बढ़ती हुई जनसंख्या चिंता का विषय

punjabkesari.in Monday, Jul 11, 2022 - 05:13 AM (IST)

सारा विश्व आज बढ़ती हुई जनसंख्या को लेकर अत्यधिक चिंतित है। प्रकृति और देश के संसाधन सीमित हैं और जनसंख्या वृद्धि से उन पर अत्यधिक दबाव पड़ता है, उनका अत्यधिक दोहन होता है। विश्व में भारत जनसंख्या की दृष्टि से दूसरे नंबर पर आता है, किंतु कुछ रिपोर्टों से आशंका जताई गई है कि अगले कुछ वर्षों में भारत इस मामले में चीन को भी पछाड़ देगा, जो बहुत चिंतनीय है।

विश्व में हर साल 8 करोड़ की जनसंख्या वृद्धि होती है, इसमें से 2 करोड़ की वृद्धि अकेले भारत करता है, अर्थात पूरी दुनिया की कुल जनसंख्या वृद्धि का एक चौथाई हिस्सा अकेले भारत के हिस्से में आता है। भारत में प्रति मिनट 52 बच्चे पैदा होते हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का स्थान विश्व में 7वां है। क्षेत्रफल के अनुपात में भारत की जनसंख्या कई गुणा है और इसमें उत्तरोत्तर वृद्धि होती जा रही है। 

जनसंख्या वृद्धि अनेक समस्याओं को जन्म देती है। अधिक जनसंख्या से आवासों की कमी होती है, गांवों और शहरों में लोग छोटे-छोटे घरों में रहने को मजबूर हैं, यहां तक कि झुग्गी-झोपडिय़ों में भी रहकर लोगों को अपना जीवन गुजारना पड़ता है। जनसंख्या की वृद्धि के साथ लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु उद्योगों की भी बढ़ौत्तरी होती है, जिससे जल और वायु का प्रदूषण फैलता है। आवास की समस्या को हल करने के लिए वनों की कटाई होती है तथा मनुष्यों के रहने के लिए गांवों और शहरों का निर्माण किया जाता है।

पेड़ों को काटकर प्राप्त लकड़ी को मनुष्य जीवन में उपयोग में लाया जाता है। वनों एवं पेड़ों की कटाई से हमारी प्राकृतिक संपदा का नुक्सान होता है एवं प्रकृति पर भी इसका बहुत बुरा असर पड़ता है, जिसके दुष्परिणाम हमें आए दिन देखने को मिलते हैं। बढ़ती जनसंख्या के कारण वाहनों की भी संख्या बढ़ती जा रही है, जिससे ग्रीन हाऊस गैसों का अधिक उत्सर्जन हो रहा है और हमारा वायुमंडल इससे बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। पेड़ों के कटने से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा वायुमंडल में अधिक हो जाएगी, जो मनुष्यों के लिए बहुत हानिकारक है। 

जनसंख्या बढऩे के कारण पृथ्वी का तापमान भी बढ़ता है तथा समुद्र का जल स्तर भी, जिससे समुद्र तटों से घिरे राष्ट्रों एवं समुद्र तटीय इलाकों को खतरा है। जनसंख्या वृद्धि से कृषि के लिए उपयुक्त क्षेत्र भी कम हो जाते हैं,, जिससे खाद्यान्न की समस्या उत्पन्न होती है। आवश्यकता और आपू्र्ति में असंतुलन पैदा होता है, जिससे मांग के सामने संसाधन कम पडऩे से महंगाई बढ़ती है। धनी व्यक्ति तो संसाधनों का उपयोग कर पाते हैं, किंतु गरीब वर्ग उनसे वंचित रह जाता है, जिससे सामाजिक असमानता और समाज में द्वेष और संघर्ष की स्थिति उत्पन्न होती है। 

परिवार जितना छोटा होगा, उसके सदस्य उतना ही अधिक सुविधा-संपन्न जीवन बिता सकेंगे। बच्चों को अच्छी शिक्षा, अच्छे संस्कार व अच्छा पोषण दिया जा सकेगा। देश की जनसंख्या जितनी कम होगी, नौकरी और सरकारी सुख-सुविधा के उतने ही अधिक अवसर लोगों को प्राप्त होंगे। अधिक जनसंख्या होने से देश में अपराधियों की संख्या भी बढ़ जाती है, क्योंकि लोगों के पास जब काम नहीं होगा तो वे गलत ढंग से धन कमाने की कोशिश करेंगे। इसलिए अच्छी शिक्षा, अच्छे स्वास्थ्य और बेहतर जीवन शैली के लिए किसी देश में जनसंख्या का कम होना ही अच्छा है।

भारत के नागरिकों में युवाओं की संख्या सर्वाधिक है, इसका फायदा यह हो सकता है कि इस युवा आबादी का उपयोग देश की अर्थव्यवस्था को गति देने में किया जा सकता है, किंतु गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अभाव में और रोजगार के सीमित अवसर होने के कारण, युवा जनसंख्या भी बोझ बनकर रह जाएगी, अर्थात पर्याप्त साधनों की कमी होने के कारण अधिकतर युवा उच्च शिक्षा की डिग्रियां तो प्राप्त कर लेते हैं, किंतु किसी विशिष्ट कार्यक्षेत्र से संबंधित योग्यता विकसित करने का प्रशिक्षण पाने में असमर्थ रहते हैं, जिसके परिणामस्वरूप उच्च शिक्षित होने पर भी वे बेरोजगार ही रह जाते हैं। 

जनसंख्या वृद्धि पर केवल दिवस मना लेने से ही हमारी जिम्मेदारी पूरी नहीं होती, बल्कि इस पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। लोगों को अधिक से अधिक शिक्षित करके एवं उन्हें अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करके यह बताने की आवश्यकता है कि आज के समय में छोटे परिवार की कितनी अहमियत है। पढ़े-लिखे लोग भी बेटे की चाह में कई संतानें पैदा करते हैं, उनकी लिंग भेद की मानसिकता को बदलने की आवश्यकता है। 

सरकारें भी अपने राजनीतिक फायदे के चलते इस पर कोई ठोस निर्णय लेने और कानून बनाने से हिचकती हैं। केवल गोष्ठियां और सैमिनार करके ही हम इस विषय को यूं ही छोड़ देते हैं, किंतु अब हमें अत्यंत जागरूक बनना पड़ेगा और जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए उचित कदम उठाने होंगे। सरकार के साथ-साथ देश के प्रत्येक नागरिक को इस पर चिंता करनी होगी और छोटे परिवार की नीति को अमल में लाना होगा। हमें समान नागरिक संहिता और जनसंख्या नियंत्रण कानून लाकर इस पर रोक लगानी होगी।-रंजना मिश्रा


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News