पाकिस्तान में सिंध और पंजाबी अस्मिताओं के बीच ‘विखंडन की जंग’

punjabkesari.in Sunday, Sep 22, 2019 - 04:46 AM (IST)

पाकिस्तान में अस्मिताओं और राष्ट्रीयताओं के बीच जंग खतरनाक स्थिति में पहुंच चुकी है जो उसे एक और विखंडन की ओर अग्रसर कर रही है। इसे नियंत्रित करने और विखंडन के कारणों के प्रबंधन की कोई राजनीतिक पहल भी नहीं हो रही है। यह कहना उचित होगा कि अस्मिताओं और राष्ट्रीयताओं की जंग को राजनीतिक शक्ति प्रदान की जा रही है। खुद पाकिस्तान की सत्ता अब अस्मिताओं और राष्ट्रीयताओं के संघर्ष को तेज करने की नीति पर चल रही है। ऐसे में पाकिस्तान की एकता और अखंडता एक बार फिर संकट में पड़ गई है। 

पाकिस्तान से बंगलादेश के अलग होने के समय यह जताने की कोशिश हुई थी कि यह पाकिस्तान का अंतिम विखंडन है, भविष्य में ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। पर सच यह भी है कि पाकिस्तान की एकता और अखंडता कभी भी हिंसा मुक्त या फिर विखंडन युक्त सक्रियता से मुक्त नहीं रही है। पाकिस्तान में कोई एक नहीं, बल्कि कई अस्मिताओं और राष्ट्रीयताओं की जंग चल रही है। इनमें जंग के रूप में पंजाबी, सिंधी, बलूचिस्तानी और मुहाजिर अस्मिताएं और राष्ट्रीयताएं हैं। इनमें सबसे मुखर और हिंसक बलूच अस्मिता और राष्ट्रीयता है।

उसकी आग ऐसी लगी है जिसे नियंत्रण करने के लिए पाकिस्तान की नींद उड़ी है, पुलिस और सेना के उत्पीडऩ व भीषण बर्बरता के बावजूद भी बलूच राष्ट्रीयता और अस्मिता की आग ठंडी नहीं हो रही है बल्कि निरंतर भड़कती ही जा रही है। पाकिस्तान से लेकर अमरीका तक यह आग भड़क रही है। बलूच के बाद अब सिंध देश की अस्मिता और राष्ट्रीयता पाकिस्तान की एकता और अखंडता को जलाने का कार्य कर रही है। भविष्य में एक देश के रूप में पाकिस्तान के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह खड़ा है। 

इमरान सरकार भड़का रही आग
सिंध अस्मिता और राष्ट्रीयता की आग को भड़काने के पीछे राजनीतिक उद्देश्य क्या है? क्या इसमें क्षेत्रीयता की सर्वश्रेष्ठता भी कोई कारण है? दरअसल यह आग कोई और नहीं बल्कि पाकिस्तान की वर्तमान सरकार फैला रही है, इसको और भी ङ्क्षहसक कर रही है। इमरान खान की सरकार पंजाबी अस्मिता और राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करती है। अभी तक का इतिहास यही कहता है कि पाकिस्तान में पंजाबी अस्मिता और राष्ट्रीयता ही सर्वोपरि रहती है, उसके सामने अन्य राष्ट्रीयताएं और अस्मिताएं खुद को अपमानित और हाशिए पर खड़ी पाती हैं। 

यह सच भी है कि राजनीतिक तौर पर ही नहीं, बल्कि सैनिक और आॢथक तौर पर भी पंजाबी अस्मिता व राष्ट्रीयता के सामने बलूच, मुहाजिर, सिंधी जैसी अस्मिताएं और राष्ट्रीयताएं पिछड़ी हुई हैं, दमित, शोषित, प्रताडि़त हैं, ङ्क्षहसा की शिकार हुई हैं। पाकिस्तान पर असल में सत्तासीन कौन होता है, पर्दे के पीछे काम कौन करता है, यह भी एक प्रश्न है। पाकिस्तान पर पर्दे के पीछे से सेना शासन करती है, उसके निर्देश पर ही पाकिस्तान की सत्ता चलती है। जो सत्ता सेना के निर्देश और इच्छा के प्रति उदासीन होती है, उसका सर्वनाश होता है, अस्तित्व समाप्त कर दिया जाता है। पंजाबी अस्मिता का प्रतिनिधित्व करने वाली पाकिस्तान की सेना ने सिंधी अस्मिता का प्रतिनिधित्व करने वाली बेनजीर भुट्टो की हत्या कराई और उनके पिता जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी पर लटकाया था। तख्तापलट भी एक हथकंडा रहा है। 

