पहली बार एशिया प्रशांत की आर्थिक गति से मंद रही चीनी अर्थव्यवस्था

punjabkesari.in Thursday, Sep 29, 2022 - 05:16 AM (IST)

कोरोना महामारी के बाद से चीन पर एक बार जो मुसीबतों का पहाड़ टूटा तो रुकने का नाम नहीं ले रहा। कोरोना महामारी से पहले चीन का व्यापार इसलिए धीमा पडऩे लगा था क्योंकि अमरीका के साथ उसका व्यापार संघर्ष चल रहा था। ऐसे में महामारी ने आग में घी का काम किया। वहीं चीन की कुछ अंदरुनी परेशानियां भी चल रही थीं, जिनमें से रीयल एस्टेट सैक्टर का कंगाल होना एक है। एवरग्रांडे के कंगाल होने और कंट्री गार्डन समेत कई रीयल एस्टेट कंपनियों के दिवालिया होने के कारण चीन के मध्यम वर्ग की सारी बचत स्वाहा हो गई।

इसके बाद कोरोना महामारी ने चीन का जो नुक्सान किया, उसे पूरी दुनिया ने देखा।दो वर्ष की लंबी अवधि के बाद दुनिया ने कोरोना के साथ जीना सीख  लिया लेकिन चीन आज भी शून्य-कोविड नीति के तहत अपनी अर्थव्यवस्था को खुद बर्बाद कर रहा है। विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट के अनुसार पिछले 30 वर्षों में पहली बार एशिया-प्रशांत क्षेत्र देशों की अर्थव्यवस्था से भी धीमी अर्थव्यवस्था चीन की हो गई है।

अमरीका की एक संस्था की छमाही रिपोर्ट के अनुसार एशिया-प्रशांत की वाॢषक गति 5 से घट कर 3.2 फीसदी रह गई है, वहीं चीन की अर्थव्यवस्था इससे भी बुरा प्रदर्शन कर रही है जबकि इस पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में 86 फीसदी भागीदारी चीन की अर्थव्यवस्था की है। वर्ष 2022 के लिए विश्व बैंक ने दुनिया की दूसरी सबसे शक्तिशाली और विशाल अर्थव्यवस्था की गति के बारे में घोषणा की है कि चीन की सकल घरेलू उत्पाद की गति मात्र 2.8 फीसदी रहेगी। वहीं पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र के बाकी 23 देशों की अर्थव्यवस्था की वर्ष 2022 के औसत सकल घरेलू उत्पाद की गति 5.3 फीसदी रहने वाली है।

पिछले वर्ष यानी वर्ष 2021 में इन देशों के सकल घरेलू उत्पाद की गति 2.6 फीसदी थी, जो इस वर्ष उससे दोगुनी गति से भाग रही है। विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में यह बात विशेष रूप से कही है कि वर्ष 1990 के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है जब चीन की अर्थव्यवस्था की गति एशिया-प्रशांत क्षेत्र के बाकी देशों की अर्थव्यवस्था से धीमी गति से चल रही है।

विश्व बैंक ने कहा कि कोरोना महामारी के बाद उत्पादों की बढ़ी हुई कीमतों और बढ़ी हुई घरेलू खपत ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने में अपनी अहम भूमिका निभाई। वहीं चीन अपनी सख्त कोविड लॉकडाऊन नीति का बुरा असर घरेलू बाजार की घटती मांग और कम होते निर्यात के रूप में निकला है, जिसका सीधा असर चीन की मंद पड़ते सकल घरेलू उत्पाद पर दिखने लगा है। चीन के आवास और संपत्ति विकास के क्षेत्रों में भी संकट देखने को मिला, जिसने अर्थव्यवस्था को बदहाल करने में अपना पूरा योगदान दिया।

चीन के सरकारी आंकड़ों के अनुसार अगस्त में 70 चीनी शहरों में नए घरों की कीमतों में वर्ष दर वर्ष की तुलना में 1.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और संपत्ति के सभी ऋणों में से एक तिहाई खराब ऋण की श्रेणी में आ गए हैं, यानी एक तिहाई ऋण चुकाया नहीं जा सकता और यह पैसा डूब चुका है। वर्ष 2021 में चीन की सरकार ने अपने सकल घरेलू उत्पाद की गति का आकलन 8.1 फीसदी किया था, जो पिछले एक दशक में सबसे अच्छी वृद्धि थी, वहीं वर्ष 2022 के लिए 5.5 फीसदी की संभावना व्यक्त की गई थी।

उधर विश्व बैंक ने भी चीन की आर्थिक वृद्धि दर को घटाकर 5 फीसदी पर रखा था लेकिन इस मंगलवार को विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में चीन की आर्थिक वृद्धि को और कम कर दिया। अगले वर्ष 2023 में विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की वृद्धि 4.5 फीसदी आंकी गई है। लेकिन चीन की वर्तमान हालत को देखते हुए इसमें भी संदेह है।इसी बीच 16 अक्तूबर को कम्युनिस्ट पार्टी की हर 5 वर्ष में होने वाली कांग्रेस की बैठक होनी है, जिसमें सरकार के कई पदों में फेरबदल किया जाना है।

कुछ पुराने लोगों को सत्ता से हटाया जाता है तो वहीं कुछ नए लोगों का आगमन होता है। शी जिनपिंग का चीन की राजनीतिक परंपरा को तोड़ते हुए तीसरी बार राष्ट्रपति बनना तय है और इसी के साथ यह भी तय है कि चीन को अभी सख्त कोविड नीति का सामना करना होगा तथा वहां के लोगों को लॉकडाऊन में रहने की फिलहाल आदत डालनी होगी। इसका बुरा असर जहां एक तरफ चीन के लाखों-करोड़ों लोगों के मनोविज्ञान पर पड़ेगा, वहीं चीन के निर्यात, घरेलू विनिर्माण और घरेलू खपत पर भी देखने को मिलेगा।

इसी सप्ताह ओ.ई.सी.डी. देशों के समूह ने चीन की मंद पड़ती रफ्तार के इस वर्ष का आकलन 3.2 फीसदी किया। साथ ही वर्ष 2023 के बारे में यह कहा कि नीतिगत परिवर्तन से अर्थव्यवस्था को थोड़ी गति जरूर मिलेगी, लेकिन सवाल यह है कि जब राजनीतिक परिवर्तन नहीं होगा तो नीतियां भी नहीं बदलेंगी, फिर देश की अर्थव्यवस्था में परिवर्तन कैसे होगा? पिछले सप्ताह एशिया डिवैल्पमैंट बैंक ने भी चीन की वर्ष 2022 की आर्थिक गति के आकलन को 5 से घटाकर 3.3 फीसदी कर दिया, साथ ही अगले वर्ष के सकल घरेलू उत्पाद की गति को पहले 4.8 फीसदी की जगह घटाकर 4.5 फीसदी कर दिया।

विश्व बैंक के पूर्वी एशिया-प्रशांत क्षेत्र के उपाध्यक्ष मैनुएला फेर्रो ने अपने वक्तव्य में कहा कि कई देशों को अपनी घरेलू आॢथक नीति में गड़बडिय़ों को दूर करना होगा क्योंकि पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था ऐसे मुहाने पर खड़ी है, जहां से वह धीमी से मंद गति की तरफ बढ़ती दिख रही है। घरेलू विसंगतियों को दूर करने के बाद ही दीर्घकालिक विकास की तरफ बढ़ा जा सकता है।


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