हिन्दुत्व को ‘रसोई का धर्म’ न बनाएं

punjabkesari.in Monday, Jun 19, 2017 - 01:55 AM (IST)

श्री नरेन्द्र मोदी जी ने प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद अपने सबसे पहले भाषण में कहा था-‘‘हमारी सरकार देश के गरीबों को समर्पित होगी।’’ पूरे देश के बुद्धिजीवियों ने इस समर्पण का स्वागत किया था। भारत में विकास हुआ परन्तु सामाजिक न्याय नहीं हुआ। आज भारत विश्व के 12 अमीर देशों में शामिल है। भारत की अर्थ-व्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है परन्तु दूसरी ओर राष्ट्र संघ की रिपोर्ट के अनुसार विश्व के सबसे अधिक भूखे लोग भारत में रहते हैं। कुपोषण से मरने वाले बच्चों की संख्या सबसे अधिक भारत में है। हंगर इंडैक्स में भारत अफ्रीका के कुछ देशों से भी नीचे है। विकास होता रहा परन्तु उसके साथ अमीरी चमकती रही और गरीबी सिसकती रही। 

पिछले 3 वर्षों में केन्द्र की सरकार ने अन्त्योदय की भावना से आम गरीब व्यक्ति के विकास के लिए बहुत-सी योजनाएं शुरू कीं। जो योजनाएं पहले ऊपर से चलती थीं वे अब गांव और गरीब से शुरू हो रही हैं। एक प्रकार से पूरी आर्थिक व्यवस्था को शीर्ष आसन करवा दिया है। सब ओर उत्साह है नए भारत के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो रहा है। देश में कुछ कट्टरवादी तत्व हिन्दुत्व के नाम पर इस सारे वातावरण को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। मुख्य मुद्दों से भटका रहे हैं। कहीं-कहीं दलितों पर उच्च जाति के लोगों द्वारा अत्याचार करने की खबरें आईं। कुछ दलितों ने दुखी होकर धर्म परिवर्तन किया। गौरक्षा के नाम पर हिंसा फैलाने की कोशिश की। खान-पान को लेकर कट्टरपंथियों ने वातावरण को खराब करने की कोशिश की।

इस प्रतिक्रिया में कहीं-कहीं खुले आम बीफ पाॢटयों का आयोजन करके एक अति ङ्क्षनदनीय दृश्य पैदा किया गया। सबसे दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि कहीं-कहीं कुछ तथाकथित हिन्दू नेताओं ने इन्हें परोक्ष समर्थन दिया। इन सब बातों में हिन्दुत्व का नाम जोडऩा हिन्दुत्व की उदार भावना से बहुत बड़ा अन्याय है। हिन्दुत्व खान-पान में नहीं, वेश-भूषा में नहीं, रीति-रिवाजों में नहीं, पूजा पद्धति में भी नहीं है। हिन्दुत्व तो एक मानव धर्म है। एक जीवन पद्धति है। हिन्दुत्व की कोई एक पुस्तक नहीं, कोई एक पैगम्बर नहीं, कोई एक पूजा पद्धति भी नहीं। यह पूजा पद्धतियों की नदियों का एक महा समुद्र है। यहां तक कि ईश्वर को न मानने वाला भी हिन्दू हो सकता है। इस देश ने तो भौतिकवादी चार्वाक को भी हिन्दू कहने का साहस किया था। 

बौद्ध मत पैदा भारत में हुआ परन्तु उस धर्म का पूरा दर्शन विचार और विस्तार तिब्बत में फैला। वहीं से पूरे विश्व में बौद्ध मत फैला। आज भी महामहिम दलाईलामा विश्व के सबसे सम्मानित धार्मिक नेता हैं। वहां खान-पान पर कोई अंकुश नहीं रहा। मांसाहार पर किसी भी प्रकार का कोई प्रतिबंध नहीं रहा। कहीं-कहीं आज भी छुआछूत का समर्थन किया जाता है। कुछ मंदिरों में दलित व महिलाओं को प्रवेश नहीं करने दिया जाता और यह सब पाप हिन्दुत्व के नाम पर किया जाता है। हिन्दुत्व तो प्रत्येक व्यक्ति में भगवान को देखता है। 