अभी-अभी कराची की अस्मिता और राष्ट्रीयता पर संकट उत्पन्न हुए हैं। कराची सिंधी अस्मिता और राष्ट्रीयता का गौरव है। वह प्रांत की राजधानी है। कराची में कई अस्मिताओं और राष्ट्रीयताओं के बीच हिंसक संघर्ष जारी रहता है। कराची पर इमरान सरकार की मानसिकताएं खतरनाक हैं। कराची को हथकंडा बना कर वह सिंधी अस्मिता और राष्ट्रीयता को कुचलना चाहती है, सबक सिखाना चाहती है। सिर्फ  इतना ही नहीं, बल्कि पंजाबी मानसिकता को सर्वश्रेष्ठता के तौर पर स्थापित करने की कुदृष्टि काम कर रही है। पंजाबी सर्वश्रेष्ठता का प्रतिनिधित्व करने वाली केन्द्रीय इमरान सरकार के प्रति सिंध प्रांत की पी.पी.पी. की सरकार का असहयोग ही नहीं, बल्कि सर्वश्रेष्ठता की लड़ाई चल रही है। इमरान यह स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है कि कराची में सिंध प्रांत की सर्वश्रेष्ठता सुनिश्चित हो और उनकी इच्छाओं को पी.पी.पी. की सरकार नजरअंदाज करे। 

कराची को सिंध से अलग करने की कोशिश 
सिंध प्रांत से कराची को अलग करने की कुदृष्टि भड़क रही है। कराची शहर को केन्द्रीय सत्ता में लाने की कोशिश जारी है। हथकंडे भी तैयार किए जा रहे हैं। ङ्क्षहसा और सामरिक स्थिति को हथकंडा बनाया जा रहा है। कराची सामरिक तौर पर महत्वपूर्ण शहर है। इमरान सरकार कहती है कि भारत के साथ जंग की स्थिति में कराची शहर को केन्द्रीय सरकार के नियंत्रण में लेना जरूरी है। यह सही है कि कराची पाकिस्तान की सेना के लिए अहम स्थान रखता है। यह भी सही है कि विभिन्न राष्ट्रीयताओं और अस्मिताओं की लड़ाई कराची शहर से ही संचालित होती है। यहां पर मुहाजिर और बलूच अस्मिताएं और राष्ट्रीयताएं भी न केवल मुखर हैं, बल्कि पाकिस्तान विखंडन की सक्रियता हमेशा रहती है। मुहाजिर उन्हें कहा जाता है जो भारत विखंडन के बाद पाकिस्तान गए थे और जिनकी भाषा उर्दू रही है। 

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता बिलावल भुट्टो ने सिंध देश की अवधारणा को जन्म दिया है। उन्होंने सीधे तौर पर इमरान सरकार को चुनौती दी है और साफ तौर पर कहा है कि अगर कराची की स्वतंत्रता पर कोई आंच आई और उसको सिंध प्रदेश से अलग किया गया तो फिर सिंध देश की मांग उठेगी। सच तो यह है कि पाकिस्तान में सिंध देश की मांग कोई आज की नहीं है, बल्कि बहुत पुरानी है। सिंध के लोग अपनी संस्कृति और पंजाबी अस्मिता और राष्ट्रीयता से मुक्ति के लिए लंबे समय से संघर्षरत हैं। अब भारत विख्ंाडन का सपना देखने वाला पाकिस्तान खुद आंतरिक अस्मिताओं और राष्ट्रीयताओं की लड़ाई में फंस कर हिंसाग्रस्त हो गया है। भविष्य में पाकिस्तान के कई राष्ट्रीयताओं और अस्मिताओं में बंटने का खतरा है। सिंध देश की मांग को कुचलना पाकिस्तान के लिए आसान नहीं होगा।-विष्णु गुप्त
 


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