक स्तर पर, उद्योग और शिक्षा जगत द्वारा वैक्सीन विकास के प्रयासों ने गति पकड़ी। प्रभावशाली रूप से, कोविड-19 वैक्सीन के विकास में भारतीय प्रयास वैश्विक विकास के बराबर थे।

जनवरी 2021 की शुरूआत में सरकार द्वारा कोविड-19 के लिए भारत के पहले टीकों, कोवैक्सीन और कोविशील्ड, को आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण (ई.यू.ए.) प्रदान किया गया था। पहली खुराक जनवरी 2021 के मध्य में दी गई थी, बाकी एक अरब खुराकों का इतिहास है। भारत के टीकाकरण कार्यक्रम को दो चुनौतियों का सामना करना पड़ा। एक तरफ एक अरब से ज्यादा लोगों को टीका लगाना चुनौतीपूर्ण था, दूसरी तरफ भारत से बाहर निर्मित कोविड-19 टीके आसानी से उपलब्ध और सस्ते नहीं थे।

इस परिदृश्य में, केंद्र सरकार की अनुकरणीय दृष्टि और नेतृत्व महत्वपूर्ण थे। सर्वसम्मति से यह महसूस किया गया कि कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए स्वदेशी क्षमताओं का लाभ उठाया जाना चाहिए। सरकार ने महामारी से लडऩे के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरू किया और एक विशेष आर्थिक पैकेज तैयार किया गया। महामारी के विरुद्ध व्यापक प्रतिक्रिया के लिए उपलब्ध संसाधनों को दिशा और स्वदेशी वैक्सीन के तेजी से विकास को प्राथमिकता दी गई।

मिशन कोविड सुरक्षा के समय पर लॉन्च ने भारत के लिए कोविड-19 टीकों के त्वरित विकास को सक्षम बनाया। भारत में कोविड-19 वैक्सीन विकास के प्रयासों को मजबूत करने के लिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डी.बी.टी.) को नोडल विभाग के रूप में मान्यता दी गई। डी.बी.टी. ने जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बी.आई.आर.ए.सी./ बाइरैक) में एक समॢपत मिशन कार्यान्वयन इकाई के माध्यम से इस मिशन को कार्यान्वित किया।

उद्योग और शिक्षा जगत के बीच की खाई को पाटने के लिए बाइरैक ने उद्योग, शिक्षा जगत और सरकार के हितधारकों को टीका विकास और उत्पादन पर सहयोग करने में मदद की।नैशनल बायोफार्मा मिशन और इंड-सी.ई.पी.आई. मिशन (इंडिया सैंट्रिक एपिडैमिक प्रिपेयर्डनैस मिशन को ग्लोबल कोएलिशन फॉर एपिडैमिक प्रिपेयर्डनैस इनोवेशंस के साथ जोड़कर) को मिशन कोविड सुरक्षा के तहत विस्तारित और समेकित किया गया था।

मिशन कोविड सुरक्षा ने चार टीके विकसित किए हैं और भविष्य के टीके के विकास के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा तैयार किया है। इस मिशन के तहत जिन उल्लेखनीय टीकों को ई.यू.ए. प्राप्त हुआ है, वे हैं ZyCoV-D (दुनिया की पहली डी.एन.ए. वैक्सीन), CORBEVAXTM (एक प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन), GEMCOVAC™-19 (हीट स्टेबल mRNA-आधारित वैक्सीन) और iNCOVACC (भारत की पहली नेजल वैक्सीन)। इसके अलावा, डी.बी.टी. के दो स्वायत्त संस्थानों, ट्रांसलेशनल हैल्थ साइंस एंड टैक्नोलॉजी इंस्टीच्यूट (टी.एच.एस.टी.आई.), फरीदाबाद और नैशनल इंस्टीच्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी (एन.आई.आई.), नई दिल्ली ने वैक्सीन निर्माताओं को उनके वैक्सीन उम्मीदवारों के सत्यापन के लिए पशु मॉडल और इम्यूनोलॉजिकल और न्यूट्रलाइजेशन जांचें प्रदान कीं।

महामारी के खिलाफ भारत की प्रतिक्रिया ने हमारे वैज्ञानिक और तकनीकी कौशल की अंतॢनहित ताकत को उजागर किया। डी.बी.टी. इस प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण प्रवर्तक रहा है। महामारी के दौरान डी.बी.टी. द्वारा निर्मित और पोषित एंड-टू-एंड वैक्सीन विकास और विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र का इष्टतम उपयोग किया गया था। इसके अलावा, भारतीय विज्ञान एजैंसियों द्वारा निर्मित और पोषित मजबूत अनुसंधान और अनुवाद पारिस्थितिकी तंत्र आत्मनिर्भर भारत का आधार होगा।

मोदी सरकार समाज के लिए नए उत्पादों और प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी के साथ एक अभिनव, जीवंत और एकीकृत विज्ञान और अनुवाद पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। -जितेंद्र सिंह (केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), विज्ञान एवं तकनीक तथा पृथ्वी विज्ञान)


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