कुत्ते और मालिक एक-दूसरे के साथ ‘शारीरिक दिखावट’ में रखते हैं समानता

punjabkesari.in Tuesday, Nov 19, 2019 - 01:46 AM (IST)

ज्यादातर लोग जो कुत्ते चुनते हैं उनके साथ उनकी कुछ शारीरिक समानता प्रतीत होती है। लंबी टांगों वाली महिलाएं लंबी टांगों वाले कुत्तों को, अधिक वजन वाले लोग थोड़ा मोटे कुत्तों को, झबरा बालों वाले मालिक और वैसे ही कुत्ते। सदाहिको नाकाजिमा जापान के कवेंसी गाकुइन विश्वविद्यालय में एक मनोवैज्ञानिक हैं जिन्होंने न केवल मनुष्य और उनके पालतू कुत्ते एक जैसे दिखते हैं, बल्कि ऐसा क्यों है, की धारणा पर भी शोध किया है। 

2009 में नाकाजिमा ने दिखाया कि  कैसे लोग कुत्तों और उनके मालिकों के चेहरे की तस्वीरों को देखकर उनका मिलान करने में सक्षम थे। यह किए गए कई प्रयोगों में से एक है जो इस लोकप्रिय धारणा को मजबूत करता है कि कुत्ते और मालिक एक-दूसरे के साथ शारीरिक दिखावट में समानता रखते हैं। अगला कदम यह समझना था कि क्यों। नाकाजिमा ने एक और प्रयोग किया, जिसके परिणाम एंथ्रोजूस पत्रिका में प्रकाशित हुए। 

कारण आंखों में छिपा है
500 लोगों को तस्वीरों के दो सैट दिखाए गए। एक सैट में वास्तविक कुत्ते-मालिक जोड़े की तस्वीरें दिखाई गईं, जबकि दूसरे सैट में लोगों और कुत्तों की यादृच्छिक जोड़ी थी। प्रतिभागियों को चित्रों के 5 सैट दिखाए गए थे जहां विभिन्न अंगों को छिपाया गया था: कोई पर्दा नहीं (जिसमें मानव और कुत्ते के चेहरे अबाधित थे), आंखों पर पर्दा (मानव की आंखें छिपाई गई थीं), मुंह पर पर्दा (मानव के मुंह को छिपाया गया था), कुत्ते की आंख पर पर्दा (कुत्ते की आंखें छिपाई गई थीं), केवल आंखें (जहां सिर्फ  इंसान और कुत्ते की आंखें देखी जा सकती थीं)। 

प्रतिभागियों  को फिर कुत्ते-मालिक जोड़े का चयन करने के लिए कहा गया था जो शारीरिक रूप से एक-दूसरे से मिलते-जुलते थे। नाकाजिमा के 2009 के प्रयोग के समान ही  80 प्रतिशत अबाधित तस्वीरें दिखाए गए प्रतिभागियों ने कुत्ते-मालिक जोड़े की सही पहचान की। जब मालिकों के मुंह छुपाए गए थे तो 73 प्रतिशत प्रतिभागी सही थे। लेकिन जब मनुष्यों या कुत्तों की आंखों को छिपाया गया था, तो कोई सटीकता नहीं थी-बस यादृच्छिक अनुमान। जब प्रतिभागियों को केवल कुत्ते और मानव की आंखें दिखाई गईं तो उनकी सटीकता 74 प्रतिशत हो गई। 

लोग अपने जैसे दिखने वाले कुत्तों को चुनते हैं 
मनोवैज्ञानिक तंत्र ‘परिचितता’ है जो बताता है कि कोई व्यक्ति ऐसे किसी कुत्ते को क्यों चुन सकता है जो उसके समान दिखता है और इसे तकनीकी शब्दों में ‘मात्र प्रदर्शन प्रभाव’ के रूप में जाना जाता है। यही कारण है कि हमें वही लेखक, वही ‘पुराने’ गाने पसंद आते हैं। यही कारण है कि हम अभिनेताओं और जाने-माने लोगों की पत्नियों/बच्चों को उनकी क्षमता देखे बिना वोट देते हैं। यह ही कारण है कि नकली समाचारों में इतनी ताकत होती है-जिसे हर कुछ हफ्तों में दोहराया जाता है, यह हमारी कल्पना में जीवन का एक रूप लेती है, क्योंकि हम इसके बारे में परिचित हैं। 

