पंजाब के लिए नया खतरा गैंगस्टर नार्को-आतंकवाद की सांठ-गांठ

punjabkesari.in Sunday, Jul 10, 2022 - 05:25 AM (IST)

उग्रवाद के काले दौर को झेलने के बाद पंजाब अब एक नए प्रत्यक्ष खतरे का सामना कर रहा है। सीमा के साथ सटे इस संवेदनशील राज्य की सुरक्षा और शांति के लिए गैंगस्टर व नार्को-आतंकवाद ने कई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। नार्को-आतंकवाद का यह रूप इतना घातक है कि सीमा पार बैठे आई.एस.आई. के इशारे पर देश को खंडित करने की साजिश में इस पार बैठे देशद्रोही भी शामिल हैं। 

नार्को-आतंकवाद किसी भी राज्य के लिए 2 अलग-अलग चुनौतियों, यानी नशीले पदार्थों और आतंकवाद को संरेखित कर रहा है। सीधे शब्दों में कहें तो यह आतंकवाद और अवैध नशीले पदार्थों के व्यापार के बीच एक सांठ-गांठ है, जिन्होंने एक समग्र खतरा बनकर पंजाब की शांति को अस्थिर करने के लिए हाथ मिलाया है। 

पंजाब के नार्को-आतंकवाद के निम्नलिखित पहलू और आयाम हैं :
-या तो अकेले या विभिन्न रूपों में मुनाफाखोरी के लिए अवैध मादक पदार्थों की तस्करी का उपयोग।
-मादक द्रव्य-व्यापार को नियंत्रित करने के लिए आतंकी-गैंगस्टर गतिविधियों का इस्तेमाल।
-अवैध नशीली दवाओं या पदार्थों के व्यापार की तस्करी और आतंकवाद-गैंगस्टर का इस्तेमाल।
-आतंकवादी गतिविधियों को प्रायोजित करने के लिए अवैध ड्रग-व्यापार या नशीले पदार्थों की तस्करी के व्यापार का इस्तेमाल। 

अभी तक अवैध ड्रग व्यापार के लिए गैंगस्टरों का इस्तेमाल अलग-अलग आतंकी संगठनों के साथ जुड़े सरगनाओं द्वारा किया जाता रहा है। किसी भी आतंकी गतिविधि को संचालित करने के लिए उसे किसी भी गतिविधि को अंजाम देने के लिए मौद्रिक सहायता और धन की आवश्यकता होती है। ये फंड बड़े पैमाने पर अवैध और प्रतिबंधित दवाओं के व्यापार से प्राप्त होते हैं। नारकोटिक्स व्यापार और आतंकवाद दोनों का अंतिम उद्देश्य राज्य की अर्थव्यवस्था और राजनीति को अस्थिर करना है। 

जहां नार्को-व्यापार आर्थिक रूप से कमजोर आबादी को ड्रग्स का आदी बनाकर या ड्रग्स पर निर्भर बनाकर उस पर प्रहार करता है, आतंकवाद राज्य की शांति को खतरे में डालने का एक सीधा तरीका है। पंजाब में नार्को-आतंकवाद की जड़ें नशीले पदार्थों की तस्करी के साथ जुड़ी हैं। पंजाब की पाकिस्तान के साथ 425 किलोमीटर की सीमा है, जो पंजाब राज्य में नार्को-आतंकवाद का मुख्य प्रायोजक है। हालांकि अधिकांश सीमा पर कंटीली बाड़बंदी की है, हमारे शत्रुतापूर्ण पड़ोसी इन गतिविधियों को बढ़ावा देने और वित्तपोषित करने के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग कर रहे हैं।

पंजाब में ड्रग्स और नशीले पदार्थों के परिवहन के लिए बड़े पैमाने पर ड्रोन का इस्तेमाल किया जाता है। हाल ही में कुछ संचालकों को पकडऩे से पता चलता है कि ड्रोन का इस्तेमाल न केवल ड्रग्स के लिए बल्कि हथियारों और गोला-बारूद के परिवहन के लिए भी किया जाता है। हाल ही में पुलिस की जांच से पता चला है कि गैंगस्टरों की गतिविधियों को भी नार्को व्यापार से प्राप्त और वित्तपोषित किया जाता है। 

भारत रणनीतिक रूप से गोल्डन क्रीसैंट और गोल्डन ट्राएंगल के बीच स्थित है, जो दुनिया के अवैध ड्रग-व्यापार के 2 केंद्र हैं। पंजाब गोल्डन क्रीसैंट (पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान) से सबसे नजदीक स्थित है, जो दुनिया में अफीम का सबसे बड़ा उत्पादक है। इसलिए यह ड्रग-पैडलर और अवैध गतिविधियों के लिए एक पारगमन ङ्क्षबदू के रूप में काम करता है। आई.एस.आई. नार्को-वित्तपोषण के माध्यम से अपने आॢथक हितों को साधता है, जिसके पास नार्को-व्यापार के रूप में एक अच्छी तरह से नियंत्रित, मजबूत और अब स्व-चालित लाभदायक व्यावसायिक गतिविधि है। यह सिर्फ पंजाब के माध्यम से भारत में अपने नशीले पदार्थों के घरेलू उद्योग का निर्यात कर रहा है। 

नशीले पदार्थों की आसान उपलब्धता पंजाब में नशीली दवाओं के प्रसार के कारणों में से एक है। 2015 के एक सर्वेक्षण के अनुसार, पंजाब में 2.32 लाख ‘ड्रग डिपैंडैंट’ थे। इसका मतलब है कि 2011 की जनगणना के अनुसार 1.2 प्रतिशत वयस्क आबादी यानी 2 करोड़ ड्रग्स की आदी है। जहां तक ‘यूजर्स’ की बात है, तो सर्वे में यह संख्या 8.6 लाख होने का अनुमान लगाया गया है। 2019 की एक रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब में नशीली दवाओं के राष्ट्रीय औसत से अधिक उपयोगकत्र्ता हैं। पंजाब में शराब का सेवन 28.5 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय औसत 14.6 प्रतिशत है। भांग के लिए यह 12.5 प्रतिशत  और 2.8 प्रतिशत है, ओपिओइड के लिए, पंजाब में उपयोग 9.7 प्रतिशत बनाम राष्ट्रीय औसत 2.1 प्रतिशत है। 

लुधियाना विस्फोट के बाद की जांच के दौरान, केंद्रीय एजैंसियों द्वारा यह खुलासा किया गया कि पाकिस्तानी सरकार पिछले 6 वर्षों से पंजाब में शांति भंग करने के लिए आतंकी फंड और ड्रग्स का उपयोग करने की साजिश कर रही है, जिसकी पुष्टि शौर्य चक्र से सम्मानित बलविंद्र सिंह संधू की हत्या की जांच के दौरान चार्जशीट में खुलासे के दौरान हुई थी। जून 2022 में, लुधियाना एस.टी.एफ . ने 2 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनके कब्जे से 20.8 किलो बर्फ की दवा (एम्फेटामाइन) बरामद की, जो पंजाब में अब तक की सबसे बड़ी बरामदगी है। दवाओं की जब्ती पंजाब में दवा की उपलब्धता की मात्रा, परिमाण और पैमाने को इंगित करती है। पंजाब में नशीली दवाओं के दुरुपयोग का एक कारण कुछ पॉप-गायकों द्वारा ड्रग-कल्चर को बढ़ावा देना है, जो युवाओं के कमजोर दिमाग को पकड़ लेता है।-तरुण चुघ(भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री)


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