पाकिस्तान में उदार लोकतंत्र का अंधकारमय भविष्य
punjabkesari.in Monday, Aug 21, 2023 - 05:29 AM (IST)

उदार लोकतंत्र, जो पूंजीवाद से जुड़ा हुआ है पहले से ही दुनिया भर में निराशाजनक स्थिति में है। उसे पाकिस्तान में एक और हार मिली। नवीन दु:साहस के साथ पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को जेल में बंद कर दिया गया है।
पाकिस्तान क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने पाकिस्तान क्रिकेट के इतिहास पर एक वीडियो क्लिप तैयार किया है। यह 5 अक्तूबर से 19 नवम्बर तक भारत के प्रत्येक उपलब्ध क्रिकेट स्टेडियम में 48 मैचों में से 10 टीमों द्वारा खेले जाने वाले विश्व कप की तैयारी के लिए था।
वीडियो के अस्तित्व को महान पाकिस्तानी तेज गेंदबाज वसीम अकरम ने एक ट्वीट में लोगों के ध्यान में लाया। विश्व कप के अभ्यास मैचों में से एक को कवर करने के लिए श्रीलंका में उतरने के तुरन्द बाद अकरम को वीडियो मिला जिसे उन्होंने ‘मेरे जीवन का सबसे बड़ा झटका’ बताया। उन्हें वीडियो से ‘महान इमरान खान’ का नाम गायब मिला पर यह इमरान ही थे जिन्होंने कप्तान के रूप में पाकिस्तान को 1992 का विश्व कप जिताया। जाहिर तौर पर यह कितना दुर्भाग्यपूर्ण है।
अकरम ने कहा, ‘‘पाकिस्तान में जो भी राजनीतिक मतभेद रहे हों, इस तथ्य पर कोई भी विवाद नहीं कर सकता है कि इमरान खान विश्व क्रिकेट के प्रतीक हैं और उन्होंने ही अपने समय में पाकिस्तान को एक मजबूत इकाई के रूप में विकसित किया और हमें एक रास्ता दिखाया। पी.सी.बी. को वीडियो हटा देना चाहिए और इमरान खान से माफी मांगनी चाहिए।’’
वसीम अकरम जोकि स्वयं विश्व क्रिकेट के सर्वकालिक महान खिलाडिय़ों में से एक हैं, का ऐसा सहज आक्रोश एक एकल प्रतिक्रिया बनकर रह नहीं सकता था। अकरम के हजारों अनुयायी जो उनके ट्वीट के कारण आलोचना का सामना कर रहे थे, ने जाहिर तौर पर ट्विटर क्षेत्र को विरोध प्रदर्शनों से भर दिया। इस तरह के गुस्से को सड़क पर फैलने या तहखाने में उबलने में कितना समय लगता है। तहरीक-ए-इंसाफ सुप्रीमो के पीछे लोकप्रिय लामबंदी की ताकत ने पाकिस्तानी प्रतिष्ठान को चौंका दिया होगा। पी.सी.बी. ने असमंजस की स्थिति में इमरान को पुनर्जीवित करके सुधारात्मक कार्रवाई करने का फैसला किया। उन्हें विश्व कप 2023 के प्रचार वीडियो में उनका सही स्थान दिया।
इमरान खान को क्रिकेट की दुनिया में जगह न देने का घटिया प्रयास उस राजनीतिक क्षेत्र से उन्हें बाहर करने की कोशिश से भिन्न नहीं है जिस पर इमरान पाकिस्तान के इतिहास में सबसे लोकप्रिय राजनेता हैं। जाहिर तौर पर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष के स्तर पर कदम उठाया है। अपने प्रमोशनल वीडियो में उन्होंने दुनिया के नं. 1 वन-डे बल्लेबाज बाबर आजम को बाहर कर दिया है। 11वीं कक्षा के एक प्रतिभाशाली स्कूली छात्र, जोकि क्रिकेट का शौकीन था, ने अपने सवाल से मुझे चौंका दिया, ‘‘अगर इमरान खान पाकिस्तान में सबसे लोकप्रिय राजनेता हैं तो वह इस समय जेल में क्यों हैं?’’
