उच्च शिक्षण संस्थानों में यौन उत्पीड़न के बढ़ते मामले चिंताजनक

punjabkesari.in Wednesday, Jan 05, 2022 - 06:06 AM (IST)

देश की राजधानी में स्थित नामचीन जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जे.एन.यू.) की आंतरिक शिकायत समिति (आई.सी.सी.) ने यौन उत्पीडऩ पर काऊंलिंग सत्र के आयोजन पर एक सर्कुलर जारी किया है, जिसमें कहा गया कि यौन उत्पीडऩ से बचने के लिए महिलाओं को जानना चाहिए कि पुरुष दोस्तों के साथ कैसे दायरा बनाना है। छात्राओं के साथ ही राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी इस सर्कुलर को महिला विरोधी बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की है। 

इस सर्कुलर में कहा गया है कि यौन उत्पीडऩ के मामले में महिलाओं को खुद ही अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। महिलाओं को पता होना चाहिए कि इस तरह के उत्पीडऩ से बचने के लिए उन्हें अपने व पुरुष दोस्तों के बीच वास्तविक रेखा कैसे खींचनी है? ‘आई.सी.सी.’ के समक्ष ऐसे कई मामले आए हैं, जहां करीबी दोस्तों के बीच यौन उत्पीडऩ हुआ है। संबंधित पक्ष आमतौर पर (जाने-अनजाने) दोस्ती और यौन उत्पीडऩ के बीच की महीन रेखा को लांघ देते हैं। 

विश्वविद्यालय या कॉलेज परिसर में किसी भी उम्र की कोई भी महिला (छात्रा, शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारी) यौन उत्पीडऩ की शिकायत दर्ज करा सकती है। कार्यस्थलों के अलावा विश्वविद्यालयों को भी यौन उत्पीडऩ को रोकने के लिए काम करना होगा। विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे अपने यौन उत्पीडऩ नियमों को भारतीय कानून के यौन उत्पीडऩ नियमों के अनुकूल बनाएं, यौन उत्पीडऩ की शिकायतों को गंभीरता से लें, दोषी को कठोर दंड दें और यह सुनिश्चित करें कि वे कानूनन जरूरी कार्रवाइयों का पालन करें। 

वे महिला कर्मचारियों और छात्राओं में सुनिश्चित करें कि यौन उत्पीडऩ का शिकार होने की स्थिति में उन्हें क्या करना है और किसको शिकायत करनी है, परिसर अच्छी तरह से प्रकाशयुक्त है, सुरक्षित और भय-रहित है, एक आंतरिक शिकायत समिति की स्थापना, प्रशिक्षण और रख-रखाव करना, वार्षिक वस्तुस्थिति (स्टेटस) रिपोर्ट तैयार करना और अद्र्धवाॢषक समीक्षा करना कि यौन उत्पीडऩ की नीतियां किस हद तक ठीक काम कर रही हैं। राज्य सरकारें इससे जुड़े नियमों की पालना में शिथिलता न दिखाएं।

पुष्ट रिपोर्टों के अनुसार, विदेशी विश्विद्यालयों में भी यौन हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं। ब्रिटेन के 100 विश्वविद्यालयों में हाल ही में हुए 2 ऑनलाइन सर्वे में पुरुष छात्रों ने पिछले 2 साल के दौरान बलात्कार, उत्पीडऩ या किसी अन्य यौन अपराध में लिप्त होने की बात स्वीकार की। 554 छात्रों पर किए गए सर्वे में 63 ने महिलाओं के प्रति दकियानूसी सोच जाहिर करते हुए माना था कि उन्होंने कभी न कभी यौन हिंसा की है। 

ब्रिटेन स्थित ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय का नाम दुनिया के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों के रूप में होता है, लेकिन एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यहां छात्राओं का यौन उत्पीडऩ सबसे ज्यादा होता है। समाचार पत्र ‘द गार्डियन’ ने ऑक्सफोर्ड सहित ब्रिटेन के 120 विश्वविद्यालयों से सूचना की स्वतंत्रता के तहत जानकारी मांगी थी। जवाब में पाया गया कि विद्यार्थियों ने शैक्षणिक सत्र 2011-12 से 2016-17 के दौरान कर्मचारियों के खिलाफ यौन उत्पीडऩ, लैंगिक आधार पर दुव्र्यवहार और हिंसा के करीब 169 आरोप लगाए। जबकि इसी तरह के 127 आरोप साथी कर्मचारियों के खिलाफ भी लगाए गए। 

सैंकड़ों पीड़ितों ने कहा कि उन्हें रोजाना आधिकारिक तौर पर अपनी शिकायत वापस लेने या मामले को अनौपचारिक रूप से रफा-दफा करने के लिए कहा जा रहा है। कई विद्यार्थियों ने बताया कि शिक्षा या करियर पर पडऩे वाले असर के डर से अधिकतर शिकायतें की ही नहीं जातीं। 

आंकड़े बताते हैं कि देश के अनेक विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में यौन उत्पीडऩ के मामलों में वृद्धि हुई है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू.जी.सी.) के आंकड़ों के अनुसार, 2017 में यौन उत्पीडऩ के 149 मामले विश्वविद्यालयों और 39 मामले कॉलेजों एवं अन्य संस्थानों में दर्ज किए गए। साल 2016 में 94 ऐसे मामले विश्वविद्यालयों और 18 मामले कॉलेजों और संस्थानों में दर्ज किए गए थे। 2017 में रैङ्क्षगग के 901 मामले दर्ज किए गए, जबकि 2016 में रैङ्क्षगग के 515 मामले सामने आए थे। 

यू.जी.सी. के नियम के अनुसार, अपराध होने के 3 महीने के अंदर संबंधित कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में शिकायत दर्ज की जानी चाहिए। नियमों का पालन करने में असफल रहने वाले संस्थानों को फंड में कटौती सहित अन्य कार्रवाई का सामना करना होगा। कॉलेज या विश्वविद्यालय की आंतरिक समिति 90 दिनों के भीतर अपनी जांच पूरी करने के लिए जिम्मेदार है और अधिकारियों को 30 दिनों के भीतर कार्रवाई करनी होगी। आरोपी यदि दोषी पाया जाता है तो विश्वविद्यालय या कॉलेज उस छात्र को बर्खास्त कर सकता है, जबकि कर्मचारी या शिक्षक के मामले में सर्विस नियम के अनुसार कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।-डा.वरिन्द्र भाटिया
 


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