क्या नूंह हिंसा को रोकने में नाकाम रही हरियाणा सरकार

punjabkesari.in Sunday, Aug 06, 2023 - 04:57 AM (IST)

हरियाणा के अंदर भाजपा के नेतृत्व वाली भाजपा-जजपा गठजोड़ आधारित सरकार नूंह साम्प्रदायिक हिंसा को रोकने में बुरी तरह से नाकाम रही जैसे कि 26 अगस्त 2017 को तत्कालीन भाजपा की मनोहर लाल खट्टर की सरकार रही थी। तब हरियाणा के मुख्यमंत्री ने माना था कि बलात्कार और हत्या के आरोपों में सी.बी.आई. की विशेष अदालत में पेश होने के लिए आए गुरमीत राम रहीम जिन्हें कि अदालत ने सजा सुनाई थी, के समर्थकों ने व्यापक स्तर पर हिंसा, आगजनी और तोड़-फोड़ की थी जिसे रोकने में खट्टर सरकार नाकाम रही थी। इस हिंसा में करीब 36 लोग मारे गए और 300 से अधिक जख्मी हुए थे। करोड़ों की सम्पत्ति का भी नुक्सान हुआ था। कई टैलीविजन एंकर और पत्रकार भी इस हिंसा का शिकार हुए थे। यह हिंसा पंचकूला, मोहाली, चंडीगढ़ तथा आसपास के क्षेत्रों में फैलती देखी गई। 

पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने बुरी तरह से आहत होते हुए खट्टर सरकार की नाकामी को उजागर करते हुए कहा था कि यदि राम रहीम के अनुयायियों को बसों और ट्रेनों के माध्यम से पंचकूला, चंडीगढ़, मोहाली आने से रोक देते तो बड़े स्तर पर भीड़ एकत्रित न होती जोकि एक दिन पहले से ही वहां एकत्रित होनी शुरू हो गई थी। नूंह जिले के अंदर हुई हिंसा में 2 होमगार्ड जवानों सहित 6 व्यक्ति अब तक मारे गए हैं। हिंसा, दंगा-फंसाद, आगजनी, गोलाबारी और पत्थरबाजी कर अनेकों वाहनों, दुकानों, झुग्गी-झोंपडिय़ों को जला दिया गया। हिंसा नूंह से शुरू होकर गुरुग्राम, पलवल, फरीदाबाद और राजस्थान के भरतपुर और अलवर जिलों तक फैल गई। 

इस हिंसा से आहत होकर सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली सरकारों को नोटिस जारी करते हुए केंद्र सरकार को कहा कि वह यह सुनिश्चित करे कि दिल्ली एन.सी.आर. में कोई नफरती भाषण या हिंसा न हो। उसने पहले भी विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के मार्च को लेकर सी.सी.टी.वी. लगाने, अतिरिक्त पुलिस बल और अद्र्धसैनिक बल तैनात करने के लिए कहा था। हरियाणा सरकार ने इस हिंसा की जांच के लिए 3 सदस्यीय एस.आई.टी. गठित की है। यह मोनू मानेसर नामक गऊरक्षक की भूमिका की भी जांच करेगी। लेकिन सच्चाई यह भी है कि जैसे हरियाणा की भाजपा-जजपा गठजोड़ वाली खट्टर सरकार और पुलिस प्रशासन शांति कायम होने का दावा ठोक रहे हैं वास्तव में ऐसा नहीं है। बुधवार रात्रि के साढ़े 11 बजे नूंह जिले के अंदर मस्जिदों पर मोटर साइकिल सवार दंगाइयों ने हमला किया जिससे कुछ नुक्सान हुआ। इनमें से एक मस्जिद विजय चौक और दूसरी पुलिस स्टेशन के निकट स्थित है। स्पष्ट है कि दंगाई अभी भी हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में खुलेआम घूम रहे हैं। इसके नतीजे में एस.पी. सिंगला को बदल कर नरेंद्र बजरानिया को लगाया गया है। 

वास्तव में नूंह मुस्लिम भाईचारे से संबंधित बहुगिनती वाला जिला है जोकि मेवात क्षेत्र का हिस्सा है जिसमें पलवल के कुछ हिस्से, पड़ोसी राज्य राजस्थान के भरतपुर और अलवर जिले भी शामिल हैं। इनमें मेवाती मुस्लिम भाईचारा रहता है जिनकी सांस्कृतिक, भाषायी और रहने-सहने की एक अलग पहचान है। यह क्षेत्र उत्तरी भारत के केंद्र में होने के कारण राजनीतिक, साम्प्रदायिक और युद्ध नीतिक पहचान रखता है। यही कारण है कि इसे टार्गेट किया गया। नूंह के कांग्रेसी विधायक आफताब अहमद के अनुसार गऊरक्षक दस्ते के मोनू मानेसर और एक और गऊरक्षक बिट्टू बजरंगी ने मुस्लिम भाईचारे को संबोधित करते हुए एक वीडियो पोस्ट किया जो वर्तमान हिंसा का आधार बना। फरवरी 2023 में मोनू मानेसर को भरतपुर पुलिस ने एक एफ.आई.आर. में शामिल किया। 

उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का कहना है कि विहिप ने सरकार को गुमराह किया। उन्होंने पुलिस की नाकामी पर भी सवाल उठाए। वहीं हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने भी बगैर सोचे-समझे बयानबाजी की। हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने मणिपुर और नूंह हिंसा पर चिंता जताई है और एक निर्णायक कार्रवाई की मांग की है। राज्य की साम्प्रदायिक और संवेदनशील स्थिति संभालने के लिए यदि भाजपा ने प्रभावी कदम न उठाए तो अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करना उसके लिए मुश्किल होगा।-दरबारा सिंह काहलों
 


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