आर्थिक संकट : मंत्रियों की ‘अजीब प्रतिक्रियाएं’

punjabkesari.in Sunday, Oct 20, 2019 - 01:28 AM (IST)

 सम्भवत: वे खुद को खुश दिखाने या हमारे मनोबल को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन हमारे सर्वाधिक वरिष्ठ मंत्रियों में से कुछ हमारे सामने मुंहबाए खड़े आर्थिक संकट को लेकर अजीबो-गरीब प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे वे सर्वाधिक ऊट-पटांग कहानी गढऩे की स्पर्धा में हैं। फिर विरोधाभास यह है कि उनके सबसे करीब ऐसे लोग हैं जो गम्भीर स्थिति बारे विश्वासपूर्ण तरीके से बता तथा अधिक उचित प्रतिक्रिया का सुझाव दे सकते थे। 

विकास के विभिन्न पैमानों में गिरावट
पहले निर्विवाद तथ्य। कृषि विकास दर गिर कर 2 प्रतिशत पर आ गई है, निर्माण महज 0.6 प्रतिशत पर, वर्षों तक स्थिर रहने के बाद निर्यात सिकुड़ रहे हैं, निवेश एक अंक तक कम हो गया है तथा निजी उपभोग 18 तिमाहियों में सर्वाधिक कम स्तर पर। सम्भवत: सबसे खराब प्रभावित आटोमोबाइल क्षेत्र है, जो निर्माण का 49 प्रतिशत, जी.डी.पी. का 7 प्रतिशत तथा जी.एस.टी. का 15 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करता है। लगातार 11 महीनों से इसकी बिक्री में गिरावट आ रही है। 

केवल जिन चीजों में वृद्धि हो रही है, वे हैं बेरोजगारी, एफ.पी.आई. की निकासी तथा विदेशों में धन प्रेषण। परिणामस्वरूप मूडीस ने अपना वृद्धि दर बारे अनुमान घटाकर 5.8 प्रतिशत कर दिया है, आर.बी.आई. तथा विश्व बैंक ने 6 प्रतिशत, जबकि आई.एम.एफ. का कहना है कि भारत में मंदी अन्य देशों के मुकाबले ‘अधिक स्पष्ट’ है। 

हमारे मंत्री क्या कहते हैं
अब प्रतिक्रिया में हमारे मंत्री क्या कहते हैं? वित्त मंत्री का कहना है कि आटोमोबाइल बिक्री में मंदी का कारण यह है कि लोग उबर तथा ओला को अधिमान देते हैं। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने अधिक सफाई देते हुए चेतावनी दी कि जी.डी.पी. के आंकड़ों के पीछे के गणित पर बहुत अधिक ध्यान न दें। अंतत: गत सप्ताह कानून मंत्री ने सारा श्रेय लूट लिया। उन्होंने दावा किया कि हाल ही में रिलीज 3 फिल्मों की सफलता इस बात का सबूत है कि हमारी ‘मजबूत अर्थव्यवस्था’ है। हालांकि बाद में उन्होंने अपनी टिप्पणी को वापस लेते हुए तर्क दिया कि यह ‘तथ्यात्मक रूप से सही’ था। यदि और कुछ नहीं तो तीनों मंत्री क्या आपको प्रसिद्ध तीन की याद नहीं दिलाते? मेरा मतलब ‘थ्री मस्केटियर्स’ से है, जिन्होंने हमें उस समय हंसाया जब हमें इसकी अत्यंत जरूरत थी। मगर उन्होंने एक बढ़ती हुई चिंता की भी पुष्टि की कि सरकार बढ़ते जा रहे संकट को पहचानने से इंकार कर रही है। 

फिर गत सप्ताह प्रधानमंत्री के मुख्य आर्थिक सलाहकार आर्थिक स्थिति का अधिक खुल कर आकलन नहीं कर सकते थे? उन्होंने कहा कि वृद्धि दर 6 प्रतिशत से नीचे गिर सकती थी। मंदी के लिए जी.एस.टी. सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारण है तथा यह लगातार समस्या बना हुआ है। इसमें आवश्यक तौर पर सुधार की जरूरत है। अन्यथा हम वित्तीय घाटे के लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पाएंगे। इस बीच कार्पोरेट टैक्स में की गई तीव्र कमी निवेश बढ़ाने में कोई खास लाभकारी नहीं होगी। ऐसा केवल तभी होगा जब सरकार मांग को बढ़ावा देगी। अभी तक इसने कोई पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं। अंतत: यह ‘अपरिहार्य’ हैकि आयकर की दरों में काफी हद तक कमी की जाएगी। 

नजरअंदाज न कर सकने वाली आवाज
यद्यपि सोमवार को एक आवाज सुनी गई जिसे वित्त मंत्री नजरअंदाज नहीं कर सकतीं। यह कोई परेशान करने वाले सलाहकार नहीं थे बल्कि उनके ही पति थे। उन्होंने कुछ ऐसा कहा था:  

‘देश में आर्थिक मंदी को लेकर हर ओर चिंता है, जबकि सरकार अभी भी इंकार करने के मोड में है, जनता में निर्बाध रूप से जा रहे आंकड़े दर्शाते हैं कि एक के बाद एक सभी क्षेत्र गम्भीर चुनौतीपूर्ण स्थिति की ओर ताक रहे हैं... यद्यपि सरकार ने अभी तक ऐसे संकेत नहीं दिए हैं कि वह अर्थव्यवस्था को बीमार करने वाली चीज पर काबू पाने जा रही है। यह मानने के लिए बहुत कम सबूत उपलब्ध हैं कि चुनौतियों का समाधान करने के लिए इसके पास एक रणनीतिक दृष्टिकोण है।’ 

पराकला प्रभाकर के विश्लेषण की गहराई में जाने की जरूरत नहीं है। उनका मानना है कि भाजपा के पास ‘देश की अर्थव्यवस्था के बारे में विचारों का अपना खुद का सुसंगत संग्रह नहीं है।’ यदि वह सही भी हैं तो सरकार के पास सलाहकार हैं जो ऐसा कर रहे हैं। यह क्यों उनको सुन नहीं रही? कोई संदेह नहीं कि सरकार ने ट्रिपल तलाक, अनुच्छेद 370, पाकिस्तान तथा राम मंदिर पर अपने स्टैंड के माध्यम से अत्यंत लोकप्रियता हासिल की है। इसके बावजूद जब वे हरियाणा तथा महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार करते हैं तो केवल प्रधानमंत्री तथा गृह मंत्री के बारे में बात करते हैं। मगर उनकी चुप्पी अर्थव्यवस्था को अपने आप सही करने के लिए प्रेरित नहीं करेगी और न ही समय के साथ समस्या में नरमी आएगी। यदि प्रधानमंत्री सतर्क नहीं होंगे तो यह एक ऐसी विरासत बन सकती है जो उनकी स्थिति को नष्ट कर सकती है।-करण थापर       


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