ऑनलाइन गेमिंग का शिकार होते बच्चे

punjabkesari.in Monday, May 27, 2024 - 05:40 AM (IST)

वर्तमान परिवेश में बच्चे ऑनलाइन गेमिंग का शिकार होते जा रहे हैं। बच्चे माता-पिता के विपरीत कार्य करना पसंद कर रहे हैं। अगर बच्चों को गेम खेलने से रोका जा रहा है, तो वे हिंसक होते जा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इन खेलों की लत के कारण बच्चे उग्र हो उठते हैं। अपनी भावनाओं पर उनका नियंत्रण समाप्त हो जाता है। अच्छे-बुरे की पहचान नहीं कर पाते। इन खेलों के नायकों के ‘एक्शन’ अक्सर हिंसा से भरे होते हैं। 

नायक हाथों में बंदूक और पिस्तौल लिए होते हैं और किसी को भी उड़ा देते हैं। जब वे लगातार इन्हें खेलते हैं, तो उन्हें आदत पड़ जाती है। आदतें आसानी से छोड़ी नहीं जातीं। ऐसे में जो उन्हें इन खेलों को खेलने से रोकता है, वह या तो उसे खत्म कर देते हैं, खत्म करने की सोचते हैं या खुद ही जान दे देते हैं। इसका एक बड़ा कारण यह भी बताया जाता है कि कई बार घर के बड़े लोग भी ऐसे खेल खेलते हैं। बच्चे जब उन्हें ऐसा करते देखते हैं, तो वे भी इन खेलों को खेलना चाहते हैं। पहले छिप-छिप कर, फिर खुलेआम। माता-पिता की अनदेखी भी इसका बड़ा कारण है। विशेषज्ञों का कहना है कि आजकल के गेम काफी आक्रामकता वाले हैं, जो बच्चा इसे खेलता है वो रियलिटी और वर्चुअल दुनिया के बीच फर्क नहीं कर पाता और खुद को उस वर्चुअल दुनिया का ही हिस्सा मान लेता है। इसके लिए पैरेंटिंग, खान-पान, लाइफस्टाइल तथा दोस्त जिम्मेदार हैं। 

एक तरफ तो हम मांग करते हैं कि बच्चों को ऐसी बातों से दूर रखें, जो उन्हें ङ्क्षहसक बनाती हैं, मगर व्यापार और बाजार को देखें कि वह उन्हें ऐसे खिलौने और ऑनलाइन खेल उपलब्ध कराता है जो अधिक से अधिक ङ्क्षहसा से भरे होते हैं। एक अनुमान के अनुसार ऑनलाइन खेलों का कारोबार इस साल के अंत तक 11900 करोड़ से भी अधिक और विश्वभर में 2025 तक इसका कारोबार 12205 करोड़ से अधिक अमरीकी डॉलर होने की संभावना है। भारत में ऑनलाइन खेलों का कारोबार लगभग 29 लाख अमरीकी डॉलर का है। हिंसक व्यवहार बच्चों के दिमाग की लाइफ को पूरी तरह खत्म कर सकता है। बच्चों के हिंसक व्यवहार के कई कारण हो सकते हैं और भविष्य में इसके गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं। ये हिंसक व्यवहार मैडीकल प्रॉब्लम और लाइफ प्रॉब्लम की ओर भी इशारा करते हैं इसलिए माता-पिता को बच्चे के हिंसक व्यवहार का कारण जानना चाहिए और रोकने या सुधारने के लिए उचित कदम उठाने चाहिएं। 

विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों के हिंसक व्यवहार को नोटिस करने के बाद अगर उस पर ध्यान न दिया जाए तो उसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। बच्चों की उम्र के आधार पर उनका हिंसक व्यवहार किसी को मारने, चिल्लाने, बात-बात पर गुस्सा होने जैसी आपराधिक हरकत करना भी हो सकता है। बच्चों के सामने आने वाले कुछ कारक उनके हिंसक व्यवहार को और भी अधिक बढ़ा सकते हैं। विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि किसी भी उम्र में बच्चों के ङ्क्षहसक व्यवहार को अनदेखा नहीं करना चाहिए। बच्चों में हिंसक व्यवहार के संकेत जैसे गलत भाषा का प्रयोग करना, समझाने पर भी गुस्सा करना, कोई भी बात समझाने पर चीजें फैंकने लगना, मां-बाप को ही मारने दौडऩा, लोगों के बारे में गलत बोलना, गलत आदतों में पडऩा, भाई-बहन के लिए स्नेह न रखना, लड़ाकू प्रवृत्ति का होना, हमेशा उदास रहना, संवेदनशील और चिड़चिड़े रहना, बार-बार जोश में आना आपको नजर आ सकते हैं। 

एकल परिवारों में माता-पिता इतने व्यस्त होते हैं कि उनके पास बच्चों से बात करने का ज्यादा समय नहीं होता। वे अक्सर इस बात पर भी नजर नहीं रख पाते कि बच्चे क्या कर रहे हैं, क्या खेल रहे हैं, उनके दोस्त कौन-कौन से हैं। दोस्तों के साथ भी बच्चे ऑनलाइन खेल खेलते हैं। दोस्त उन्हें चिढ़ाते भी हैं कि अरे! तुम्हारे माता-पिता कैसे हैं, जो तुम्हें ऑनलाइन खेल भी नहीं खेलने देते। इससे बच्चों में हीनता और अपने घर वालों के प्रति नफरत का भाव पैदा होता है जो अपराध के रूप में बाहर निकलता है। हिंसक तरीके से व्यवहार करने वाले बच्चों में कोई न कोई ऐसा कारण नजर आता है जो उनके इस व्यवहार को अधिक बढ़ाता है। 

फिजिकल, ओरल या सैक्सुअल के रूप में गलत व्यवहार, घरेलू वातावरण न मिलने, माता-पिता द्वारा बच्चों की अच्छी तरह से देखभाल न करने, दर्दनाक घटना होने या फिर स्ट्रैस होने, बच्चों को धमकाने, फैमिली प्रॉब्लम, नशीली चीजों के सेवन, शराब और अन्य गलत चीजों के सेवन से बच्चों में आक्रामकता बढ़ सकती है और वे हिंसक हो सकते हैं। कई बार टी.वी. पर हिंसक कार्यक्रम देखने आदि से बच्चों में हिंसक व्यवहार बढ़ जाता है। घर में लगातार बंदूकें, चाकू आदि को देखते रहने से भी बच्चों का व्यवहार हिंसक हो जाता है। जब भी माता-पिता या अन्य घर के सदस्य देखें कि उनका बच्चा या भाई-बहन का बच्चा हिंसक व्यवहार कर रहा है तो उसे तुरंत किसी मैंटल हैल्थ एक्सपर्ट के पास ले जाना चाहिए। किसी प्रोफैशनल डॉक्टर द्वारा किया गया इलाज उसके व्यवहार को दूर करने में मदद कर सकता है। बच्चों को मैंटल हैल्थ एक्सपर्ट द्वारा गुस्से पर कंट्रोल करना, मन की बातों को बताना, संघर्ष करना, नैगेटिव बातों को दूर करना, पॉजिटिव बातों को सोचना आदि के बारे में बताया जा सकता है।-प्रि. डा. मोहन लाल शर्मा 
    


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Related News