हम अपने स्वयं के चेहरे से परिचित हैं। ऐसा कुछ भी जो हमें अपने जैसा दिखता है, उस पर हम गर्मजोशी से प्रतिक्रिया देते हैं। डा. स्टेनली कॉरेन द्वारा किए गए एक परीक्षण में 104 महिलाओं को चार कुत्ता नस्लों के सिरों को देखने के लिए कहा गया था: एक अंग्रेजी स्प्रिंगर स्पैनियल, एक बीगल, एक साइबेरियाई हस्की और एक बेसनजी। महिलाओं ने उन्हें दिखावट, मित्रता, निष्ठा और बुद्धिमता के आधार पर अंक दिए। महिलाओं को लंबे बाल वाली शैलियां जो कानों को ढकती हों और छोटे या बांधे हुए बालों वाली जिनमें कान दिखते हों, के मध्य विभाजित किया गया था। परिणाम? लंबे कान ढके वाले बालों वाली महिलाओं के पसंदीदा बीगल और स्पैनियल्स थे जिनके लंबे कान चेहरे पर लटक रहे थे। छोटे बाल और कान दिखने वाली महिलाओं ने छोटे कान वाले साइबेरियाई हस्की और बेसनजी को चुना। अब मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी में सामाजिक मनोवैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में कहा गया है कि कुत्ते और मालिक के व्यक्तित्व भी समान होते हैं। 

अध्ययन में 1681 कुत्तों के मालिकों ने अपने स्वयं के व्यक्तित्व और अपने कुत्तों के व्यक्तित्व का मूल्यांकन किया था। शोधकत्र्ताओं ने पाया कि उनमें से अधिकांश ने व्यक्तित्व लक्षण सांझा किए। किसी सहमत होने वाले व्यक्ति के पास ऐसा कुत्ता होने की संभावना दोगुनी थी जो खुशमिजाज और कम आक्रामक था बजाय किसी मूडी व्यक्ति के। प्यार करने वाले जिम्मेदार मालिकों ने अपने कुत्तों को प्रशिक्षण के लिए अनुकूल माना। न्यूरोटिक मालिकों ने अपने कुत्ते को भयभीत माना। जाहिर तौर पर अध्ययन केवल स्वामी को देखे जाने पर भरोसा नहीं कर सकता था क्योंकि यह पक्षपातपूर्ण हो सकता है। लेकिन परिचितों ने कुत्ते  का उसी तरह से मूल्यांकन किया जिस तरह से उनके स्वामी ने किया था। 

यह व्यक्तित्व की तुलना के लिए मानक व्यक्तित्व दिशा-निर्देश है:
न्यूरोटिसिज्म या भावनात्मक स्थिरता - 
अधिक संवेदनशील तथा नर्वस या सुरक्षित और आत्मविश्वासी व्यक्ति।
बहिर्मुखता - अधिक बातें करने वाला, मिलनसार और ऊर्जावान या एकान्त और कम घुलने-मिलने वाला  व्यक्ति।
सहमतिपूर्ण - दोस्ताना और दयालु या जोशरहित तथा दयालु न होने वाला व्यक्ति।
कत्र्तव्यनिष्ठ-परिश्रमी, कुशल और संगठित या हल्के में लेने वाला, आलसी अथवा लापरवाह व्यक्ति।
खुलापन-बुद्धिमतापूर्ण और आविष्कारशील तथा जिज्ञासु या सुसंगत और सतर्क व्यक्ति। 

जब स्वामी टैक्सास विश्वविद्यालय द्वारा कुत्ते के व्यक्तित्व को मापने के लिए विकसित एक परीक्षण का उपयोग करके अपने कुत्तों के व्यक्तित्व का मूल्यांकन करते हैं, तो वे सभी पांच व्यक्तित्व लक्षणों में अपने कुत्तों को खुद के समान दर्जा देते हैं। परिवार के सदस्यों ने भी कुत्ते का मूल्यांकन किया और परिणामों से पता चला कि पांच व्यक्तित्व विशेषताओं में से चार में इन परिवार के सदस्यों ने कुत्ते में मालिक के समान ही लक्षण देखे। हालांकि, ये दोनों अध्ययन एक कुत्ते वाले घरों में लागू होते हैं। यदि एक से अधिक कुत्ते हों तो समानताएं कम संगत हो जाती हैं। 

जर्नल प्लोस में प्रकाशित विएना विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक अध्ययन में 132 कुत्तों और उनके मालिकों को शामिल करके, व्यवहार परीक्षण (कैसे उन्होंने लैब में कथित खतरों पर प्रतिक्रिया की) और भौतिक मार्कर (तनाव हार्मोन कोर्टिसोल का पता लगाने के लिए हृदय गति तथा लार के नमूने) दोनों का उपयोग करते हुए जोड़ी के प्रत्येक सदस्य के तनाव की निगरानी की गई। वैज्ञानिकों ने पाया कि जितना अधिक मालिक चिंतित है, कुत्ता उतना ही विक्षिप्त होगा। यदि मालिक को आराम था, तो कुत्ता भी आराम में था। 

ये समानताएं क्यों मौजूद हैं। शायद इसलिए कि मालिक उन कुत्तों को चुनता है जो उसके जैसे होते हैं। लेकिन इससे भी अधिक, उनके साथ हमारे दैनिक सम्पर्क के माध्यम से हम उनके व्यक्तित्व को आकार देते हैं। बेशक यह एक जटिल मुद्दा है। क्या दोस्ताना लोग दोस्ताना कुत्ते चुनते हैं। या दोस्ताना लोग अपने कुत्तों को और अधिक बाहर ले जाते हैं ताकि कुत्ते  बेहतर ढंग से घुल-मिल जाएं?-मेनका गांधी


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