सिल्क रोड का इतिहास: भारत व मध्य एशिया के बीच हिकमत और सूफीवाद की नींव

punjabkesari.in Thursday, May 25, 2023 - 05:52 AM (IST)

हिमालयी क्षेत्र की संस्कृति, जीवन शैली और धर्म को आगे बढ़ाने के लिए भारत और मध्य एशिया की भौगोलिक सीमाओं ने वर्षों से एक साथ काम किया है। दोनों इलाकों का एक भरपूर इतिहास है, जो विभिन्न तरीकों से  जुड़ा हुआ है। प्राचीन काल से लेकर भारत पर ब्रिटिश कब्जे तक, भारत (विशेष रूप से उत्तर भारत) की मध्य एशिया से भौगोलिक निकटता की वजह से घनिष्ठ संबंध थे जिससे बहुत ही महत्वपूर्ण संबंध बने। 

ये दो क्षेत्र एक-दूसरे पर निर्भर हैं, जो हमें कई तरह से नजर आते हैं। इनमें से कुछ में हुकूमत, वास्तुकला, कला, व्यापार, सामाजिक रीति-रिवाज, भाषा, पहनावा, जीवन शैली, फलसफा, ज्योतिष, विज्ञान, संगीत और कुछ दूसरी चीजें शामिल हैं, जो आज के आधुनिक काल तक दिखाई देती हैं। यह जान लेना चाहिए कि मध्य एशिया भारत की संस्कृति से पूरी तरह प्रभावित था और आज भी यह कई क्षेत्रों में भारत पर निर्भर है। 

आर्यों और सूफियों का आगमन : इतिहास साबित करता है कि ऑक्सस गेक्साटर्स के मैदानी इलाके आर्यों के मूल निवास स्थान थे। परिणामस्वरूप, आर्य मध्य एशिया से भारत आए। वह जब भारत आए तो उनकी बोली में बहुत सारे संस्कृत शब्द होते थे, जो द्रविडिय़न से लिए गए हैं। 

अपनी पुस्तक ‘तारीख-ए-मनजी बुखारा’ में फाजिल खान ने भारत और मध्य एशिया के बीच संस्कृति, पोशाक, भोजन, कविता, वास्तुकला और राज्य शिल्प के आदान-प्रदान को अच्छे तरीके से लिखा है। मध्य एशिया से भारत में सूफीवाद का परिचय एक प्रसिद्ध तथ्य है। सूफी संत बुखारा और समरकंद जैसे मध्य एशिया के बड़े शहरों में रहते थे। ऐसा कहा जाता है कि भिक्षु बौद्ध धर्म को भारत से मध्य एशिया ले गए और सूफी समकालीन संस्कृति को मध्य एशिया से भारत ले आए। ऐसा माना जाता है कि मध्य एशिया में पहला मदरसा बौद्ध विहार के प्रभाव में स्थापित हुआ था। नसीम, मुसाफी, मुहर्रम, मिशर और शौकत जैसे शायरों ने मध्य एशिया में भारतीय शायरी को लोकप्रिय बनाया। अब्दुल रजक समरकंदी  और अल-बरूनी जैसे महान विचारक ख्वारज्म से भारत आए। 

हिकमत और मजहब का सिल्क रोड : दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से, भारत ने चीन, मध्य एशिया, पश्चिम एशिया और रोमन साम्राज्य के साथ व्यापारिक संबंध बनाए रखे। मध्य एशिया चीन, रूस, तिब्बत, भारत और अफगानिस्तान से घिरा क्षेत्र है। कठिनाइयों के बावजूद चीन से आने-जाने वाले व्यापारियों ने नियमित रूप से इस क्षेत्र को पार किया लेकिन बाद में एक सड़क बनाई गई और इस रास्ते को सिल्क रोड के नाम से जाना जाने लगा। इस सड़क ने उस समय की लोकप्रिय विश्व संस्कृतियों के प्रसार के लिए एक अद्भुत माध्यम के रूप में कार्य किया। 

सिल्क रूट के दोनों ओर के सभी राष्ट्रों में पाए जाने वाले प्राचीन स्तूप, मंदिर, मठ, चित्र भारत और मध्य एशिया के देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों के प्रमाण हैं। हाल के वर्षों में रेत से दबे मठों में कई संस्कृत पांडुलिपियां, अनुवाद और प्राचीन भाषा में लिखे गए बौद्ध ग्रंथों की प्रतियां खोजी गई हैं। मध्य एशिया में विभिन्न स्थानों पर हेलो के चित्र और मूर्तियां हैं, जैसे नारायण, शिव, गणेश, कार्तिकेय, महाकाल, दगपाल और कृष्ण। ऐतिहासिक ग्रंथों में यह भी उल्लेख है कि पहले सिख गुरु नानक देव जी ने कई बार ऑक्सस घाटी का दौरा किया, जिससे भारत और मध्य एशिया के बीच मजबूत धार्मिक आदान-प्रदान हुआ। 

भाषा का संगम : इस्लाम से पहले और शुरूआती इस्लाम के दौरान, ईरान ने मध्य एशिया पर एक प्रभावशाली प्रभाव डाला, जहां सोग्डियन, चूरामेन, सीथियन, एलन और बैक्ट्रान्स ने अधिकांश आबादी का गठन किया। वे सभी ईरानी मूल के थे और ईरानी बोलते थे। समय के साथ, यह क्षेत्र तुर्की के प्रभाव में आ गया और तुर्क लोगों की मातृभूमि बन गया, जबकि कजाख, उज्बेक्स, तुर्कमेन्स, किर्गिज और उइगर भूमि के मूल निवासी थे। मध्य एशिया और भारत के बीच अच्छे संबंधों की वजह से भाषा भी परस्पर प्रभावित हुई, जिसकी पुष्टि ध्वन्यात्मक समानता से होती है। 

कई मध्य एशियाई शब्द, जैसे रत्ना, गुरु और मिनी, जो मंगोलिया और तिब्बत में भी आम हैं, सभी भारतीय भाषा से उधार लिए गए थे। पश्चिम तुर्केस्तान में बुखारा विहार या बिहार से है और सारथा सार्त से है। जिन लोगों ने गंगा, अंग, वंगा और कलिंग जैसे शब्द गढ़े, वे पूर्व-आर्य थे जो आंतरिक एशिया में रहते थे। तिब्बती शब्द ‘गैङ्क्षलग’ जो बाद में भारतीयकरण के माध्यम से ‘गंगा’ बन गया, जहां ‘लिंगा’ शब्द की उत्पत्ति हुई। तथ्य यह है कि संस्कृत शब्द ‘गंग रे मो’ या ‘गैंग मो’ अंग्रेजी शब्द ‘गंगा’ का मूल है। 

पूरे मध्य युग में मध्य एशियाई और भारतीय आबादी के बीच संपर्क के कारण उर्दू भाषा की उत्पत्ति और विकास हुआ। कई तुर्की शब्द, जैसे चक्कू (चाकू), किसिक (कैैंची), बीवी (पत्नी), बहादुर, काबू (नियंत्रण में), चामिक (चम्मच), टॉपकी (बंदूक), बारूद, चिकीक (चेचक), सेरे  और बावर्ची (महाराज) को भी हिंदी भाषा में जोड़ा गया। (लेखक मुस्लिम स्टूडैंट्स आर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन हैं)-डॉ. शुजात अली कादरी


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