‘गोल्ड लोन’ की आड़ में गरीबों का शोषण बंद हो

punjabkesari.in Tuesday, May 28, 2024 - 05:42 AM (IST)

चुनावों में नेताओं के भाषणों से सम्पत्ति के वितरण और मंगलसूत्र हड़पने जैसी बेबुनियाद बातों पर बहस हो रही है। सोने की चिडिय़ा कहे जाने वाले भारत में लगभग 30,000 टन सोना है जिसकी कीमत 200 लाख करोड़ से ज्यादा है। उसकी तुलना में चीन के पास सिर्फ 16,000 टन सोना है। नोटबंदी के बाद लोगों का कर्ज और दुश्वारियां दोनों बढ़ी हैं। कोरोना के बाद व्यापार और रोजगार खत्म होने से करोड़ों लोग आर्थिक संकट का शिकार हो गए। जिनके पास संपत्ति और नियमित आमदनी नहीं है और जो लोग इंकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं करते, उन्हें बैंकों से लोन मिलना मुश्किल होता है। कई जरूरतमंद लोग गोल्ड लोन के पठानी ब्याज के शिकंजे से बर्बाद हो रहे हैं। 

साल 2013 में गोल्ड लोन का बाजार 2 लाख करोड़ रुपए का था जो अब बढ़कर 6 लाख करोड़ का हो गया है। कोरोना के बाद गोल्ड लोन के बाजार में सालाना 22 फीसदी की बढ़ौतरी हो रही है। भारत में विशाल सोने के भंडार में से अगर 20 फीसदी के एवज में गोल्ड लोन दिए जाएं तो गोल्ड लोन का 24 लाख करोड़ का बाजार हो सकता है। 

रिजर्व बैंक की सख्ती : कुछ दिनों पहले अधूरी के.वाई.सी. वाले 1.3 करोड़ म्यूचुअल फंड खातों पर सेबी ने रोक लगा दी थी। कर्ज देने वाले  बैंक  फिनटेक और एन.बी.एफ.सी. कम्पनियों के लिए रिजर्व बैंक ने सख्त नियम बनाए हैं। नियमों के पालन में गड़बड़ी की वजह से ही पे-टी.एम. के खिलाफ सख्त कार्रवाई हुई। गोल्ड लोन के लिए बनाए गए नियमों के अनुसार मान्यता प्राप्त एन.बी.एफ.सी. कम्पनियां और बैंक ही सोने के एवज में कर्ज बांट सकते हैं। कुछ दिनों पहले गोल्ड लोन देने वाली तीसरी सबसे बड़ी कम्पनी आई.आई.एफ.एल. फाइनांस के खिलाफ रिजर्व बैंक ने सख्त कार्रवाई की थी। मुथुट फाइनांस और मन्नपुरम फाइनांस गोल्ड लोन बाजार की टॉप 2 एन.बी.एफ.सी. कम्पनियां हैं, जिनका पूरे देश में नैटवर्क है। बड़े फिल्म स्टार और खिलाड़ी ब्रांड एम्बैसेडर बनकर गरीबों को झटपट गोल्ड लोन के लिए लुभाते हैं। 

आई.आई.एफ.एल. कम्पनी के गोल्ड लोन बिजनैस की जांच में रिजर्व बैंक को 4 तरह की गड़बडिय़ां पकड़ में आईं। पहला-ये कम्पनियां गुणवत्ता पर सवाल उठाकर सोने की कीमत को कम आंकती हैं। कई बार 22 कैरेट वाली ज्वैलरी को 20 या 18 कैरेट का बताकर मूल्यांकन को कम कर दिया जाता है। इससे ग्राहकों को कर्ज की रकम कम मिलती है। लोन में डिफाल्ट की स्थिति में सोना जब्त हो जाता है, जिससे ग्राहकों का दोहरा नुकसान होता है। कम्पनियों की इस हेर-फेर में वैल्यूवर लोग भी बड़े पैमाने पर शामिल हैं। दूसरा-ये कम्पनियां लोन टू वैल्यू रेशो (एल.टी.वी.) में भी गड़बड़ी करती हैं। एल.टी.वी. में दिए गए अनुपात के अनुसार सोने के बदले लोन की रकम का निर्धारण होता है। कोरोना काल में रिजर्व बैंक ने सोने की कीमत के 90 फीसदी वैल्यू तक लोन देने की ढील दी थी। उसके बाद 2021 में रिजर्व बैंक ने इसे 75  प्रतिशत कर दिया। रिजर्व बैंक की जांच के अनुसार आई.आई.एफ.एल. के 67 प्रतिशत खातों में एल.टी.वी. में गड़बड़ी पाई गई है। 

