डिजिटल इकोनॉमी बदलेगी देश का आर्थिक भविष्य

punjabkesari.in Wednesday, Dec 06, 2023 - 05:59 AM (IST)

देश इन दिनों तेजी से डिजिटल बदलाव के दौर से गुजर रहा है। इसका फायदा इकोनॉमी के मोर्चे पर भी हो रहा है और हमारी कुल जी.डी.पी. में डिजिटल का योगदान बढ़ रहा है। डिजिटल बदलाव की तेज रफ्तार से भारत की अर्थव्यवस्था को खासा फायदा हो रहा है। कुछ अर्थशास्त्री कहते हैं कि जल्दी ही कुल जी.डी.पी. में डिजिटल इकोनॉमी का योगदान बढ़कर 20 फीसदी पर पहुंच सकता है। 

बिना शक, भारत न सिर्फ अभी दुनिया की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था है, बल्कि दुनिया की सबसे तेज गति से तरक्की कर रही डिजिटल अर्थव्यवस्था भी है। अभी डिजिटल इकोनॉमी देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद यानी जी.डी.पी. में करीब 11 फीसदी का योगदान दे रही है। डिजिटल इकोनॉमी इन दिनों नॉर्मल इकोनॉमी की तुलना में कई गुना ज्यादा रफ्तार से तरक्की कर रही है। भारत को 2027 तक 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा गया है। उसके साथ-साथ देश को साल 2026 तक दुनिया की ट्रिलियन डॉलर डिजिटल इकोनॉमी में से एक बनाने का भी लक्ष्य है। भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार हो और डिजिटल अर्थव्यवस्था सुदृढ़ बनी रहे, इसके लिए सरकार ने कठोर नियम-कानून बनाए हैं। 

21वीं सदी में डिजिटल महाशक्ति बनने के लिए भी भारत के पास बड़ा मौका है। दुनियाभर में आई.टी. क्षेत्र में भारतीयों का ही दबदबा बना हुआ है। भारत को इस डिजिटल अर्थव्यवस्था का प्रमुख हिस्सेदार बनने का प्रयास मजबूती से करना चाहिए। इस मिशन में भारतीयों की विशाल संख्या का लाभ मिल सकता है, इसके लिए भी योजना होनी चाहिए। भारत की डिजिटल इकोनॉमी 2030 तक 6 गुना बढ़कर एक ट्रिलियन डॉलर यानी एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच सकती है। इसकी इंटरनैट इकोनॉमी मौजूदा दशक के अंत तक अपने लक्ष्य से 12-13 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी, जो अभी 4-5 प्रतिशत पर है। दिन-ब-दिन बढ़ती ऑनलाइन एक्टिविटी, खासकर टीयर-2 शहरों में, ने भारत को दुनिया की कुछ सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से काफी आगे कर दिया है। 

वर्तमान में डिजिटल लेनदेन की सुरक्षा सुनिश्चित करने में चुनौतियां भी बनी हुई हैं, ऐसे में डिजिटल क्षेत्र में लेनदेन की तीव्र गति चिंताजनक हो सकती है, जिससे होने वाली त्रुटियों को सुधारना या धोखाधड़ी वाली गतिविधियों का समाधान करना बेहद चुनौतीपूर्ण हो सकता है। डिजिटल क्षेत्र में कुशल कार्यबल के विकास की उपेक्षा, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की पूरी क्षमता में बाधा बन सकती है। 

डिजिटल बुनियादी ढांचे का लाभ उठाने के लिए डिजिटल रूप से साक्षर लोगों को तैयार करने के क्रम में शैक्षणिक संस्थानों को मजबूत करना महत्वपूर्ण है। इससे संबंधित प्रमुख चुनौतियों में से एक, लोगों के बीच डिजिटल अंतराल का होना है। ग्रामीण क्षेत्रों में कई लोगों की अभी भी डिजिटल सेवाओं तक पहुंच नहीं है। डिजिटल अर्थव्यवस्था से असमानता को बढ़ावा मिलने के साथ कुछ लोगों को दूसरों की तुलना में अधिक लाभ हुआ है। आधार कार्ड, चिप और डिजिलॉकर जैसी सॢवस भारत की इंटरनैट इकोनॉमी में संभावनाओं को खोलने में मदद कर रही हैं। ग्लोबल लैवल पर भारत के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को अपनाया जाना देश को डिजिटल टैक्नोलॉजी के लीडर के तौर पर पेश कर रहा है। यह रुतबा कायम रखना होगा। कुल मिलाकर डिजिटल इकोनॉमी विकास की ध्वजवाहक बन कर देश का आॢथक भविष्य बदलने की फैसलाकुन क्षमता रखती है।-डा. वरिन्द्र भाटिया
 


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