डिजिटल इंडिया ने दी देश को नई पहचान

punjabkesari.in Sunday, Jan 15, 2023 - 04:45 AM (IST)

उभरने भारत की पहचान आज दुनिया में न सिर्फ एक आर्थिक महाशक्ति और सैन्य ताकत के रूप में होती है, बल्कि सूचना तकनीक के क्षेत्र में हुई अभूतपूर्व प्रगति से भी होती है। कभी दुनिया में सूचना तकनीक के मात्र बैंक ऑफिस के रूप में जाने-जाने वाला भारत अब डिजिटल तकनीक और उसके व्यावहारिक उपयोग में दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल हो गया है और इसके पीछे है अत्यंत सफल डिजिटल इंडिया अभियान जिसने सच में देश की तस्वीर बदल कर रख दी है। अभी कुछ दिन पूर्व भारत-यात्रा पर आए माइक्रोसॉफ्ट प्रमुख सत्या नडेला ने कहा कि ‘‘भारत का डिजिटल स्वरूप अद्भुत है।

जितनी तेजी से भारत ने प्रौद्योगिकी का उपयोग कर भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में बदलने का सफल प्रयास किया है ऐसा मैंने पहले नहीं देखा है।’’ वहीं, हाल ही में भारत आए जी-20 के प्रतिनिधियों ने भारत को ‘डिजिटल तकनीक का अग्रणी’ कहते हुए यहां हुए डिजिटल परिवर्तन की सराहना की और राजस्थान के उदयपुर में शिल्पग्राम में राजस्थानी हस्तकला की वस्तुओं को खरीदने के लिए यू.पी.आई. (यूनाइटेड पेमैंट्स इंटरफेस) का भी उपयोग किया।

प्रतिनिधिमंडल की एक सदस्य सऊदी अरब की प्रतिनिधि राशा खालिद बिन अफतान ने कहा कि यह अभूतपूर्व है और सभी देशों को भारत और इसकी उच्च तकनीक से सीखने की जरूरत है। वास्तव में डिजिटल इंडिया ने देश में एक आर्थिक क्रांति का सूत्रपात किया है जिसके मूल में है सुशासन और नागरिक सशक्तिकरण। कुछ ही वर्षों में डिजिटल इंडिया ने भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज में बदलने के अपने प्रयासों में महत्वपूर्ण प्रगति की है। कार्यक्रम में सफलतापूर्वक इंटरनैट कनैक्टिविटी का विस्तार किया है जिसने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच डिजिटल विभाजन को पाटने में मदद की है।

डिजिटल इंडिया अभियान को भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 1 जुलाई 2015 को लांच किया गया था। इसका प्रारंभिक उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों को हाई स्पीड इंटरनैट नैटवर्क से जोडऩा और देश में डिजिटल साक्षरता और उपयोग में सुधार करना था। यह पूरा अभियान 3 प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित था। दरअसल डिजिटल इंडिया कार्यक्रम भारत को बदलने, डिजिटल सेवाओं के साथ लोगों को सशक्त बनाने और उन्हें बेहतर जीवन जीने में मदद करने के लिए भविष्य का एक रोडमैप है। डिजिटल इंडिया के 9 स्तंभ हैं।

ब्राड बैंड हाईवे, मोबाइल कनैक्टिविटी तक सार्वभौमिक पहुंच, सार्वजनिक इंटरनैट एक्सैस कार्यक्रम, ई-गवर्नैंस : प्रौद्योगिकी के माध्यम से सरकार में सुधार, ई-क्रांति-सेवाओं को इलैक्ट्रिक डिलीवरी, सभी के लिए सूचना, इलैक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, नौकरियों के लिए आई.टी. और प्रारंभिक फसल कार्यक्रम। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम भले ही औपचारिक रूप से वर्ष 2015 में शुरू हुआ हो मगर इसकी नींव भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा 2002 में रख दी गई थी।

जब उनकी सरकार ने भारत में एक सशक्त सूचना और संचार नैटवर्क बनाने की योजना की घोषणा की थी। आज भारत के 84 करोड़ लोग इंटरनैट से जुड़े हैं। देश में 100 करोड़ से अधिक मोबाइल फोन उपयोगकर्ता हैं जिसमें से 60 करोड़ लोग स्मार्ट फोन का उपयोग करते हैं। अभी ज्यादा पुरानी बात नहीं है जब 2017 में कांग्रेसी नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने संसद में डिजिटल पेमैंट का मजाक उड़ाते हुए कहा था कि क्या गांव में कोई आलू और टमाटर खरीद कर साढ़े 7 रुपए डिजिटल तरीके से दे पाएगा?

आज भारत की डिजिटल क्रांति ने न केवल उनकी बात का समय पर जवाब दिया बल्कि पूरे देश और दुनिया को हत्प्रभ कर दिया। विपक्ष समझता था कि गरीब लोग डिजिटल का मतलब भी नहीं समझेंगे लेकिन देश के आम आदमी की समझ में, उसकी विद्वता में, उसके जिज्ञासु मन में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा भरोसा किया है। कभी और देशों की सफलता में अपनी प्रगति के गुर ढूंढता भारत आज शेष दुनिया के लिए एक रोल माडल बन गया है और इसके मूल में है-डिजिटल इंडिया। यही है इसकी सबसे बड़ी सफलता। -श्याम जाजू (निवर्तमान राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, भाजपा)


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