समस्याओं की जड़ ‘जनसंख्या’ में विस्फोट

punjabkesari.in Tuesday, Jun 16, 2020 - 03:20 AM (IST)

देश की स्थिति सामान्य होने पर प्राथमिकता के आधार पर दो कार्यक्रम अतिशीघ्र प्रारंभ होने चाहिएं। आज की सभी समस्याओं की जड़ में जनसंख्या विस्फोट सबसे बड़ा कारण है। प्रधानमंत्री जी ने भी 15 अगस्त को अपने भाषण में इसका जिक्र किया था। भारत ही नहीं पूरे, विश्व के लिए यह सबसे बड़ा संकट है।

कोरोना जैसी महामारियों का सबसे बड़ा कारण यही है। आबादी बढ़ गई-साधन कम हो गए-जंगल कटे। मनुष्य और पशु का अंतर समाप्त हो गया। खाद्य सामग्री की कमी के कारण मांसाहार बहुत अधिक बढ़ गया। आज मनुष्य किसी भी जीव-जन्तु को खा रहा है। आज से बहुत पहले भी ऐसी ही स्थिति थी जब हिन्दी के प्रसिद्ध कवि श्री मैथिलीशरण गुप्त ने इसी का जिक्र करते हुए अपनी एक कविता में लिखा था : 

केवल पतंग विहंगमों में-जलचरों में नाव ही
बस भोजनार्थ चतुष्पदों में चारपाई बच रही 
कोरोना की तरह कई बीमारियां पशु-पक्षियों के मांसाहार से ही मनुष्य को प्राप्त हुई हैं। बहुत से देशों में बढ़ती जनसंख्या को रोक लिया परन्तु मांसाहार के स्वभाव को नहीं बदल सके। चीन ने बढ़ती आबादी रोक ली। भारत बहुत जल्दी चीन को पीछे छोड़ कर विश्व का सबसे अधिक आबादी वाला देश बनने वाला है परन्तु चीन मांसाहार को नहीं छोड़ सका। चमगादड़ जैसे पक्षियों का मांस खाने से ही कोरोना फैलने के समाचार आए हैं। 

पूरे विश्व में जिस आबादी को लगभग 100 करोड़ तक पहुंचने में लाखों साल लगे थे, उसे अब केवल 214 सालों में ही 800 करोड़ के आसपास पहुंचा दिया। अगर विश्व की आबादी इसी गति से बढ़ती रही तो 2050 में एक हजार करोड़ के पार होगी और प्रसिद्ध वैज्ञानिक स्व. प्रो. स्टीफन हॉकिन्स के अनुसार अगले 100 वर्षों में मनुष्य को रहने के लिए किसी दूसरे ग्रह की आवश्यकता पड़ेगी। यह प्रसन्नता का विषय है कि अब विश्व के बहुत से देशों ने जनसंख्या को नियंत्रित कर लिया है।

इस संबंध में भारत की परिस्थिति बहुत निराशाजनक और चिंताजनक है। जिस देश ने दुनिया में सबसे पहले परिवार नियोजन आरंभ किया वह देश आज दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बनने की कगार पर है। दुनिया की 2.4 प्रतिशत भूमि पर भारत में दुनिया की 18 प्रतिशत आबादी रहती है और भारत के पास उस आबादी को पिलाने के लिए दुनिया का सिर्फ 4 प्रतिशत पानी है। 

आजादी के बाद हम लगभग 106 करोड़ बढ़ चुके हैं। आजादी के समय हमारी आबादी 34 करोड़ थी और आज भारत में गरीबी की रेखा से नीचे ही 26 करोड़ लोग रहते हैं और 19 करोड़ रात को लगभग भूखे पेट सोते हैं। अभी कुछ दिन पूर्व नीति आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में पीने के पानी की भयंकर समस्या पर प्रकाश डाला था। 1947 की तुलना में प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता लगभग 6 क्यूबिक लीटर से घट कर केवल 2 क्यूबिक लीटर हो गई है। जिस देश में कभी दूध की नदियां बहती थीं आज वह पानी की नदियों को भी तरस रहा है। 

बढ़ती आबादी के लिए अधिक भोजन की चिंता के कारण हमारे देश में अधिक अन्न पैदा करने के लिए अनेक योजनाएं चलीं, जिनमें रासायनिक खादों का प्रयोग लगभग 80 गुणा बढ़ गया परन्तु अनाज उत्पादन बढ़ा केवल 5 गुणा और साथ में बढ़ी हैं कई बीमारियां। 

