एफ.डी.आई. में गिरावट पर भी गौर करे सरकार
punjabkesari.in Wednesday, Dec 06, 2023 - 05:49 AM (IST)

वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में भारत की जी.डी.पी. 7.6 प्रतिशत बढऩा भले ही आर्थिक विकास का सकारात्मक संकेत है, पर देश में फॉरेन डायरैक्ट इंवैस्टमैंट (एफ.डी.आई.) यानी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में लगातार गिरावट ङ्क्षचता की बात है। पूरी दुनिया की कंपनियां चीन के विकल्प के रूप में निवेश के लिए जब भारत की ओर देखती हों, तब एफ.डी.आई. में गिरावट पर गौर करने की जरूरत और भी बढ़ जाती है। विदेश व्यापार नीति से लेकर कारोबारी माहौल को और अधिक सरल एवं सुखद बनाने पर सरकार को फिर से विचार करना होगा।
डिपार्टमैंट फॉर प्रोमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (डी.पी.आई.आई.टी.) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल-सितंबर 2023 में 24 प्रतिशत गिरावट के साथ देश में एफ.डी.आई. की हालत और भी खराब हो गई है। इस साल अप्रैल से सितंबर के दौरान भारत में विदेशी निवेश 20.48 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 26.91 बिलियन डॉलर था। वित्त वर्ष 2021-22 में 84.8 बिलियन डॉलर एफ.डी.आई. 2022-23 में 16 प्रतिशत घटकर 71.3 बिलियन डॉलर रह गई।
एफ.डी.आई. में सबसे ज्यादा गिरावट कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर व हार्डवेयर सैक्टर में हुई है। इस सैक्टर में 2021-22 में 14.4 बिलियन डॉलर विदेशी निवेश 2022-23 में घटकर 9.3 बिलियन डॉलर रहा। ऑटोमोबाइल उद्योग में 6.9 बिलियन डॉलर से गिरकर 1.9 बिलियन डॉलर, जबकि इंफ्रास्ट्रक्चर कंस्ट्रक्शन में 3.2 बिलियन डॉलर से घटकर 1.7 बिलियन और मैटल उद्योग में 2.2 बिलियन अमरीकी डॉलर से घटकर 219 मिलियन डॉलर रहा। देश में विदेशी निवेश में तेजी से गिरावट का रुख कहीं न कहीं रोजगार के नए अवसरों पर असर डाल रहा है।
भारत में एफ.डी.आई. में मंदी से ङ्क्षचता बढऩे की एक बड़ी वजह यह भी है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां निवेश के लिए भारत की तुलना में वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों को महत्व दे रही हैं। यह स्पष्ट संकेत है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों की ‘चीन प्लस वन’ यानी चीन के विकल्प में अभी भारत शामिल नहीं है। इन देशों में विदेशी पूंजी निवेश आकॢषत करने के पीछे उद्योगों के अनुकूल माहौल, सरल कारोबार नीति एवं आसान कानून हैं। भारत को ‘चीन प्लस वन’ बनाने के लिए हमारे नीति निर्धारकों को देश में एफ.डी.आई. के निराशाजनक रुझानों पर गंभीरता से गौर करने की जरूरत है।
व्यापक व्यापार समझौतों वाले देशों में एफ.डी.आई. बढऩे की अधिक संभावना है। कम कस्टम डयूटी और दूसरे इंसैंटिव के जरिए फ्री ट्रेड एग्रीमैंट (एफ.टी.ए.) विदेशी निवेश को बढ़ावा देते हैं। इसलिए भारत में एफ.डी.आई. में गिरावट को थामने के लिए कारोबार से जुड़ी तमाम समस्याओं के समाधान का गहरा मूल्यांकन किया जाए। यदि प्रोडक्शन लिक्ड इंसैंटिव (पी.एल.आई.) स्कीम एवं विदेशी निवेश आकॢषत करने के लिए अन्य प्रोत्साहन स्कीमें कारगर ढंग से लागू होती हैं तो विदेशी कंपनियों के लिए भारत वास्तव में चीन का विकल्प हो सकता है। इस बात का ध्यान रखना होगा कि एम.एन.सी. निवेशक को भारत में लंबे समय तक कैसे टिकाए रखना है। इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि अनिश्चित कारोबारी माहौल व कारोबारी नियमों में मनमाने बदलाव का डर भारत में विदेशी निवेश की राह में रोड़ा न बनने पाए।
