चेतावनियों को हवा में उड़ा देना भी एक ‘अपराध’ है

punjabkesari.in Tuesday, Jun 22, 2021 - 05:57 AM (IST)

भारत एक महान देश है और मैं अपने देश से बेहद प्यार करती हूं। मगर यहां पर ऐसा भी समय आता है जब मैं अपने भाइयों तथा बहनों से अपने ही देश में क्रोधित और खिझती हूं। हमने मुंबई में नकली वैक्सीन के स्कैंडल के बारे में सुना। ऐसे समय में जबकि पूरा विश्व एक बड़ी महामारी के दौर में से गुजर रहा है यह समाचार बेहद शर्मनाक है। नकली दवाइयों तथा टीकों को बेचना निश्चित तौर पर कितना अमानवीय है। मैंने कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के भयभीत व्यवहार के बारे में कहानियां सुनी हैं जहां पर लोग टीकाकरण के लिए ज्यादा उत्सुक नहीं हैं। 

ऐसी अफवाहें फैल रही हैं कि वैक्सीन सुरक्षित नहीं और उसमें गाय का मूत्र है। ये सभी बातें बकवास हैं। हमारे भोले-भाले गांववासी तथा अशिक्षित लोग ये महसूस नहीं करते कि यह वैक्सीन उनका जीवन बचा सकती है और उनका जीवन छीन नहीं सकती। ऐसी अफवाहें बड़ी तेजी से फैली हैं। मैं मानती हूं कि किस तरह से वे लोग भरोसा नहीं करते कि वैक्सीन उन्हें एक नया जीवन प्रदान कर सकती है। 

यह मात्र अज्ञान है जिसके बारे में हमारी सरकार को सुरक्षा का संदेश फैलाना चाहिए। सोशल मीडिया, आंगनबाड़ी तथा पंचायतों के माध्यम से वैक्सीन की सुरक्षा के बारे में प्रचार प्रसारित करना चाहिए। अमरीका तथा यूरोपीय देश पर्यटकों के साथ खुलने लग पड़े हैं। हम अभी भी कोविड-19 की तीसरी लहर के इंतजार में हैं जिसके लिए हम खुद ही जि मेदार होंगे। 

इस क्षण विश्व में कहीं भी हम भारतीयों का स्वागत नहीं हो रहा। सरकार को भी गैर-जरूरी स्थानों को खोलना नहीं चाहिए। जैसा कि हम जानते हैं कि हम सभी एक जि मेदार नागरिक नहीं हैं। यह देखना शर्मनाक और खेदजनक है कि हमारे बच्चों के पास वैक्सीन नहीं है। सभी वयस्कों का टीकाकरण भी नहीं किया गया। यदि आपको तीसरी लहर से गुजरना पड़े तो मैं उ मीद करती हूं कि एक राष्ट्र के नाते हमें और अधिक तैयारी करनी होगी जैसी कि हमने दूसरी लहर के लिए की थी। जैसे कि दिन और रात हम सभी ने टी.वी. पर भयभीत करने वाले दृश्य देखे कि किस तरह से हमारे देशवासी ऑक्सीजन की एक सांस के लिए मर रहे हैं।

अस्पतालों में न ही बैड हैं और न ही आई.सी.यू. और वैंटीलेटर। स्वास्थ्य कर्मी भी थके हुए हैं और डॉक्टर भी जूझ रहे हैं। मानवीय जीवन को बचाने के लिए उन्हें परमेश्वर का आशीर्वाद मिल रहा है। ऐसे समय में मैं दुख महसूस करती हूं कि गुरु और साधु अपने अनुयायियों को शिक्षित करने में मदद नहीं कर रहे। वे उन्हें महामारी से निपटने के लिए उनका मार्गदर्शन नहीं कर रहे। उनके पास संसाधन और अपार धन है। इसके अलावा उनके पास बहुत ज्यादा गिनती में अनुयायी हैं मगर उन्हें अपने निजी हित राष्ट्र तथा उसके लोगों से ज्यादा प्रिय हैं। 

