अफगानिस्तान की मिसाल देकर ड्रैगन की ताईवान पर हमले की धमकी

punjabkesari.in Thursday, Sep 16, 2021 - 06:39 AM (IST)

अभी दुनिया का ध्यान अफगानिस्तान में लगा हुआ है और उधर चीन एक बड़ा खेल कर गया, जो ताईवान पर दिनों-दिन अपना शिकंजा कसता जा रहा है। जिस समय बाइडेन अमरीकी सेना को अफगानिस्तान से बाहर निकालने में व्यस्त थे, उसी समय चीन ने अमरीका के इस कदम की बात करके अपने पड़ोसी देश ताईवान को धमकाना शुरू कर दिया। उसने अपनी सरकारी विज्ञप्ति में कहा कि जो देश अमरीका पर भरोसा कर रहे हैं वे देख लें कि अमरीका ने अफगान जनता को किस हाल में छोड़ा है। 

शी जिनपिंग ने ताईवान को धमकी भरे अंदाज में कहा था कि जब चीनी सेना ताईवान पर कब्जा करने आएगी तो ताईवान यह न सोचे कि अमरीकी सेना उसकी रक्षा के लिए आगे आएगी, वह ताईवान को अफगानिस्तान की तरह ही छोड़कर भाग जाएगी। चीन ने कहा कि ताईवान को अफगानिस्तान से सबक लेना चाहिए। अमरीका ने जिस तरह से अफगानिस्तान को मंझधार में छोड़ा है, उसे देखते हुए ताईवान की राष्ट्रपति त्साई इंग वन ने कहा कि अफगानिस्तान से अमरीका के अचानक चले जाने से वहां उपजे ताजा हालात को देखते हुए ताईवान को अपना रक्षा तंत्र और मजबूत करना पड़ेगा। 

वहीं चीन इस मौके का भरपूर फायदा उठाना चाहता है क्योंकि वह ताईवान को अपने देश का हिस्सा मानता है। चीन ने ताईवान को धमकाने के लिए हाल ही में अपने लड़ाकू विमानों के साथ-साथ परमाणु बम दागने वाले विमान को भी ताईवान की सीमा में भेजा था तो बदले में ताईवान ने भी अपनी मिसाइलें चीनी लड़ाकू विमानों पर तान दी थीं। इसके बाद चीनी लड़ाकू विमान वापस चले गए। इस बार चीन ने कुल 19 लड़ाकू विमानों को ताईवान भेजा था, जिनमें से 10 जे-16 लड़ाकू विमान, 4 सुखोई एस.यू. 30, 4 शियान एच 6 बमवर्षक विमान और एक एंटी सबमरीन बमवर्षक विमान था। 

वैसे ताईवान के पास इस समय कुल 4 पनडुब्बियां हैं, जो ताईवान ने 70 के दशक में अमरीका से खरीदी थीं। ये बहुत पुरानी हो चुकी हैं, जिनका निर्माण 1940 के दशक का बताया जाता है लेकिन चीन का मुकाबला करने के लिए ताईवान सबसे ज्यादा जिस हथियार पर भरोसा करता है, वह है मिसाइल। ताईवान के पास इतनी मिसाइलें हैं, जिसकी वजह से चीन ताईवान को अपने लड़ाकू विमानों द्वारा घुड़कियां तो देता रहता है लेकिन कभी हमला करने की हि मत नहीं जुटा पाता। 

वैसे चीन की तरफ से ताईवान की सीमा में हुई यह पहली घुसपैठ नहीं थी, इससे पहले भी चीन ने जनवरी, अप्रैल और जून के महीने में ताईवान के वायुक्षेत्र का उल्लंघन किया था। हालांकि ताईवान के राडार सिस्टम और सुरक्षा विभाग ने चीन के विमानों को चेतावनी जारी की थी लेकिन इस बात पर चीन की तरफ से कोई जवाब नहीं आया। इसमें कोई नई बात नहीं है, चीन हमेशा हर काम चुपचाप करता है और आधिकारिक तौर पर किसी देश द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब भी नहीं देता। 

इसके बाद जी-7 देशों की एक बैठक हुई जिसमें कई देशों ने चीन की आक्रामकता की आलोचना की और ताईवान जलडमरू मध्य में शांति और स्थिरता बनाए रखने की बात कही। वहीं चीन अफगानिस्तान के ताजा हाल से बहुत ज्यादा उत्साहित है क्योंकि अफगानिस्तान में उसकी मनपसंद तालिबान सरकार बन चुकी है और इसके बाद चीन का सीधा वर्चस्व मध्य एशियाई देशों पर होगा। चीन को वर्तमान समय में ताईवान पर दबाव बनाने का सुनहरा पल नजर आ रहा है क्योंकि अमरीका के अफगानिस्तान से चले जाने को चीन अमरीका की हार मान रहा है और कहीं न कहीं खुद को दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेना मान बैठा है।

वहीं ताईवान ने चीन की धमकी का सीधा जवाब दिया है। ताईवान की तरफ से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि अगर चीन उसको कम शक्तिशाली देश समझता है तो वह बहुत बड़ी भूल कर रहा है। ताईवान चीन की हर हरकत का मुंह-तोड़ जवाब देने को तैयार बैठा है। ताईवान किसी भी हाल में चीन का वर्चस्व अपने ऊपर सहन नहीं करेगा। वैसे ताईवान के पास चीन के मुकाबले भले ही सेना बहुत कम है लेकिन ताईवान ने अपने मिसाइल सिस्टम को बहुत उन्नत कर रखा है। 

समुद्री दूरी में नापा जाए तो ताईवान चीन के फूच्येन प्रांत की निकटतम सीमा से मात्र 160 किलोमीटर दूर है, जिसके पास ऐसी मिसाइलें हैं जो चीन के फूच्येन, चच्यांग, च्यांगशी, हूनान, क्वेईचो, हेनान, आनहुई, शानतुंग, छोंगङ्क्षछग, क्वांगशी और क्वांगतुंग प्रांत को अपनी मिसाइलों से पूरी तरह नष्ट कर सकता है लेकिन ताईवान अपने पड़ोसियों से शांतिपूर्ण और स्थिर संबंधों की अपेक्षा रखता है। 

चीन का आक्रामक रवैया खासकर उसके पड़ोसी देशों के लिए ङ्क्षचता का सबब है, खासकर उस समय, जब अभी दुनिया कोरोना महामारी से उबर नहीं पाई है, वहीं अफगानिस्तान की समस्या सिर उठा चुकी है। ऐसे में चीन की खतरनाक चालों से दुनिया को सचेत रहने की जरूरत है। चीन ने कई दशक पहले जो विस्तारवाद की योजना बनाई थी उस पर वह लगातार आगे बढ़ता जा रहा है। हाल के दिनों में दुनिया ने देखा कि चीन के राजनयिकों की भाषा में भी तीखापन खुलकर सामने आया है, जो पहले चीनियों में नहीं देखा गया था। इसलिए पूरी दुनिया को चीन की हर एक हरकत पर पैनी नजर बनाकर रखना बहुत जरूरी है। 
 


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