जमीन आवंटन मामलों में अनियमितताओं को लेकर घिरे हुड्डा

punjabkesari.in Thursday, Dec 06, 2018 - 04:39 AM (IST)

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, जो खुले दिल से पक्षपात करने तथा संदेहास्पद भूमि सौदों हेतु इजाजत देने के लिए जाने जाते हैं, खुद को संकट में पा रहे हैं। राज्य में मनोहर लाल खट्टर नीत भाजपा सरकार विभिन्न भूमि सौदों की जांच के आदेश देकर उन्हें घेरने का प्रयास कर रही है। 

हुड्डा पर जमीन के इस्तेमाल में बदलाव की खुले दिल से इजाजत देने के आरोप लगे हैं। ये मुख्य रूप से जमीन के कृषि हेतु इस्तेमाल से आवासीय तथा वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए बदलाव से संबंधित हैं। इजाजत मिलने के बाद ऐसी जमीनों की कीमतें रातों-रात आसमान पर पहुंच गईं। ऐसा माना जाता है कि पूर्व मुख्यमंत्री ने भू-माफिया तथा राजनीतिज्ञों को लाभ पहुंचाने के लिए हजारों ऐसी स्वीकृतियां दीं। 

सबसे महत्वपूर्ण मामला
ऐसे मामलों में सबसे महत्वपूर्ण सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा के स्वामित्व वाली कम्पनी को दी गई इजाजत है जिन्होंने मानेसर के नजदीक किसानों से कौडिय़ों के भाव खरीदी गई जमीन को वाणिज्यिक तौर पर इस्तेमाल करने के लिए हुड्डा सरकार द्वारा बदलाव की इजाजत मिलने के बाद एक निजी कम्पनी डी.एल.एफ. को 50 करोड़ रुपए से अधिक लाभ पर बेच दिया। सरकार का नवीनतम कदम यंग इंडिया के स्वामित्व वाली एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (ए.जे.एल.), जिसे गांधी परिवार द्वारा संचालित किया जा रहा है, को जमीन के पुनर्आबंटन में बरती गई अनियमितताओं को लेकर उनके खिलाफ चार्जशीट दायर करने का है। ए.जे.एल. नैशनल हेराल्ड की प्रकाशक है, जिसकी स्थापना प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने की थी। इसे हमेशा कांग्रेस का आधिकारिक समाचार पत्र समझा जाता रहा है। 

एक ही दिन में फाइलें निपटाईं
यह अपेक्षाकृत एक कठिन मामला है और भजन लाल के दावों के बावजूद हुड्डा को मुख्यमंत्री बनाए जाने के शीघ्र बाद जमीन के पुनर्आबंटन की इजाजत देने की अपनी कार्रवाई के लिए जवाब देना कठिन होगा। उन्होंने ए.जे.एल. को जमीन के एक प्लाट को रद्द करने संबंधी फाइल को मंगवाने में बहुत कम समय गंवाया। जहां सरकारें आमतौर पर ऐसे कार्यों में महीने अथवा वर्षों तक लगा देती हैं, इस मामले में एक ही दिन में सभी इजाजतें दे दी गईं और फाइलों को क्लीयर कर दिया गया। उन्होंने ऐसा हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) के चेयरमैन की हैसियत से किया। संयोग से इस मामले में हुड्डा पर उनके नाम से नहीं बल्कि हुडा के चेयरमैन के तौर पर शिकंजा कसा गया है। 

पंचकूला के पॉश सैक्टर-6 में 3500 वर्ग मीटर आकार के प्लाट का आबंटन 1982 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भजन लाल ने किया था। इमारत का निर्माण 2 वर्षों में किया जाना था लेकिन कोई भी निर्माण कार्य नहीं किया गया और 1992 में आबंटन को रद्द कर दिया गया। यही वह जमीन थी जिसे हुड्डा ने कानून विभाग के साथ-साथ हुडा के वरिष्ठ अधिकारियों की सलाह के विपरीत बहाल किया था। हुड्डा ने यह तर्क दिया है कि इस मामले में कोई अनियमितता नहीं की गई और भाजपा सरकार ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ में लिप्त है। तथ्य यह है कि जमीन, जिसकी अनुमानित कीमत 20 करोड़ रुपए से अधिक है, को हुडा ने महज 59 लाख रुपए में बहाल कर दिया था। निश्चित तौर पर हुड्डा को अपनी कार्रवाई को न्यायोचित ठहराने में कठिनाई होगी। 

समय को लेकर संदेह
एक ऐसे समय में  हुड्डा के खिलाफ एफ.आई.आर. तथा मामलों का दर्ज किया जाना, जबकि विधानसभा चुनावों में महज कुछ ही महीने बचे हैं, राजनीतिक उद्देश्यों से रंगे दिखाई देते हैं। खट्टर सरकार ने ऐसा करने में साढ़े 4 वर्ष का लम्बा समय लिया, जबकि इसने 2014 के चुनावों से पूर्व इसका वायदा किया था। यदि ऐसा पहले किया जाता तो ऐसे सभी मामलों में हम अब तक निर्णयों की आशा कर सकते थे।-विपिन पब्बी


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Pardeep

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