मैं उम्मीद करती हूं कि उन्हें महसूस करना चाहिए कि वे भी महामारी से छूटे नहीं हैं। देश में बाबा रामदेव तथा उनकी दवाइयों पर भी विवाद था। उन्होंने डॉक्टरों के प्रति स त टिप्पणियां कीं जोकि शर्मनाक तथा खेदजनक है। यह उल्लेखनीय है कि उन्होंने एक बार भी डॉक्टरों से माफी नहीं मांगी जो अपने परिवारों तथा अपने स्वास्थ्य की परवाह किए बिना दिन-रात लोगों की सेवा में जुटे हैं। उन्हें स मानित किया जाना चाहिए और उनकी सेवाओं के लिए उनका स मान किया जाना चाहिए। 

अभी भी हम इस विवाद में हैं कि प्रधानमंत्री तथा डॉक्टरों द्वारा दी गई कोवैक्सीन को अभी भी विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्वीकृति नहीं है इसलिए विदेशों में पढऩे वाले छात्रों को अपने भविष्य के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों के तहत अपनी क्लासों का कार्यक्रम फिर से पुनॢनर्धारित करना होगा जब उन्हें वैक्सीन की स्वीकृति मिलेगी। 

उम्मीद के अनुसार सरकार भी उस पर तेजी से काम कर रही है। बेशक हम सभी जानते हैं कि सरकार को विदेश से वैक्सीन मंगवाने का आर्डर पहले से ही दे देना चाहिए था और भारत में सभी का जब तक टीकाकरण न हो जाता तब तक उसे वैक्सीन को विदेश नहीं भेजना चाहिए था। हमारे जैसी बड़ी आबादी वाले देश में समस्याएं हैं। हमने महसूस किया है कि आने वाले वर्षों में स्वास्थ्य देखभाल की बहुत जरूरत पड़ेगी और सरकार इसके और मूल ढांचे के लिए काफी अनुदान आबंटित कर रही है। 

कई परिवारों ने अपने युवा करीबियों तथा वृद्धों को खो दिया है। नुक्सान हर जगह हुआ है। हमें ऐसे भ्रमित करने वाले बयान नहीं देने चाहिएं जो हमारे देश का नुक्सान करें। नकली टैस्ट, नकली नतीजे, नकली लैबोरेटरियों के बाद अब नकली वैक्सीन के समाचार मिले। कु भ मेले के लिए कितने नकली टैस्ट हुए। कु भ मेला श्रद्धालुओं की लापरवाही कई भोले-भाले लोगों की मौत के लिए जिम्मेदारी होनी चाहिए। भरोसा करना अच्छा है मगर चेतावनियों को हवा में उड़ा देना एक अपराध है। ऐसे नकली लोग हर स्थान पर हैं और हमने इस कला में निपुणता हासिल कर रखी है। इसके साथ शादी समारोह, संस्कार, शॉपिंग मॉल तथा बाजार खुलने लगे हैं। 

बिना वैक्सीन, बिना मास्क और बिना स्वच्छता ने दूसरी लहर का नेतृत्व किया। मैं अभी भी मानती हूं कि हमने कोई सबक नहीं सीखा और तीसरी लहर बहुत जल्द ही देश में होगी। हमें ग्रामीण क्षेत्रों का टीकाकरण करने की आवश्यकता है और लोगों को इसके बारे में शिक्षित भी करना है। उन्हें जितना जल्द हो सके स्वच्छता सहूलियतें मुहैया करवानी चाहिएं। तीसरी लहर के लिए जितनी भी तैयारियों की जरूरत है उन्हें बिना समय गंवाए दोगुना करना होगा। चुनाव और धर्म नहीं बल्कि स्वास्थ्य हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। नकली दवाइयों तथा वैक्सीन बेचने वालों को कड़ा दंड देना होगा ताकि ये दूसरों के लिए एक मिसाल पैदा कर सकें।-देवी.एम चेरियन


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