भारत की क्षेत्रीय शक्ति और प्रभाव को पहचानता है कनाडा

punjabkesari.in Tuesday, Sep 26, 2023 - 04:59 AM (IST)

बड़े कूटनीतिक विवाद के चलते भारत-कनाडा संबंध चर्चा में आ गए हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा अलगाववादी सिख कार्यकत्र्ता निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता का आरोप लगाने के बाद दोनों देशों के बीच मतभेद उभर आए हैं। नई दिल्ली ने नाराज होकर ट्रूडो के दावे का जोरदार खंडन किया है और इसे ‘बेतुका और प्रेरित’ कहकर खारिज कर दिया है। इस वर्ष 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर खालिस्तान समर्थक निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। भारत ने उसे वांछित आतंकवादी घोषित कर रखा था। यदि भारत और कनाडा के बीच संबंध सुचारू रूप से चल रहे थे तो इसका कारण भू-राजनीतिक विकास, आॢथक संबंध और जनसांख्यिकीय रुझान थे। मेजर की हत्या के बाद ये और भी खराब हो गए हैं। दोनों देशों ने एक-दूसरे के खिलाफ ‘जैसे को तैसा’ प्रतिक्रिया का इस्तेमाल किया। 

पिछले सप्ताह जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए दौरे पर आए कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और भारत के बीच संबंध स्पष्ट रूप से ठंडे दिखाई दे रहे थे। नई दिल्ली कनाडा में खालिस्तान समर्थक तत्वों की मौजूदगी का विरोध करती रही है। नई दिल्ली ने खालिस्तान के लिए उनके जनमत संग्रह पर भी नाराजगी जताई। खालिस्तानी समर्थक तत्वों ने ओटावा में भारतीय राजनयिकों को जान से मारने की धमकी दी। उनके प्रत्यर्पण के अनुरोध पर भी अब तक ध्यान नहीं दिया गया है।

कनाडा भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है? : पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश कनाडा में अपने गृह राज्य पंजाब के बाहर सिखों की आबादी सबसे अधिक है। कनाडा में 40 मिलियन में से करीब 1.4 मिलियन भारतीय आप्रवासी रहते हैं। करीब 7,70,000 लोग सिख धर्मों का पालन करते हैं। नई दिल्ली अक्सर उनकी गतिविधियों को लेकर शिकायत करती रही है। 

विवाद के बाद कनाडा और भारत ने इस सप्ताह की शुरूआत में पारस्परिक कदम उठाते हुए वरिष्ठ राजनयिकों को निष्कासित करने की त्वरित कार्रवाई की। गुरुवार को भारत के विदेश मंत्रालय ने कनाडाई नागरिकों  के लिए वीजा सेवाओं को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया। ओटावा का दावा है कि कनाडाई सुरक्षा एजैंसियों ने निज्जर की हत्या के लिए भारत सरकार के संबंध होने के सबूत उजागर किए हैं। घरेलू राजनीति की बात करें तो कांग्रेस और अन्य पार्टियों ने भारत सरकार का समर्थन किया है और ट्रूडो के बयान की आलोचना की है। वे इस आरोप से स्तब्ध हैं कि भारत सरकार ने कनाडा की धरती पर भारतीय मूल के कनाडाई नागरिक की हत्या की साजिश रची और साऊथ ब्लाक ने इसका समर्थन किया। अकाली दल के नेता सुखबीर बादल ने ही सुझाव दिया कि मीडिया में सिख विरोधी प्रचार को रोकने के लिए राजनीतिक दलों को मिलकर काम करना चाहिए। 

जहां तक अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य की बात है तो भारत के प्रति उसके पश्चिमी सहयोगियों की प्रतिक्रिया सतर्क रही है। शीर्ष अमरीकी राजनयिक डेविड कोहेन ने दावा किया कि ‘फाइव आइका’ नैटवर्क एक खुफिया गठबंधन है जिसमें अमरीका, यूनाइटेड किंगडम, आस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड शामिल हैं। न्यूयार्क टाइम्स ने रविवार को कहा, ‘‘जून में सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद अमरीकी खुफिया एजैंसियों ने अपने कनाडाई समकक्षों को संदर्भ पेश किया जिसमें कनाडा को यह निष्कर्ष निकालने में मदद मिली कि भारत इसमें शामिल था।’’ ट्रूडो ने भारत से हत्या के बारे में ‘सच्चाई उजागर करने के लिए कनाडाई अधिकारियों के साथ सहयोग करने का आह्वान किया लेकिन कहा कि वह दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ाना नहीं चाहते हैं।’ गतिरोध का असर भारत और कनाडा दोनों देशों पर पड़ेगा। भारत कनाडा का दसवां सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार है। दूसरे, कनाडा की 2022 इंडो-पैसिफिक रणनीति में अहम भूमिका है। तीसरी बात यह है कि दोनों देश एक दशक से अधिक समय से व्यापार समझौते को लेकर चर्चा कर रहे हैं। 2022 में उनके बीच कुल व्यापार मूल्य केवल 13.7 बिलियन कनाडाई डॉलर तक पहुंच गया जो कनाडा के कुल व्यापार का एक छोटा-सा हिस्सा 1.52 ट्रिलियन कनाडाई डॉलर है। 

प्रारंभिक प्रगति व्यापार समझौते (ई.पी.टी.ए.) के लिए उच्च स्तरीय बातचीत के लिए अनुकूल माहौल मौजूद था। ई.पी.टी.ए. वार्ता के लिए अक्तूबर की बैठक अब अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है।चौथा, कनाडाई व्यापार 2012 में करीब 3.87 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2022 में 10.18 बिलियन डॉलर हो गया था। व्यापार दोनों पक्षों के लिए प्रभावित होगा। पांचवीं बात यह है कि भारत के कनाडा में अप्रवासन में कमी आ सकती है। कनाडा हाल के वर्षों में कई आप्रवासियों का घर रहा है। विद्यार्थियों के आवागमन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। 30 प्रतिशत से अधिक छात्र कनाडा में पढऩे के लिए भारत से आते हैं। इसके अलावा पर्यटक यातायात भी प्रभावित होगा। 21 सितंबर को भारत ने घोषणा की कि वह कनाडा में उनके मिशनों को प्रभावित करने वाली सुरक्षा ङ्क्षचताओं के कारण अस्थायी रूप से कनाडाई नागरिकों के लिए वीजा जारी करना बंद कर देगा। नई दिल्ली खालिस्तानियों के लिए विदेशी नागरिकता रद्द करने पर भी विचार कर रही है। 

1980 और 1990 के दशक के बाद से भारत ने तेजी से राजनीति और आर्थिक शक्ति हासिल करते हुए एक लम्बा सफर तय किया है। अमरीका चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिए भारत के साथ सांझेदारी करना चाहता है और अपने सहयोगियों के बीच तनाव विकसित होने से बचना पसंद करेगा। पैंटागन के एक पूर्व अधिकारी का कहना है कि अगर अमरीका ने दोनों देशों को चुना तो यह भारत का पक्ष ले सकता है क्योंकि वाशिंगटन क्षेत्र में चीन को संतुलित करने के लिए भारत को लुभा रहा है। कनाडा भारत की क्षेत्रीय शक्ति और प्रभाव को पहचानता है।-कल्याणी शंकर


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