जी-20 भारत की सफलता की कहानी बयां करता है
punjabkesari.in Saturday, Sep 16, 2023 - 03:42 AM (IST)

जी -20 शिखर सम्मेलन भारत की ऐतिहासिक सफलता की कहानी थी। इसने एजैंडे में शामिल 100 से अधिक मुद्दों पर आम सहमति हासिल कर वैश्विक मंच पर अपनी धाक जमाई। यह कोई आसान काम नहीं था। वैश्विक सहमति बनाने में सफलता 200 घंटे की निर्मम वार्ता के बाद हासिल हुई। जी-20 शिखर सम्मेलन में भारत की सफलता को अब अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने स्वीकार किया है, जिन्होंने विशेष रूप से नागरिक समाज, स्वतंत्र प्रैस और मानवाधिकारों की भूमिका के बारे में बात की थी। एक ठोस और समृद्ध वैश्विक व्यवस्था के निर्माण में यह महत्वपूर्ण तत्व है।
यहां यह बात कही जानी चाहिए कि शिखर सम्मेलन भारत के लिए एक जीत की स्थिति थी। दिल्ली शिखर सम्मेलन में एक नए सदस्य के रूप में अफ्रीकी संघ के प्रवेश के साथ एक उच्च ङ्क्षबदू भी देखा गया जो एक नई वैश्विक व्यवस्था के निर्माण में जी-20 की ताकत को बढ़ाएगा।
जी-20 दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है। इसका गठन 1999 में किया गया था और यह व्यापार, स्वास्थ्य देखभाल, जलवायु परिवर्तन और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों से संबंधित वैश्विक नीतियों को समन्वित करने के लिए समय-समय पर बैठक करता है। पिछली सभाएं कोविड-19 महामारी, 2008 की वित्तीय मंदी, ईरानी परमाणु स्थिति और सीरियाई नागरिक संघर्ष जैसे बड़े संकटों से जूझ चुकी हैं। जी-20 के राष्ट्र वैश्विक आॢथक उत्पादन का करीब 80 प्रतिशत वैश्विक निर्यात का लगभग 75 प्रतिशत और विश्व की लगभग 60 प्रतिशत आबादी का योगदान करते हैं। समूह की सबसे प्रभावशाली उपलब्धि 2008 के वित्तीय संकट के प्रति इसकी मजबूत प्रतिक्रिया थी। जी-20 मुख्यालय, कार्यालय या स्टाफ वाला कोई स्थायी संस्थान नहीं है। इसकी बजाय इसका नेतृत्व अपने सदस्यों के बीच वाॢषक आधार पर घूमता रहता है। इसके निर्णय सर्वसम्मति से किए जाते हैं और इसके एजैंडे का कार्यान्वयन अलग-अलग राज्यों की राजनीतिक इच्छा पर निर्भर करता है।
कई विशेषज्ञ त्वरित कार्रवाई का श्रेय जी-20 को देते हैं। पूर्व जी.एफ.आर. फैलो स्टीवट पैट्रिक ने कहा कि समूह ने एक वैश्विक वित्तीय प्रणाली को मुक्त गिरावट में बचाया। 2008 और 2009 में जी-20 राष्ट्र अपनी अर्थव्यवस्थाओं को पुनर्जीवित करने के लिए 4 ट्रिलियन डालर के उपाय खर्च करने पर सहमत हुए। इसने व्यापार-बाधाओं को खारिज कर दिया और वित्तीय प्रणाली में दूरगामी सुधार लागू किए। ब्राजील,भारत और इंडोनेशिया सहित कई लोकतांत्रिक देश जी-20 से संबंधित हैं। चीन-रूस और सऊदी अरब जैसे अन्य प्रभावशाली निरंकुश देश भी शामिल हैं। आर्थिक और वित्तीय समन्वय जी-20 शिखर सम्मेलन के एजैंडे का केंद्र बिंदू बना हुआ है। हालांकि काम का भविष्य, जलवायु परिवर्तन और वैश्विक स्वास्थ्य जैसे मुद्दे बार-बार फोकस बिंदू हैं। हालांकि हाल के शिखर सम्मेलनों में जलवायु परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित किया गया है लेकिन बैठकों के परिणामस्वरूप इस मुद्दे पर कोई ठोस प्रतिबद्धता नहीं बन पाई है।
2023 शिखर सम्मेलन के मेजबान के रूप में भारत ने वैश्विक दक्षिण में कम आय वाले देशों के समक्ष आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए एजैंडे को आकार दिया है। इन चुनौतियों में कर्ज का बढ़ता स्तर, लगातार उच्च मुद्रास्फीति दर, स्थानीय मुद्राओं का अवमूल्यन, खाद्य असुरक्षा और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी गंभीर मौसम की घटनाओं की बढ़ती आवृत्ति शामिल है। सरकार शिखर सम्मेलन को एक भव्य तमाशे में बदलने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध थी। यह कार्यक्रम प्रगति मैदान में स्थित भारत मंडपम नामक अत्याधुनिक परिसर में हुआ जिसमें एक विशाल नटराज प्रतिमा स्थापित है। इसके अलावा भारत सरकार ने विशिष्ट अतिथियों के लिए दिल्ली के सौंदर्यकरण को बढ़ाने के लिए 120 मिलियन डालर का बजट आबंटित किया। दुर्भाग्य से इस प्रयास में सड़कों का स्थानांतरण और यहां तक कि घरों का विध्वंस भी शामिल था।
भारत एक मजबूत बहुपक्षीय खिलाड़ी है और दुनिया की सबसे बड़ी समस्याओं को हल करने में मदद कर सकता है। अफ्रीकी संघ को जी-20 में स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करने से बहु पक्षवाद को बढ़ावा मिला है और यह मंच दुनिया की 80 प्रतिशत आबादी का सच्चा प्रतिनिधि बन गया है। जी-20 आज की दुनिया में भारत की सफलता की कहानी है। दिल्ली घोषणा भू-राजनीतिक भाषा शांति का संदेश देती है और सभी शक्तियों से अंतर्राष्ट्रीय कानून और मानदंडों का सम्मान करने का आह्वान करती है। हमारे पास भारत की जी-20 सफलता पर गर्व महसूस करने के कारण हैं।-हरि जयसिंह