खाकी कत्र्तव्य के लिए और खादी लोकतंत्र के लिए खड़ी थी
punjabkesari.in Saturday, Apr 26, 2025 - 04:40 AM (IST)

आज सुबह दलिया खाते समय मेरा दम घुटने लगा। नहीं, कोलेस्ट्रॉल की चेतावनी के कारण नहीं, बल्कि इससे कहीं ज्यादा अपचनीय चीज के कारण। जिस व्यक्ति (इंस्पैक्टर तुकाराम कुरुंदकर) को कथित तौर पर एक महिला की हत्या के लिए निलंबित किया गया था, जिसके साथ उसका प्रेम संबंध था, उसे गर्व से राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया। मुझे लगता है कि मैंने सिस्टम पर थोड़ा भरोसा भी खो दिया और जैसे ही मैंने उस हैडलाइन को देखा, मैं कुछ टूट गया। मैंने खाकी और खादी के बीच के कनैक्शन के बारे सोचा। एक समय था, वे अलग-अलग हुआ करते थे। खाकी कत्र्तव्य के लिए खड़ी थी और खादी लोकतंत्र के लिए। एक ने कानून लागू किया, दूसरे ने उसे लिखा। आज, वे एक ऐसे नाटक में सह-षड्यंत्रकारी बन गए हैं, जिसमें सच्चाई को दबाया जा रहा है और न्याय का मंचन किया जा रहा है।
खादी पहने नेता जो कभी धूल भरी गलियों में हाथ जोड़कर चलते थे, अब रंगीन एस.यू.वी. में दौड़ते हुए आगे बढ़ते हैं, उन्हीं उंगलियों को दिखाते हैं जो कभी वोट के लिए गुहार लगाती थीं, अब वे निकटतम पुलिस अधिकारी को आदेश देते हैं और खाकी वर्दी वाला व्यक्ति, जो कभी संविधान को सलाम करता था, अब कानून के शासन के आगे नहीं झुकता, बल्कि अपने राजनीतिक आका के आगे झुकता है जो यह सुनिश्चित कर सकता है कि उसका तबादला रद्द हो जाए या उसका पदक जल्दी से जल्दी वापस मिल जाए। आज किसी भी पुलिस स्टेशन में चले जाओ और तुम इसे देखोगे। जब तक तुम्हारा संबंध साबित नहीं हो जाता, तब तक तुम संदिग्ध हो। न्याय उन्हीं के लिए आरक्षित है जिनके पास सही संदर्भ है और अगर तुम शिकायत करने की हिम्मत करते हो तो स्वर बदल जाता है, कंधे सख्त हो जाते हैं। अचानक, खाकी खादी की भाषा बोलने लगती है जो अहंकार, तिरस्कार के बारे में है।
मेरे घर के ठीक पीछे पुलिस क्वार्टर हैं। आम तौर पर शांत, लेकिन जब कोई शादी या त्यौहार होता है, तो लाऊड स्पीकर रात में भी बजते रहते हैं, कानूनी सीमा से बहुत दूर। शिकायत नहीं, जब तक कि आप यह परखना न चाहें कि डंडे के गलत पक्ष पर होने पर कैसा महसूस होता है। पुलिस कानून बन गई है, उसका सेवक नहीं। क्यों? क्योंकि उनके मालिकों(राजनेताओं)को मतदाताओं से ज़्यादा उनकी ज़रूरत है। खादी वाला आदमी खाकी वाले आदमी पर कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए नहीं, बल्कि सत्ता को बनाए रखने के लिए निर्भर करता है। और अब नए कानूनों के साथ, हम पुलिस को और अधिक शक्तियां सौंप रहे हैं और फिर हम आश्चर्य करते हैं कि हिरासत में मौतें क्यों बढ़ रही हैं। न्याय क्यों पीछे छूट रहा है।
यह एक भ्रष्ट पुलिस अधिकारी को पदक मिलने की बात नहीं है। यह एक ऐसी व्यवस्था की बात है जिसमें खादी को हमेशा से ही सम्मान मिला है। खादी खाकी को सहारा देती है और खाकी खादी की रक्षा करती है। यह आपसी लाभ का नृत्य है, जिसे हम सब किनारे से देखते हैं, धीरे-धीरे अपने अधिकार, अपनी आवाज और अपनी आजादी खोते जा रहे हैं। इसलिए, प्रिय नागरिक, बोलो। इससे पहले कि तुम्हारी चुप्पी तुम्हारी सजा बन जाए। इससे पहले कि तुम खुद को उन अपराधों को कबूल करते हुए पाओ जो तुमने कभी किए ही नहीं, जबकि पदक उन लोगों के सीने पर चमक रहे हैं जो अब सेवा नहीं करते, बल्कि शासन करते हैं। और कहीं अंधेरे में खादी और खाकी फिर से हाथ मिलाएंगे..।.-दूर की कौड़ी राबर्ट क्लीमैंट्स