‘नशे की मंडी’ बनता जा रहा हिमाचल

punjabkesari.in Thursday, Sep 12, 2019 - 12:37 AM (IST)

पिछले लम्बे अर्से से नशे का कारोबार करने वाले मौत के सौदागरों ने अब हिमाचल को नशे की मंडी बना कर रख दिया है। शांत और शिक्षित हिमाचल प्रदेश के युवा गबरू एक बड़ी साजिश के तहत नशे की गर्त में धकेले जा रहे हैं। ऊपर से नीचे तक प्रदेश में पसरे नशा माफिया को सत्ता का संरक्षण मिलने के भी आरोप लगे हैं। ऐसे में सरकार की नैतिक जिम्मेदारी बन जाती है कि विकराल रूप से गंभीर हो चुकी समस्या की रोकथाम के लिए तत्काल इस प्रभाव से प्रभावी कदम उठाए और ऐसे में जब सत्तासीन पार्टी से जुड़े अहम लोगों के परिजनों पर नशे के मामले दर्ज हो रहे हैं तो समझने और कहने की जरूरत नहीं रह जाती है कि नशे के सौदागरों के तार कहां और कैसे जुड़े हैं। 

पिछले दिनों हिमाचल के हर बुद्धिजीवी ने सोशल मीडिया पर नशे के सौदागरों के बारे में विस्तृत जानकारियों का आदान-प्रदान किया है। सोशल मीडिया से मिले संकेतोंं को सरकार को समझने की जरूरत है। पिछले 6 महीने में घातक नशे के मामलों का अगर मैं जिक्र करूं तो कुल 1341 मामले एन.डी.पी.एस. एक्ट में दर्ज हुए हैं। प्रदेशभर में कांगड़ा की स्थिति बद से बदतर हुई है। अकेले कांगड़ा जिला में नशे के 269 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि हमीरपुर में सबसे कम 53 मामले दर्ज हुए हैं, लेकिन हमीरपुर जैसे शांत व शिक्षित जिला के लिए  यह आंकड़ा बहुुत बड़ा है। 

इसी कड़ी में बद्दी में 57, बिलासपुर में 96, चंबा में 91, मंडी में 156, कुल्लू में 165, किन्नौर में 31, शिमला में 165, सिरमौर में 58, सोलन में 86, ऊना में 106 मामले एन.डी.पी.एस. एक्ट के तहत दर्ज किए गए हैं, जिनमें चरस, पोपी हस्क, गांजा, हैरोइन, स्मैक, ब्राऊन शूगर, कोकीन, अफीम, पोपी प्लांट्स, कैनबिश प्लांट्स, नशे की गोलियां, कैप्सूल-सिरप, इंजैक्शन आदि विभिन्न माध्यमों के नशे के मामले दर्ज हुए हैं। 

नशे के मामलों के ये आंकड़े बताते हैं कि अब नशे की गर्त में हिमाचल को डुबोने की साजिश चरम पर है। करीब-करीब हर घर तक नशा पहुंचाने के इंतजाम माफिया ने कर लिए हैं। यही कारण है कि आज हर तीसरे रोज हिमाचल के किसी न किसी शहर, कस्बे व गांव से नशे के शिकार हुए युवाओं की लाशें उठ रही हैं। ऐसे युग में जब प्रचलन करीब-करीब इकलौती औलादों का है, जब इकलौती औलाद पर नशा माफिया कहर बरपाता है तो सारे परिवार की भरी-पूरी दुनिया को तबाह कर जाता है। 

मुझे यहां कहने में कोई संकोच नहीं है कि नशे के सौदागरों की धरपकड़ के लिए जो कदम हिमाचल में उठाए जा रहे हैं वे नाकाफी हैं। शुक्रगुजार हूं कि अदालती प्रक्रिया के डंडे के खौफ  से सिस्टम अपना काम करने को लाचारी के बावजूद मजबूर है, अन्यथा जिस तरह से सत्ताधारी पार्टी के लोगों पर नशा माफिया के संरक्षण के आरोपों की चर्चा ने जोर पकड़ा है उससे तो किसी भी कार्रवाई की उम्मीद करना बेफिजूल ही था। नशे के साथ-साथ बाहरी प्रांतों के लोगों की किसी न किसी सूरत में दखल ने भी हिमाचल की सूरत-सीरत व सोहबत बदली है। मोटे लालच के कारण बिना किसी रजिस्ट्रेशन के लाखों बाहरी कामगार अब हिमाचल में डेरा जमाए बैठे हैं। प्रदेश में खैनी और गुटखा पर पूर्ण प्रतिबंध है लेकिन हैरान कर देने वाला मामला यह है कि गांव से शहर तक खैनी और गुटखे का कारोबार भी बिना किसी रोक-टोक के ब्लैक में चल रहा है। 

ब्लैक कारनामों का ब्लैक धंधा और उस पर मोटी कमाई का फंडा इसको सिखाने के लिए काफी हद तक बाहरी प्रांतों से हिमाचल में बैठे लोगों की सोहबत व संगत भी हिमाचल की सत्तासीन पार्टी से जुड़े नशे के कारोबारियों के लिए सोने पर सुहागा साबित हुई है, क्योंकि बाहरी प्रांतों से पहुंचे लोगों ने अपराध की पाठशाला हिमाचल के हर छोटे-बड़े कस्बे में स्थापित कर दी है। प्रत्यक्ष रूप से भले ही वे मिठाइयों या अन्य कारोबारों में व्यस्त लगते हैं, लेकिन कहीं न कहीं परोक्ष रूप से अपराध का पाठ पढ़ाने की पाठशाला साबित हुए हैं। 

ऐसे में नशे की गर्त में डूबते को बचाना हर राजनीतिक व गैर राजनीतिक व्यक्ति का काम है। मैं प्रदेश की जनता से आह्वान करता हंू कि सरकार न सही, अगर समाज ही हमारे साथ उठ खड़ा हो तो निश्चित तौर पर नशे में डुबोने वाले माफिया को हम हिमाचल से खदेडऩे में सफल होंगे।-राजेन्द्र राणा (विधायक हिमाचल प्रदेश)


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