क्या इतिहास से हम कुछ भी नहीं सीखेंगे? इतिहास की एक कड़वी सच्चाई यह है कि पाकिस्तान मोहम्मद अली जिन्नाह ने नहीं बनाया, पाकिस्तान हिन्दू धर्म के उन लोगों ने बनाया जिन्होंने अपने ही समाज के लोगों को दलित कह कर दुत्कारा और विदेशियों ने उन्हें स्वीकारा। वह एक राष्ट्रीय व सांस्कृतिक पाप इन्हीं तथाकथित हिन्दुओं ने किया था। आज के युग में स्वामी विवेकानंद से बड़ा कोई हिन्दू नहीं हो सकता। उन्होंने स्पष्ट कहा था कि हिन्दुत्व व्यर्थ के कर्मकांड में नहीं कुरीतियों में नहीं, खान-पान में भी नहीं, हिन्दुत्व तो जीवन का एक मानवीय दृष्टिकोण है। उन्होंने कहा था धर्म को रसोई का धर्म मत बनाओ, धर्म भात की हाण्डी नहीं है।

देश के सब महापुरुषों ने हिन्दू धर्म की यही व्याख्या की है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने एक ऐतिहासिक निर्णय में कहा था कि हिन्दुत्व पूजा पद्धति नहीं एक जीवन पद्धति है। 6 दिसम्बर को अयोध्या में बाबरी मस्जिद के ढांचे को गिराना एक बहुत बड़ी गलती थी। उसका हिन्दुत्व से कोई संबंध नहीं हो सकता। उससे हिन्दुत्व को हानि हुई। हिन्दुत्व की गरिमा घटी। जिस हिन्दुत्व के बारे में गर्व से कहा जाता था कि हिन्दू दूसरे देशों में गए पर कभी कहीं मस्जिद या चर्च को नहीं तोड़ा। 6 दिसम्बर के बाद पूरे विश्व में हिन्दुत्व के संबंध में गलत धारणा पहुंच गई। दंगे हुए, सैंकड़ों लोग मरे। देश के करोड़ों लोगों के प्रयत्नों के बाद भी अयोध्या में राम मंदिर नहीं बन पाया, कब बनेगा कुछ नहीं कहा जा सकता। उस समय भाजपा के हम चारों मुख्यमंत्रियों ने मिल कर एक सुझाव दिया था। 

यदि हमारी बात मानी गई होती तो अयोध्या में भव्य राम मंदिर होता, भाजपा की चार सरकारें न गिराई जातीं, दंगे न होते और विश्व भर में हिन्दुत्व की गरिमा को आघात न पहुंचता परन्तु हमारी बात सुनी नहीं गई। मैं उस संबंध में अभी विस्तार से कुछ नहीं कहना चाहता। विचार स्वातंत्र्य और सहिष्णुता ही भारत की विशेषता रही है। ईसा ने यहूदी धर्म के विरुद्ध विद्रोह किया तो सूली पर लटकाए गए। महात्मा बुद्ध ने भी वैदिक धर्मकांड के विरुद्ध विद्रोह किया। ईश्वर को मानने से इंकार किया परन्तु महात्मा बुद्ध को भारत का अवतार कहा गया। वह 80 वर्ष तक जिए।

यदि ईसा भारत में पैदा होते तो अवतार कहे जाते और यदि बुद्ध पश्चिम में पैदा होते तो सूली पर लटकाए जाते। भारत की इस महान धरोहर हिन्दुत्व को कुछ कट्टरवादी बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। उन सब नेताओं को सही हिन्दुत्व समझाया जाए। वे एक बार स्वामी विवेकानंद को अवश्य पढ़ें। इन मुटठी भर कट्टरपंथी तथाकथित हिन्दुओं की यह नासमझी देश को बड़ी महंगी पड़ रही है। अन्त्योदय के विकास का वातावरण खराब हो रहा है और हिन्दुत्व की गरिमा गिर रही है। 
 


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