सरकार का इरादा अपने नागरिकों को परेशान तथा आतंकित करना

punjabkesari.in Monday, Jul 04, 2022 - 04:26 AM (IST)

मोहम्मद जुबैर को जेल में डालना भारत की सरकार का अपने नागरिकों पर अन्याय का नवीनतम उदाहरण है। मैंने भारत की सरकार इसलिए कहा क्योंकि यद्यपि कानून-व्यवस्था राज्य का विषय है, ये अमित शाह के अंतर्गत केंद्र सरकार की एजैंसियां हैं जो बिना किसी मुकद्दमे तथा दोष सिद्धि के नागरिकों के जीवन को बर्बाद करने के लिए अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रही हैं। 

आल्टन्यूज के संस्थापक जुबैर एक ऐसे ऊट-पटांग आरोप में जेल में बंद हैं जो दोबारा किए जाने के काबिल नहीं। जुबैर के खिलाफ कोई वास्तविक शिकायत नहीं है, सिवाय एक अज्ञात व्यक्ति के जिसने एक ट्वीट को फार्वर्ड किया और भाजपा ने जुबैर को जेल में डाल दिया और उसे हिरासत में रखना चाहती है जबकि उनके द्वारा किया गया ट्वीट प्रत्यक्ष है।

सरकार ने पुलिस को उनके घर पर भेजा तथा उनकी सम्पत्ति को बिना किसी कारण के कब्जे में ले लिया। सरकार ये सब कुछ क्यों कर रही है? नि:संदेह इसका इरादा व्यक्तियों को परेशान, शर्मिंदा तथा आतंकित करना है। जुबैर एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने एक धार्मिक व्यक्तित्व को लेकर भाजपा प्रवक्ता के अपशब्दों की बखिया उधेड़ दी जिसके परिणामस्वरूप सरकार को अपने शब्दों को वापस लेना पड़ा। वर्तमान कार्रवाई अपने नागरिकों के खिलाफ सरकार का प्रतिकार तथा प्रतिशोध है। 

कानून के विद्वान फैजान मुस्तफा का कहना है कि चूंकि सुरक्षा के औजार के रूप में आपराधिक कानून का वायदा केवल नष्ट करने की शक्ति से मेल खाता है इसलिए उचित प्रक्रिया का गारंटी को आपराधिक प्रक्रिया में शामिल किया गया ताकि प्रत्येक आरोपी व्यक्ति को निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार मिल सके। भारत में निर्दोषता की धारणा को अपराध की धारणा के साथ बदल दिया गया है इसलिए जेल पहले है बाकी सब कुछ बाद में। जुबैर को जेल भेजने का कोई कारण नहीं, जैसे आर्यन खान को, जिससे कोई ड्रग्स अथवा सबूत नहीं मिला। तीस्ता सीतलवाड़, रिया चक्रवर्ती या नवाज मलिक को भी जेल में डालने का कोई कारण नहीं था सिवाय गिरफ्तारी से तमाशा बनाने और राज्य द्वारा व्यक्तियों पर अपनी असमान शक्तियों का इस्तेमाल कर उन्हें गिरफ्तार करने अथवा दंडित करने के लिए। 

आपराधिक न्याय प्रणाली में सभी पत्ते राज्य के पास होते हैं। मुकद्दमे, पुलिस, अदालत कक्ष और यहां तक कि जज भी सरकार की ओर से आते हैं। आरोपी अकेला होता है। यही कारण है कि न्यायिक प्रणाली में सुरक्षा उपाय आरोपी के पक्ष में होते हैं और सरकार के खिलाफ। इसीलिए कहा जाता है कि जब तक दोष सिद्ध न हो तब तक आरोपी निर्दोष है और यही कारण है कि आपराधिक गतिविधि साबित करने की जिम्मेदारी सरकार पर होती है। 

भारत ने कई कानूनों में इस नियम को आरक्षित रखा है और ऐसा केवल भाजपा के अंतर्गत नहीं है। यू.ए.पी.ए. (आतंकवाद पर), एन.डी.पी.एस.(नशे की दवाओं पर),पी.एम.एल.ए. (धनशोधन पर) तथा यहां तक कि नागरिकता पर (असम का एन.आर.सी.) जैसे कानून सबूत देने का बोझ व्यक्ति पर डालते हैं। कई सख्त कानून, जैसे कि गुजरात का गुजकोका (संगठित अपराध के खिलाफ) जमानत प्राप्त करना लगभग असंभव बना देता है। लेकिन इन कानूनों के बिना भी भारत लोगों पर बोझ लाद रहा है जैसा कि हम जुबैर के मामले में देख सकते हैं और सरकार अपनी विनाशकारी शक्तियों के इस्तेमाल को लेकर उत्साहित है। यह एक खतरनाक तथा लापरवाही की स्थिति है जिस पर न्यायपालिका अंकुश नहीं लगा सकती, जो बहुत नुक्सान कर रही है। 

सरकार की रुचि मुकद्दमे चलाने में नहीं है जैसा कि हम कई सैलिब्रिटीज के मामले में देख सकते हैं जिन्हें जेल में डाला गया और कई सप्ताहों तक उन्हें जमानत नहीं दी गई। एक बार उन्हें जमानत मिलने पर आमतौर पर सरकार की उसमें रुचि खत्म हो जाती है और मामला लगभग समाप्त हो जाता है। यह कानून के शासन अथवा संविधान का पालन करने को लेकर नहीं है। यह इस बाबत है कि किसी को कैसे प्रताडि़त किया जाए और जेल में रखा जाए। 

बहुत से ऐसे लोग हैं जो इस तथ्य का मजा उठा रहे हैं कि सीतलवाड़ जैसे कार्यकत्र्ता तथा जुबैर जैसे पत्रकार बिना दोष सिद्धि के जेल में हैं। इन लोगों को एहसास होना चाहिए कि ऐसी कार्रवाइयों से एक संवैधानिक लोकतंत्र अथवा आधुनिक राष्ट्र के तौर पर भारत को कोई लाभ नहीं है। दुनिया भारत में लोगों पर प्रतिशोध की स्थिति को एक नकारात्मक नजरिए से देखती है। एक विकसित तथा समृद्ध देश बनने की ओर हमारा सफर तब और भी कठिन बन जाता है जब कानून की विनाशकारी शक्ति का दुरुपयोग इस तरह से किया जाता है जैसे कि अब हो रहा है। 

मैंने ध्यान दिया है कि मैंने एक बार भी उन सकारात्मक मूल्यों का यहां उल्लेख नहीं किया, जो मोहम्मद जुबैर तथा उनके कार्य हमारे देश के लिए लाए। वह एक वास्तविक हीरो है जिन्हें किसी अन्य देश में अपने पार्टनर प्रतीक सिन्हा के साथ किए गए कार्यों के लिए सम्मानित किया जाता है। यह दुखद है कि ऐसे योगदान की न केवल सरकार तथा समाज के एक बड़े वर्ग द्वारा उपेक्षा की जाती है बल्कि उन्हें अवमानना तथा नफरत के कारण हिरासत में ले लिया जाता है। यह नया भारत है, जहां हमारे नायकों तथा नायिकाओं को सरकार द्वारा सत्यापित तथा जेल में डाला जाता है जिसका इरादा अपने खुद के लोगों को नुक्सान पहुंचाना है।-आकार पटेल


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