गंभीर मामला है बेंगलुरु के कैफे में धमाका

punjabkesari.in Wednesday, Mar 06, 2024 - 04:21 AM (IST)

कर्नाटक विधानसभा में ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ की नारेबाजी का बवाल थमा भी नहीं था कि गत 1 मार्च की दोपहर धमाके की आवाज से भारत की ‘सिलिकॉन वैली’ बेंगलुरु में प्रसिद्ध ‘रामेश्वरम कैफे’ गूंज उठा। यह धमाका एक ऐसे इलाके में हुआ है जिसे बेंगलुरु के आई.टी. हब के रूप में जाना जाता है। आई.टी. क्षेत्र में काम करने वाले युवा इस जगह पर खाने-पीने के लिए आते हैं। 

इस विस्फोट से बड़े पैमाने पर आग तो नहीं लगी, लेकिन कैफे के वॉश बेसिन वाले एरिया में काफी धुआं पैदा हुआ। इसके बाद वहां पर कीलें और नट बोल्ट बिखरे हुए पाए गए। पूर्वी बेंगलुरु में स्थित इस कैफे में हमेशा हलचल रहती है। विस्फोट में 9 लोग घायल हुए। ऐसे में अहम सवाल यह है कि क्या लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक में लौट आया है आतंकवाद? ऐसे धमाकों से विदेश में भारत की छवि कौन धूमिल करना चाहता है? बेंगलुरु पुलिस के साथ-साथ एन.आई.ए. और एन.एस.जी. इन सभी सवालों के साथ जांच में जुट गई हैं।

यह सवाल इसलिए क्योंकि नवंबर 2022 से मंगलुरु में हुए एक धमाके के बाद जांच और सुरक्षा एजैंसियों ने कई खुलासे किए थे। शुरूआती जांच के संकेत हैं कि एक अनजान व्यक्ति ने विस्फोट से कुछ मिनट पहले ही उस लोकप्रिय कैफे में बैग रखा था। पुलिस सी.सी.टी.वी. फुटेज खंगाल रही है, ताकि संदिग्ध की पहचान की जा सके। संभवत: आई.ई.डी. विस्फोटक उपकरण उसी बैग में रखा गया था। जांच एजैंसियों ने कई एंगल से जांच शुरू कर दी है। होटलों, रेस्तरां और खान-पान के ऐसे लोकप्रिय स्थलों पर सुरक्षा में सुराख देखे गए हैं, जबकि ऐसे स्थल ही आतंकी या किसी अन्य हमले के ‘आसान लक्ष्य’ होते हैं। जांच पर कुल 8 टीमें काम कर रही हैं।

मंगलुरु में नवंबर 2022 में एक प्रैशर कुकर के अंदर रखे आई.ई.डी. में उस समय विस्फोट हो गया, जब इसे एक ऑटो रिक्शा से ले जाया जा रहा था। जांच से पता चला था कि आई.ई.डी. को कादरी मंजुनाथ मंदिर में लगाया जाना था। जांचकत्र्ताओं ने पाया था कि मंगलुरु में प्रैशर कुकर विस्फोट ‘इस्लामिक स्टेट प्रायोजित’ था और इसमें लश्कर-ए-तोयबा के एक आतंकवादी की संलिप्तता थी। पुलिस 2022 के उन आतंकी हमलों के साथ इस विस्फोट के संपर्क की संभावनाओं को भी खंगाल रही है, जहां ऐसे ही विस्फोटक उपकरणों का इस्तेमाल किया गया था। 

विपक्षी भाजपा ने इसे कानून-व्यवस्था की नाकामी करार दिया है, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कर्नाटक विधानसभा में पाकिस्तान-समर्थक नारों से इस विस्फोट को जोड़ा है। भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव सी.टी. रवि ने कहा कि यह ब्लास्ट विध्वंसक ताकतों द्वारा की गई रिहर्सल थी। उन्होंने दावा किया कि आने वाले समय में ऐसे और ब्लास्ट हो सकते हैं। ऐसे में अहम सवाल है कि क्या यह माना जाए कि बेंगलुरु में भी पाकिस्तान के दहशतगर्द तत्व और खुफिया एजैंसी आई.एस.आई. पहुंच गए हैं, जिन्होंने ऐसे विस्फोट को अंजाम दिया? 

