राजनीतिक परेशानियों की ओर अग्रसर हिमाचल सरकार

punjabkesari.in Saturday, Jul 23, 2016 - 01:10 AM (IST)

(डा. राजीव पत्थरिया): भले ही बहुमत से हिमाचल प्रदेश की सरकार की कमान आज कांग्रेस पार्टी के हाथों में है लेकिन वर्तमान में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भारी सियासी परेशानियों से घिर गए हैं। आज सरकार की अस्थिरता जगजाहिर होने लगी है। वर्ष 2013 से आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने और मनी-लांडरिंग जैसे मामलों का सामना करते आ रहे वीरभद्र सिंह के खिलाफ अब इन्फोर्समैंट डायरैक्टोरेट (ई.डी.) तथा सी.बी.आई. ने शिकंजा कस दिया है। 

 
ई.डी. ने इस मामले की मजबूत कड़ी माने जाने वाले उनके बीमा एजैंट और बगीचों के केयरटेकर आनंद चौहान को बीते दिनों गिरफ्तार किया है और पुलिस रिमांड के बाद अभी वह ज्यूडीशियल रिमांड पर हैं। उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई होनी बाकी है। इस मामले में वीरभद्र सिंह की धर्मपत्नी प्रतिभा सिंह को भी ई.डी. ने सम्मन भेजकर पूछताछ के लिए दिल्ली बुला लिया है। पिछले कुछ समय से ई.डी. इस मामले में तेजी से कार्रवाई कर रही है और सूचना है कि अब वह जल्द ही पूछताछ के लिए वीरभद्र सिंह को भी तलब करने जा रही है। 
 
उधर इसी मामले में सी.बी.आई. ने वीरभद्र सिंह सहित उनके परिजनों से दिल्ली में लंबी पूछताछ भी की है। लगभग पिछले साढ़े 3 सालों से सियासी हिचकोलों के बीच चल रही कांग्रेस सरकार के लिए आने वाला वक्त चुनौतीपूर्ण होगा क्योंकि सी.बी.आई. और ई.डी. की जांच को करीब से देख रहे कांग्रेस हाईकमान ने भी अब वीरभद्र सिंह के विकल्प की तलाश शुरू कर दी है। 
 
हाईकमान को अंदेशा है कि एन.डी.ए. सरकार में उक्त दोनों एजैंसियों की सक्रियता से कभी भी वीरभद्र सिंह को मुख्यमंत्री पद छोडऩा पड़ सकता है। हालांकि कांग्रेस हाईकमान वीरभद्र सिंह और उनके परिवार के खिलाफ दर्ज दोनों मामलों को लेकर केंद्र में मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को भी कोस रहा है। लेकिन दूसरी तरफ कांग्रेस हाईकमान ने मुख्यमंत्री पद के लिए योग्य नेता की तलाश भी शुरू कर दी है। यू.पी.ए.-2 में केंद्रीय मंत्री रहते हुए 6.1 करोड़ रुपए की आय को अपनी संशोधित आयकर रिटर्न में दर्शाना आज वीरभद्रसिंह के लिए बड़ी सियासी और निजी परेशानी बन चुकाहै। 
 
हिमाचल प्रदेश में अगले साल विधानसभा के आम चुनाव होने हैं परन्तु पिछले कुछ समय से जो सियासी समीकरण बन रहे हैं उससे समय से पहले विस चुनाव होने से भी इन्कार नहीं किया जा सकता। भाजपा लगातार मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग करती आ रही है और पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान सांसद शांता कुमार ने भी मुख्यमंत्री को सम्मानपूर्वक विदाई लेने की सलाह दी है। दूसरी ओर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को इस मुश्किल घड़ी में सबसे बड़ा सहारा कांग्रेस पार्टी का मिल रहा है। जब भी जांच एजैंसियों की ओर से कार्रवाई आगे बढ़ाई जा रही है तब-तब कभी राज्य मंत्रिमंडल तो कभी कांग्रेस विधायक दल उनके नेतृत्व में अपनी पूर्ण आस्था वाले प्रस्ताव पारित कर रहा है। 
 
परन्तु आनंद चौहान की ई.डी. द्वारा गिरफ्तारी होने पर जिस प्रकार से मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने एमरजैंसी कैबिनेट की बैठक बुलाई थी उसके बाद सरकार की अस्थिरता को लेकर यहां-वहां चर्चाओं का दौर चल पड़ा है। हालांकि इस बैठक में राज्य मंत्रिमंडल ने वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में पूर्ण विश्वास व्यक्त करते हुए प्रस्ताव पारित किया था। मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल रहे वरिष्ठ मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने मंत्रिमंडल की इस बैठक में भाग नहीं लिया था। जांच एजैंसियों के कदमों को रोकने की कोशिशें वीरभद्र सिंह कीओर से भी कम नहीं की जा रही हैं।
 
उनकी ओर सेदेश के जाने-माने वरिष्ठ वकील दिल्ली हाईकोर्ट में पेश होकर ई.डी. की कार्रवाई को चुनौती दे चुके हैं लेकिन अभी तक वीरभद्र सिंह को न्यायालय से भी कोई बड़ी राहत नहीं मिल पाई है। ई.डी. ने अपनी जांच में तेजी ला दी है, जिसके परिणाम भविष्य में वीरभद्र सिंह और उनके परिजनों के लिए बड़ी परेशानी का सबब बन सकते हैं।   

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