1989 में बर्लिन की दीवार गिरने के बाद से चुनावी नतीजों के मध्यस्थों के रूप में प्रतिष्ठानों ने लोगों की जगह ले ली है। यदि लोग मध्यस्थ होते तो अमरीका में बर्नी सैंडर्स और यू.के. में जैरेमी काॢबन अपने प्रतिद्वंद्वियों को बड़े अंतर से हरा देते।
2016 में प्रकाशित फॉक्स न्यूज पोल से पता चला कि बर्नी सैंडर्स की रेटिंग+28 थी जो राजनीतिक स्पैक्ट्रम के दोनों पक्षों के सभी अमरीकी राजनेताओं से ऊपर थे। इसने ‘द गाॢजयन’ के ट्रैवर टिम को स्पष्ट रूप से बोलने के लिए प्रेरित किया।
‘इस तरह की संख्या के साथ किसी ने सोचा होगा कि डैमोक्रेटिक राजनेता सैंडर्स के साथ जुडऩे के लिए खुद ही गिर रहे होंगे। खासकर यह देखते हुए कि पूरी पार्टी रिपब्लिकन की तुलना में अधिक अलोकप्रिय है जिसमें डोनाल्ड ट्रम्प भी शामिल है। फिर भी उनके संदेश को अपनाने की बजाय पार्टी की स्थापना शाखा लगभग हर मोड़ पर उनका विरोध करती रही है।’’
मैं आपको सिर्फ एक छोटा-सा उदाहरण देता हूं कि कैसे प्रतिष्ठान चुनावी राजनीति को निर्धारित करने में खुद को मुखर करते हैं। 2016 की तरह 2020 में लोकतांत्रिक नामांकन के लिए प्राइमरी प्रक्रिया के दौरान सैंडर्स मैदान में दूसरों से आगे निकल रहे थे। उनकी बढ़त को रोकने के लिए अरबपति और न्यूयार्क के पूर्व मेयर माइकल ब्लूमबर्ग दौड़ में शामिल हुए। उनकी एंट्री को प्ले करना पड़ा। न्यूयार्क टाइम्स के थॉमस फ्रीडमैन द्वारा 2 पूर्ण ऑप-एड कॉलम दिखाई दिए जिन्होंने अपना एक कालम शुरू किया... ‘मुझे माइक पसंद है क्योंकि...इत्यादि।’
2016 में इसी तरह की पैंतरेबाजी का असर अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को सत्ता मे लाने में हुआ था। जॉन केरी, राज्य सचिव, ट्रम्प को एक गंभीर घटना मानने के लिए तैयार नहीं हो सके। उन्होंने दुनिया भर के राजनेताओं से मुलाकात की जो ट्रम्प के व्हाइट हाऊस में प्रवेश की संभावना से हतप्रभ थे। स्तम्भकार सुरजीत भल्ला ने एक और बेहतरीन बात कही। उन्होंने शोक व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘ट्रम्प की जीत पश्चिमी सभ्यता का अंत होगी।’’
मेरा रुख सीधा था, ‘‘यदि आप सैंडर्स को असंभव बनाते हैं तो आप ट्रम्प को अपरिहार्य बना देंगे।’’ पाकिस्तान के संदर्भ में उसी सूत्रीकरण का एक प्रकार लागू होता है यदि आप इमरान खान को असंभव बनाते हैं तो आप सैन्य शासन को अपरिहार्य बनाते हैं। भारत भी आलोचनात्मक मूल्यांकन के लिए योग्य है। इसके लिए अधिक विवरण के लिए एक अलग कालम की जरूरत है। लोकतंत्र के इस सामान्य खोखलेपन में सहमति हमें एक ऐसी मंजिल तक पहुंचाएगी जो इस कथा के 11वीं कक्षा के छात्र को भ्रामक रूप से आकर्षक लगेगी।-सईद नकवी