मीडिया रिपोटर््स के अनुसार कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद एन.आई.ए. ने कर्नाटक में 21 संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्तार किया था। 19 जुलाई, 2023 को बेंगलुरु में बम विस्फोट करने की साजिश रचने के आरोप में 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया था और 18 दिसंबर, 2023 को एक आई.ई.डी. विस्फोट के सिलसिले में 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जबकि इस साल 13 जनवरी को अधिकारियों ने 8 संदिग्ध आत्मघाती हमलावरों को गिरफ्तार किया था। 23 अक्तूबर 2022 को कोयम्बटूर में एक मारुति 800 में धमाका हुआ था। संगमेश्वर मंदिर के पास एल.पी.जी. सिलैंडर में धमाका हुआ था। पुलिस को इस मामले में भी घटनास्थल से विस्फोटक मिले थे। 

धमाकों की इन तीनों घटनाओं में शारिक नाम के एक व्यक्ति का नाम आया था, जो कथित रूप से बम बनाने की प्रक्रिया में शामिल था। शिवमोगा जिले के तीर्थनहल्ली में एक तालाब में बम बनाने की प्रक्रिया में शामिल पाया गया था। शारिक ने कोयम्बटूर, मदुरै और तमिलनाडु के कई इलाकों का दौरा किया था। इन तीनों ही मामलों की जांच राष्ट्रीय जांच एजैंसी कर रही है। रामेश्वरम कैफे में हुए बम ब्लास्ट के तार आतंकी संगठन आई.एस.आई.एस. से जुड़ गए हैं। नैशनल इन्वैस्टिगेशन एजैंसी ने 5 मार्च को 7 राज्यों में 17 ठिकानों पर रेड की, मामले में एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार व्यक्ति की पहचान अब्दुल सलीम के रूप में की गई है। बेंगलुरु के रामेश्वरम ब्लास्ट मामले की जांच कर रहे एन.आई.ए. अधिकारियों को एक और अहम सुराग मिला है। इस मामले में कहा जा रहा है कि ब्लास्ट मामले में जो सुराग मिले हैं, उनसे पता चलता है कि इस वारदात को बेल्लारी में सक्रिय आई.एस.आई.एस. मॉड्यूल ने अंजाम दिया। 

वास्तव में, ‘रामेश्वरम कैफे’ में यह विस्फोट ज्यादा भयावह इसलिए है क्योंकि यह वहां स्थित है, जहां आई.बी.एम., एस.ए.पी. सरीखी आई.टी. कंपनियां और कई स्टार्टअप मौजूद हैं। यह देश का प्रौद्योगिकी केंद्र है। इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के पेशेवरों के लिए यह कैफे एक लोकप्रिय ठिकाना है। खानपान के पकवानों के लिए यह विख्यात है। जब दोपहर 1 बजे के करीब विस्फोट हुआ, तो कई पेशेवर वहां लंच कर रहे थे। घायलों में वैल्डर, मैकेनिक, बिजली वाले, मिस्त्री आदि ‘ब्लू कॉलर’ प्रवासी कामगार भी शामिल थे। अस्पताल भी एक महत्वपूर्ण स्थान है। ब्लास्ट के बाद बेंगलुरु के होटल मालिकों ने होटलों के प्रवेश द्वार पर मैटल डिटैक्टर लगाने का फैसला किया है, ताकि आतंकवादी बम लेकर होटलों में न घुस सकें। कुछ होटलों में तो उन्होंने ऐसा सिस्टम लगाने का भी निर्णय लिया है जो मैटल डिटैक्टर में बम स्कैन होते ही सायरन बजा दे। 

रामेश्वरम कैफे में सुबह से लेकर देर रात 2 बजे तक जबरदस्त भीड़ रहती है। बैठने की बहुत जगह नहीं, लिहाजा लोग अलग-अलग जगहों पर खड़े होकर खाना खाते हैं। माना जा रहा है धमाका करके ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने की साजिश थी। धमाके के बाद यह तो तय है कि स्लीपर सैल अब भी सक्रिय हैं। इस मामले में राजनीति से सभी राजनीतिक दलों को बचना चाहिए। हमारी जांच एजैंसियां पर्याप्त रूप से सक्षम हैं। धीरे-धीरे ही सही, इस विस्फोट से जुड़े नैटवर्क का पता जांच एजैंसियां लगा रही हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले कुछ दिनों में अपराधी सलाखों के पीछे होंगे और बेंगलुरु के निवासी पहले की तरह बिना किसी डर के सुख-चैन से जीवन बिताएंगे।-राजेश माहेश्वरी
 


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