भारत विश्व का सबसे अधिक प्रदूषित देश बन रहा है। देश की राजधानी दिल्ली गैस चैम्बर बन गई है। युवा कैंसर की बीमारी से पीड़ित होने लगे हैं। राजधानी के लोगों को संभालना तो एक तरफ, कूड़ा-कर्कट तक भी नहीं संभाला जा रहा। पहाड़ की तरह कूड़े का ढेर लगा है। पिछले दिनों गिरा-सुलगा। नीचे कुछ लोग मर गए। राजधानी में 40 लाख लोगों की अवैध बस्तियां बन गईं।

कहने को अवैध तौर पर मकान बन गए, बिजली-पानी मिल गया। वर्षों तक पूरा जीवन चलता रहा। बढ़ती आबादी के दबाव में ये अवैध बस्तियां बसीं और वोट बैंक की राजनीति के दबाव ने सारी पार्टियों को विवश किया और देश की राजधानी में इन सबको अवैध से वैध बना दिया। पूरे देश में अवैध निर्माण होता है और फिर उसे वैध कर दिया जाता है, अवैध खनन भी जोरों पर है। रेत माफिया यहां तक कि कई बार गोलियां भी चला देता है। भ्रष्टाचार बढ़ाने का यह भी एक बड़ा कारण बन गया है। 

सरकार के एक आंकड़े के अनुसार भारत की आबादी प्रतिवर्ष एक करोड़ 50 लाख बढ़ रही है। परन्तु सरकार की ही एक और रिपोर्ट के अनुसार पिछले 18 वर्षों में आबादी 36 करोड़ बढ़ गई अर्थात 2 करोड़ प्रतिवर्ष-इस विषय के एक विद्वान श्री मनु गौड़ ने अपने एक शोध पूर्ण लेख में कहा है कि सरकार के ही भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण की वैबसाइट के अनुसार भी आबादी दो करोड़ प्रतिवर्ष बढ़ रही है। कुछ मास पूर्व चीन ने अपनी एक रिपोर्ट में भी दावा किया है कि दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश अब चीन नहीं बल्कि भारत है। भारत में विश्व में सबसे पहले 1974 में परिवार नियोजन कार्यक्रम शुरू हुआ और कुल लगभग 2 लाख 25 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए। इसके बाद भी देश की आबादी 106 करोड़ बढ़ गई। 

बढ़ती आबादी के संकट के संबंध में मैं तथा श्री भैरों सिंह शेखावत कई बार प्रधानमंत्री जी से मिले थे। हमारे आग्रह पर श्री अडवानी जी ने दो बार मंत्रिमंडल की बैठक में यह मामला उठाया। चर्चा भी हुई। कुछ सदस्यों के विरोध पर यह भी सुझाव आया था कि यदि पूरी तरह रोक न लगाई जा सकती हो तो परोक्ष रूप से रोक लगाई जाए। दूसरी बैठक में यह सुझाव आया कि किसी निश्चित समय के बाद दो बच्चों से अधिक व्यक्ति को देश में कोई भी चुनाव लडऩे के अयोग्य करार दे दिया जाए। लम्बी चर्चा के बाद अन्य दलों के मंत्रियों के विरोध के कारण निर्णय नहीं हो सका। 

देश में आपातकाल के समय बड़े स्तर पर श्री संजय गांधी ने इस कार्यक्रम को शुरू किया। परन्तु एक अच्छा काम गलत समय पर गलत तरीके से गलत लोगों द्वारा शुरू किया। उसके कारण यह कार्यक्रम इतना बदनाम हुआ कि आज तक किसी ने इस संबंध में सोचने का साहस तक नहीं किया। बहुत से विरोधी दल इसका विरोध केवल वोट बैंक की राजनीति के कारण करते हैं। भारत के दुर्भाग्य का सबसे बड़ा कारण वोट बैंक की राजनीति है। इस देश की राजनीति देश के लिए नहीं, केवल सत्ता के लिए है। मूल्य आधारित राजनीति तो अब वे भी भूल गए जो उसी के कारण विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बनने का सपना साकार कर सके।-शांता कुमार(पूर्व मुख्यमंत्री हि.प्र. और पूर्व केन्द्रीय मंत्री)


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