भारत में धर्मांतरण कैसे रोका जा सकता है?
punjabkesari.in Thursday, Dec 21, 2023 - 06:42 AM (IST)
संभव है कि हम भारतीयों ने कभी विचार ही नहीं किया होगा कि हम भारतवासियों को विदेशी धर्मों वालों ने अपने धर्म में परिवर्तित क्यों और कैसे कर लिया? विदेशियों ने हमें परिवर्तित इसलिए कर लिया; क्योंकि, हमने उनको परिवर्तित नहीं किया (हिन्दू, सिख, जैन, बौद्ध नहीं बनाया) यदि हमने उनको, अपने धर्म में परिवर्तित किया होता, तो वह हमें परिवर्तित नहीं कर पाते। मेरी बात विलक्षण तथा नई होने के कारण, शायद आपको मंजूर नहीं होगी। यदि आप इस बात पर विचार करेंगे तो अवश्य सहमत हो जाएंगे।
प्रकृति का अटल नियम है जो सभी जीवों पर लागू होता है ‘खाओ, नहीं तो खाए जाओगे’। इसलिए, यदि हमें जीवित रहना है तथा प्रगति करनी है तो दूसरों को खाना अत्यंत आवश्यक है। सभी जीव किसी न किसी रूप में ऐसा करके ही जीवित रह पाते हैं। अपने को दयालु तथा सभ्य समझने वाले मनुष्य ने आजतक जितनी भी प्रगति की है या फिर पृथ्वी पर राज किया है वह बाकी जीवों को खाकर या उनका उपयोग करके ही किया है।
इसी प्रकार से आज तक जितने भी धर्मों ने प्रगति की हैं, दूसरों को खाकर (धर्मांतरण करके) ही की है। जीवन की इस अटल सच्चाई व प्रकृति के नियमों को मंजूर करते हुए और अपनी सुरक्षा के लिए; हमें दूसरे पर आक्रमण करना अत्यंत आवश्यक है। अंग्रेजी की एक कहावत है ' Best defence is the best offence' यह कहावत हाकी, फुटबाल आदि खेलने वाले खिलाड़ी उपयोग करते हैं। इसका अर्थ है ‘आपकी सुरक्षा तभी है, जब आप दूसरी टीम पर आक्रमण करके रखोगे ताकि उनकी गेंद इधर आ ही न पाए।’ इसी प्रकार से प्रकृति का यह नियम है कि आक्रमण इतना करके रखो कि दूसरा, आपकी ओर आ ही नहीं पाए।
हम भारतवासी धर्मों ने आक्रमण तो क्या करना था, हमने तो जो विदेशी धर्म आए,उनको शरण देकर, उनको ही प्रफुल्लित किया। विदेशी धर्मों के प्रचार हेतु, भारतीय राजाओं ने उनको धर्म-स्थान बनवा कर दिए तथा अपने ऊपर आक्रमण करने के लिए हर प्रकार से उनकी सहायता की। उनका टैक्स (कर) माफ कर दिया; जबकि भारतवासियों का माफ नहीं किया। पृथ्वी राज चौहान ने ‘मुहम्मद गौरी’ तथा राजा रत्न राव ने ‘अलाऊदीन खिलजी’ जैसे विदेशी धर्मों वाले विदेशी हमलावर विरोधियों को जीवित छोड़ दिया। हमारी ऐसी गलतियों के कारण ही विदेशी धर्मों वाले लोग (मुहम्मद गौरी और अलाऊदीन खिलजी आदि) हमारे राजा बने तथा उनके राजा बनने से,विदेशी धर्म भारत में प्रफुल्लित हो पाए।
विदेशी लोगों ने हम भारतीयों पर काबिज होकर, हमारे देश को गुलाम बनाया और भारतीयों से ही कर(टैक्स) लेकर, उसी आमदनी से हम भारतीयों का धर्मांतरण कर दिया तथा हमारी सभ्यता नष्ट कर दी। सभी जीवों पर लागू होने वाले प्रकृति के अटल नियमों को हमें भी परवान कर लेना चाहिए कि आक्रमण करके रखोगे, तभी आपकी सुरक्षा होगी। यदि आप आक्रमण नहीं करोगे, तो दूसरा आप पर आक्रमण कर देगा। इस लिए, भारतीय धर्मों का धर्मांतरण रोकने हेतु, हमें धर्मांतरण करने वालों का ही धर्मांतरण कर; उन्हें अपने धर्म में शामिल करना चाहिए था और अभी भी करना चाहिए। क्योंकि, आक्रमण से ही सुरक्षा है।
भारतीय धर्मों के पास पैसे की कमी नहीं है, प्रगति करने वाली सोच की कमी है। उस कमी को दूर करके, अपने भारतीय धर्मों को बढ़ाना चाहिए। मंदिर-गुरुद्वारों में जो भी कीमती पत्थर, चंदोए, सोना, चांदी आदि लगते हैं, वह अधिकतर माया अपने धर्म के प्रसार के लिए लगनी चाहिए। भारतीयों को अपनी ‘धर्म निरपेक्ष, दयालु तथा त्यागी’ सोच को बदलकर धार्मिक, आक्रामक, लालची तथा अपना धर्म बढ़ाने वाली सोच अपनानी चाहिए तभी भारतीय धर्मों की सुरक्षा तथा उन्नति हो सकती है।
आक्रामक वृत्ति होने के कारण ही आज ईसाई भाइयों के 80 देश हैं तथा मुसलमान भाइयों के 32 देश हैं। जबकि, हमारी अन-आक्रामक व भोली-भाली वृत्ति होने के कारण, हमारा तो भारत देश भी भारतीय धर्मों के लिए ‘अपना’ नहीं बचा है। इसलिए, भारतीय धर्मों वालो! हम भारतीयों को अपने देश में विदेशी धर्मांतरण रोकने हेतु, विदेशी धर्म वालोंं का अपने भारतीय धर्मों में ‘धर्मांतरण’ करना अत्यंत आवश्यक है। ऐसा करके ही भारतीय धर्म जीवित रह सकते हैं तथा धर्मांतरण रुक सकता है। -ठाकुर दलीप सिंह जी