खोखली हो रही चीन की अर्थव्यवस्था

punjabkesari.in Friday, Dec 30, 2022 - 05:13 AM (IST)

चीन ने पहले अपनी विशाल जनसंख्या को गलघोटू जीरो कोविड लॉकडाऊन में लंबे समय तक तड़पाया, जब लोगों का गुस्सा सड़कों पर फूटने लगा तब जाकर शी जिनपिंग ने शून्य कोविड नीति को छोड़ा लेकिन ऐसा करते ही एक नई मुसीबत चीन पर आ गिरी। लॉकडाऊन हटते ही हालात इतने गंभीर हो गए कि सप्ताह भर में हजारों लोगों को कोविड के नए वैरिएंट बी.एफ.-7 ने अपनी गिरफ्त में जकड़ लिया और हालात ऐसे हो गए कि मरीजों को अस्पतालों में बिस्तर तक नसीब नहीं हो रहा है। ऊपर से पहले से ही खोखली हो रही अर्थव्यवस्था अब बुरी तरह से चरमरा गई है। 

कोविड महामारी से पहले ही चीन के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में गिरावट हावी होने लगी थी, जब तक चीन के नीति निर्माता चीन को उपभोक्ता आधारित अर्थव्यवस्था बनाएंगे उस समय तक प्रगति की रफ्तार बहुत धीमी रहने वाली है और ये ट्रैंड आने वाले वर्षों तक जारी रहेगा। चीन ने जिस तेजी से अपनी शून्य कोविड लॉकडाऊन की नीति को छोड़ा है उससे अर्थव्यवस्था में पहले लगाए गए लंबे लॉकडाऊन के कारण गिरावट के असर को रोकना बहुत जरूरी है लेकिन महामारी से पहले चीन की अर्थव्यवस्था जिस तरह से नीचे की तरफ जा रही थी वह कारक अब भी चीन में मौजूद हैं। वही ताकतें चीन की अर्थव्यवस्था को आगे बढऩे से रोकेंगी। अगर कोई चीज चीन की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ा सकती है, उसकी आर्थिक गति में रुकावट बनने से रोकती है तो इसके लिए चीन को मजबूत संरचनात्मक सुधार अपनी अर्थव्यवस्था में करने होंगे। 

अगर चीन ने इसे संभालने के लिए जल्दी ही कुछ नहीं किया तो यह और रसातल में पहुंचेगी साथ ही चीन को राजकोषीय ऋण घाटे के संकट में डाल देगा। चीन इस समय जो कर रहा है वह महामारी का इलाज नहीं है। शून्य कोविड को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने से महामारी नहीं जाएगी बल्कि यह चीन की नाकारा नीति है जिससे चीन अब खुद को दुनिया से जोडऩे की कोशिश कर रहा है। लेकिन चीनी जनता के लिए ऐसा करना बहुत खतरनाक प्रयास होगा क्योंकि महामारी के पिछले तीन वर्षों में जिस तरीके से पूरी दुनिया ने वैक्सीन लगाकर खुद की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा लिया है तो वहीं चीन ने अपनी घटिया स्तर की वैक्सीन से अपनी जनता की रोग प्रतिरोधक क्षमता को नहीं बढ़ाया। ऐसे में चीन के अंदर और बड़े स्तर तक इस महामारी के फैलने की आशंका बढ़ गई है। चीन में इस महामारी के कारण लोग सामाजिक दूरी बनाने को मजबूर हो गए हैं, इससे चीन के सेवा उद्योग को बड़ा घाटा होगा और उसका भविष्य भी अच्छा नहीं दिख रहा है। 

चीन के प्रॉपर्टी बाजार के बुलबुले ने बता दिया है कि सबसिडी आधारित निवेश से कोई विकास नहीं होता, विकास को सही मूल्यों पर आगे बढ़ाना जरूरी है जो बाजार के नियमों पर आधारित हो। जिससे निवेश जीडीपी के अनुपात में कम हो और उपभोग अधिक। लेकिन अभी तक चीन ने इस तरफ कोई रूझान नहीं दिखाया है जिससे आने वाले वर्षों में भी उसमें विकास के कोई लक्षण दिखाई नहीं दे रहे हैं। लेकिन चीन के सामने इससे भी बड़ी परेशानी खड़ी है, वैश्विक मंदी के दौर में चीन का एकमात्र मुनाफे वाला काम बंद हो सकता है, यानी उसका निर्यात। इसके अलावा पिछले 4 वर्षों से अमरीका से चलने वाला व्यापार संघर्ष, सैमीकंडक्टर वाली मुसीबत, चीन का निर्यात सैक्टर अब भी डांवाडोल स्थिति में है जिसकी वजह शून्य कोविड नीति थी, हो सकता है कि ये सैक्टर चीन को मुनाफा कमा कर दे लेकिन जब पूरे विश्व में आॢथक मंदी और बढ़ती महंगाई से दुनिया भर के देश अपने खर्चों को कम कर रहे हैं ऐसे में कितना मुनाफा चीन को निर्यात से मिलेगा यह कहना अभी कठिन है। 

ऐसे में वैश्विक व्यापार या तो स्थिर रहेगा या फिर उसमें भी सिकुडऩ आएगी, ऐसे वैश्विक वातावरण में चीन की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ेगा। चीन में प्रॉपर्टी बुलबुले के फूटने से इसका खतरा चीन के वित्तीय सिस्टम पर पड़ेगा, स्थानीय सरकारें अपने खर्चे कम करेंगी जिससे उनके पास इतना पैसा रहे कि वो खुद को मंदी से बचा पाएं। 
वहीं प्रॉपर्टी डिवैल्पर्स को अपना ऋण चुकाने के लिए खासा संघर्ष करना होगा क्योंकि जो पैसा उन्होंने सरकार से लेकर प्रॉपर्टी डिवैल्प करने में खर्च किया था वह नहीं बिकने के कारण इनके पास वापस पैसा नहीं आ रहा है। 

ऐसे में सरकार का पैसा डूब जाएगा, ऐसी हालत में सरकार के पास इन कर्जों को बट्टे में डालने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है। इससे भी सरकार के राजकोष को खासा नुक्सान होगा। ऐसे में स्थानीय सरकारों को उन लोगों से ये कहना होगा कि बैंकों में जमा उनका पैसा भविष्य में उन्हें मिलेगा जरूर, और इस समय जो प्रॉपर्टी पूरी बन चुकी हैं उनमें सरकार थोड़ा पैसा और लगाकर उसे बेचने की कोशिश करे तभी आने वाले संभावित खतरे से कुछ हद तक बचाव हो सकता है। चीन के सुधार संकट से प्रेरित हैं, आने वाला समय निश्चित तौर पर उन्हें धीमा करेगा और ये भी हो सकता है कि उन्हें उल्ट भी सकता है। फिर भी सुस्त विकास की हालत बनी रहेगी जबतक कि कोई बड़ी संभावना सामने न आ जाए।


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