पंजाब में एफ.डी.आई. विस्तार की दरकार : अनुकूल स्थान एवं सुखद कारोबारी माहौल के कारण देश में एफ.डी.आई. केवल कुछ राज्यों तक ही सीमित है। भारत में 69 प्रतिशत एफ.डी.आई. महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात में हुई है, जिनमें सबसे आगे महाराष्ट्र है। एफ.डी.आई. हासिल करने में देश में 12वें स्थान पर पंजाब में पिछले चार साल में 7693 करोड़ रुपए का विदेशी निवेश हुआ है, जो देश में अक्तूबर 2019 से सितंबर 2023 तक हुए कुल 15.08 लाख करोड़ रुपए एफ.डी.आई. का सिर्फ 0.49 प्रतिशत है। इन चार सालों में 67502 करोड़ रुपए के विदेशी निवेश के साथ हरियाणा देश में 5वें नंबर पर है।
भले ही पंजाब की तमाम सरकारें विदेशी निवेशकों को लुभाने की कोशिशें करती रहीं, लेकिन बॉर्डर स्टेट पंजाब की समुद्री पोर्ट से दूरी, कनैक्टिविटी और प्रदेश में लगातार धरने, विरोध प्रदर्शन, कानून-व्यवस्था जैसी चुनौतियां आड़े आती रहीं। वहीं दिल्ली-एन.सी.आर. से नजदीक होने व बेहतर कनैक्टिविटी के कारण हरियाणा पंजाब से विदेशी निवेश, अर्थव्यवस्था एवं कारोबार में आगे है। समय की मांग है कि एफ.डी.आई. आकॢषत करने के लिए पंजाब अपनी स्थिति में सुधार के ठोस कदम उठाए। वित्त वर्ष 2020-21 दौरान फूड प्रोसैसिंग, ऑटोमोबाइल पुर्जे, इंजीनियरिंग सामान और टैक्सटाइल में अधिक विदेशी निवेश के कारण 4749.15 करोड़ रुपए के साथ पंजाब देश में एफ.डी.आई. के मामले में 9वें स्थान पर था। अभी भी यहां एफ.डी.आई. की अपार संभावनाएं हैं, पर सुधार की बजाय इसमें गिरावट ने पंजाब की ङ्क्षचता भी बढ़ा दी है। स्थानीय कारोबारियों और विदेशी निवेशकों के लिए और अधिक सुखद माहौल से पंजाब अपनी क्षमता का विस्तार कर सकता है।
आगे की राह : फॉरेन पोर्टफोलियो इंवैस्टमैंट (एफ.पी.आई.) की बजाय एफ.डी.आई. में भारत की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने की क्षमता है। आकर्षक निवेश देश के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए भारत को कई संरचनात्मक सुधारों में तेजी लाने, भ्रष्टाचार खत्म करने व नौकरशाही में लालफीताशाही घटाने के लिए असरदार व जवाबदेह कार्रवाई करनी होगी। एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर के ‘ईकोसिस्टम’ को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए रिसर्च एंड डिवैल्पमैंट को प्रोत्साहित करे, जिससे बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश को बढ़ावा मिल सके। विदेशी निवेशकों के लिए उदार एवं आकर्षक नीति और रैगुलेटरी नियमों को और अधिक सरल करने से भारत एफ.डी.आई. में चीन के मुकाबले एक बेहतर विकल्प के रूप में उभर सकता है।(लेखक कैबिनेट मंत्री रैंक में पंजाब इकोनॉमिक पॉलिसी एवं प्लानिंग बोर्ड के वाइस चेयरमैन भी हैं)-डा. अमृत सागर मित्तल(वाइस चेयरमैन सोनालीका)