‘चुनौतियों का मुकाबला करने के बाद भारत विकास की डगर पर’

punjabkesari.in Tuesday, Dec 15, 2020 - 04:50 AM (IST)

इन दिनों दुनिया के प्रमुख  आर्थिक एवं शोध संगठनों द्वारा प्रकाशित की जा रही विभिन्न अध्ययन रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि वर्ष 2020 के दौरान कोरोना की अप्रत्याशित आर्थिक चुनौतियों का सफल मुकाबला करते हुए अब भारत विकास की डगर पर आगे बढ़ रहा है। हाल ही में 9 दिसम्बर को प्रसिद्ध वैश्विक ब्रोकरेज हाऊस नोमुरा ने अपनी अध्ययन रिपोर्ट में कहा है कि भारत में कोविड-19 की चुनौतियों का सामना करने की सही रणनीति से चक्रीय आर्थिक सुधार ऊंचाई पर है, परिणामस्वरूप वर्ष 2021 में भारत की विकास दर 9.9 प्रतिशत होगी।

चीन की विकास दर 9  प्रतिशत और सिंगापुर की विकास दर 7.5 प्रतिशत होगी। ऐसे में भारत एशिया की सबसे तेजी से बढऩे वाली अर्थव्यवस्था बन सकता है। इसी तरह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम.एफ.) की रिपोर्ट में कहा गया है कि यद्यपि वर्ष 2020-21 में कोविड-19 के कारण भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) में गिरावट आएगी, लेकिन भारत ने कोरोना संकट से निपटने के लिए जिस तेजी से सुधार के कदम उठाए हैं, उससे आगामी वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत 8.8 फीसदी की विकास दर हासिल करने की संभावनाओं को मुट्ठियों में लेते हुए दुनिया की सर्वाधिक विकास दर वाला देश दिखाई दे सकता है। 

गौरतलब है कि कोविड-19 की महाआर्थिक त्रासदियों के कारण वर्ष 2020 देश के आॢथक इतिहास का सबसे बुरा वर्ष रहा है। जब वर्ष 2020 की शुरूआत हुई तो जनवरी माह में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम.एफ.), वल्र्ड बैंक तथा दुनिया के अनेक वैश्विक संगठन यह कहते हुए दिखाई दे रहे थे कि वर्ष 2019 की आर्थिक निराशाओं को बदलते हुए वर्ष 2020 में भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन सुधरेगा, लेकिन  ऐसी सब उम्मीदें धरी रह गईं। फरवरी 2020 के बाद जैसे-जैसे देश के सामने कोविड-19 की चुनौतियां बढऩे लगीं वैसे-वैसे देश में अकल्पनीय आॢथक निराशा का दौर बढऩे लगा। 

ऐसे में 19 फरवरी को देश में कोरोना वायरस के संकट से उद्योग कारोबार की बढ़ती मुश्किलों के मद्देनजर वित्त मंत्रालय ने कोरोना को प्राकृतिक आपदा घोषित किया। चूंकि भारतीय दवा उद्योग, वाहन उद्योग, कैमिकल उद्योग, खिलौना कारोबार तथा इलैक्ट्रिकल एवं इलैक्ट्रॉनिक्स कारोबार प्रमुख रूप से चीन से आयातित कच्चे माल एवं वस्तुओं पर आधारित रहे हैं और  इनकी आपूर्ति रुकने से ये उद्योग-कारोबार मुश्किलों का सामना करते हुए दिखाई दिए और इन क्षेत्रों में रोजगार चुनौतियां बढ़ गईं। इतना ही नहीं, देश में पहली बार प्रवासी श्रमिकों की अकल्पनीय पीड़ाएं देखी गईं। 

इन आर्थिक एवं रोजगार चुनौतियों के बीच कोविड-19 के संकट से चरमराती देश की अर्थव्यवस्था के लिए आत्मनिर्भर अभियान के तहत वर्ष 2020 में सरकार ने एक के बाद एक 29.87 लाख करोड़ की राहतों के ऐलान किए। इन राहतों के तहत आत्मनिर्भर भारत अभियान- एक के तहत 11,02,650 करोड़ रुपए, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत 1,92,800 करोड़ रुपए, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 82911 करोड़ रुपए, आत्मनिर्भर भारत अभियान- दो के तहत 73,000 करोड़ रुपए, आर.बी.आई. के उपायों से राहत के तहत 12,71,200 करोड़ रुपए तथा आत्मनिर्भर भारत अभियान- तीन के तहत 2.65 लाख करोड़ की राहत शामिल है। तीसरे आर्थिक पैकेज में दो तरह की राहतें शामिल हैं। एक, 10 उद्योग क्षेत्रों के लिए 1.46 लाख करोड़ रुपए की उत्पादन सम्बद्ध प्रोत्साहन (पी.एल.आई.) स्कीम और दो, अर्थव्यवस्था को गतिशील करने के लिए रोजगार सृजन, ऋण गारंटी समर्थन, स्वास्थ्य क्षेत्र के विकास, रियल एस्टेट कम्पनियों को कर राहत, ढांचागत क्षेत्र में पूंजी निवेश की सरलता, किसानों के लिए उर्वरक सबसिडी, ग्रामीण विकास तथा निर्यात सैक्टर को राहत देने के 1.19 लाख करोड़ रुपए के प्रावधान लाभपूर्ण दिखाई दिए हैं। 

यदि हम अप्रैल 2020 से दिसम्बर 2020 तक के विभिन्न औद्योगिक एवं सेवा क्षेत्र के आंकड़ों का मूल्यांकन करें तो यह पूरा परिदृश्य आशान्वित होने की नई संभावनाएं देता है। स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून के बीच विकास दर में 23.9 फीसदी की गिरावट आई। फिर दूसरी तिमाही यानी जुलाई से सितम्बर 2020 में विकास दर 7.5 फीसदी की गिरावट आई। लेकिन चालू वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही में तेज सुधार की उम्मीदों का परिदृश्य दिखाई दिया है। 

नि:संदेह कोरोना महामारी के बीच भारत ने आपदा को अवसर में भी बदला है। ऐसे में वर्ष 2020 के अंतिम सोपान पर देश के कोविड-19 की आॢथक महात्रासदी से बाहर निकलकर विकास की डगर पर आगे बढऩे का परिदृश्य दिखाई दे रहा है। हम उम्मीद करें कि वर्ष 2021 में सरकार आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घोषित किए गए विभिन्न आॢथक पैकेजों के क्रियान्वयन पर पूरा ध्यान देगी और आर्थिक विकास के लिए हरसंभव कदम उठाएगी। इससे अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाया जा सकेगा तथा आगामी वर्ष 2021 में भारत तेजी से विकास दर बढऩे वाले देश के रूप में चिन्हित हो सकेगा।-डा. जयंतीलाल भंडारी
 


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