तीसरा-कई फिनटेक कम्पनियां ग्राहकों के कर्ज की मांग को पूरा करने के लिए गोल्ड लोन की आड़ में गलत तरीके से पर्सनल लोन भी देती हैं। गोल्ड लोन में ब्याज दर कम होती है, जबकि पर्सनल लोन में ब्याज दर बहुत ज्यादा होती है। चौथा-रिजर्व बैंक नियमों के अनुसार 20,000 रुपए से ज्यादा के कर्ज की रकम बैंक खाते में जमा होनी चाहिए, लेकिन इंकम टैक्स के नियमों की आड़ में कई कम्पनियां 2 लाख रुपए तक का कर्ज नकद में दे रही हैं। 

ग्राहकों का शोषण और लूट : कर्ज देनी वाली कम्पनियों और बैंकों के ऊपर नियमों को लागू करके रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था में स्थिरता को सुनिश्चित करता है। इससे करोड़ों ग्राहकों के हितों की भी सुरक्षा होती है। प्रॉपर्टी, शिक्षा या पर्सनल लोन की तरह गोल्ड लोन में ज्यादा कागजी कार्रवाई नहीं करनी पड़ती है, इसलिए इसके प्रति लोगों का रुझान बढ़ रहा है। गोल्ड लोन की ब्याज दरों और प्रोसैसिंग फीस के बारे में रिजर्व बैंक के नियमों का सही तरीके से पालन नहीं होने की वजह से ग्राहकों का शोषण बढ़ रहा है। 

सरकारी बैंक 8.5 से 11 फीसदी की दर पर गोल्ड लोन देते हैं जबकि कई निजी बैंक गोल्ड लोन के नाम पर 17 फीसदी तक का ब्याज वसूल रहे हैं। सरकारी बैंक 0.5 फीसदी या 5,000 रुपए की अधिकतम प्रोसैसिंग फीस लेते हैं। दूसरी तरफ निजी एन.बी.एफ.सी. कम्पनियां एक प्रतिशत से ज्यादा की प्रोसैसिंग फीस वसूल रही हैं। सोने की कीमत, ब्याज और प्रोसैसिंग फीस के बारे में सही पड़ताल करने के बाद ही रजिस्टर्ड कम्पनियों से गोल्ड लोन लेना चाहिए लेकिन जरूरतमंद लोगों को जल्द और नगद कर्ज चाहिए होता है। गरीब लोग गैर-कानूनी कम्पनियों के शिकंजे में फंसकर पीढिय़ों से संचित सोने को गंवा देते हैं। 

गोल्ड लोन के बढ़ते बाजार को देखते हुए फर्जी ऐप से ठगी करने वाले कई गिरोह भी सक्रिय हो गए हैं। अनेक धांधलियों की वजह से गोल्ड लोन में एन.पी.ए. बढऩे से वित्तीय अस्थिरता बढ़ रही है। रिजर्व बैंक ने शिकायत दर्ज कराने और समाधान के लिए कई नियम बनाए हैं लेकिन जनता को सरकारी शिकायत निवारण तंत्र पर ज्यादा भरोसा नहीं दिखता। 60 लाख से ज्यादा ग्राहक गोल्ड लोन ले रहे हैं जिनमें से सिर्फ 135 लोगों ने साल 2023-24 में शिकायत दर्ज कराई थी। गरीबों की स्याह हकीकत समझने की बजाय रिजर्व बैंक का नियमों के तकनीकी पक्ष पर ज्यादा जोर है। जमीन पर नियम लागू नहीं होने से साहूकारों और लोन एप्स जैसे डिजिटल मगरमच्छों के चक्कर में पड़कर लाखों गरीब परिवारों का जीवन तबाह हो रहा है। गोल्ड लोन बाजार में बढ़ रही धांधलियों को रोकने के लिए चुनावों के बाद बनी नई सरकार को सख्त कदम उठाने होंगे।-विराग गुप्ता(एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट)
 


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