नशे के दलदल में फंसती हिमाचल की जवानी

punjabkesari.in Thursday, Aug 18, 2016 - 02:15 AM (IST)

(डा. राजीव पत्थरिया): भांग और अफीम की अवैध खेती के कारण दुनिया भर में बदनाम हिमाचल प्रदेश अब इस कलंक को धोने की सोच रहा है। वहीं प्रदेश की युवा पीढ़ी के नशे की लत में डूब जाने के समाचारों ने भी सरकार को हिला दिया है। पारम्परिक नशों के अलावा राज्य की युवा पीढ़ी में नशीली दवाओं का सेवन सबसे बड़ी समस्या बन रहा है। पिछले कुछ समय में इन नशों के कारण पंजाब के साथ लगते हिमाचल के छिट-पुट क्षेत्रों में कुछ लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी है। राज्य में ड्रग माफिया की सक्रियता अब स्कूलों और कालेजों के आस-पास अधिक होने लगी है। 

 
पिछले कुछ सालों में ही प्रदेश की युवा पीढ़ी को नशे का आदी बनाने की कोशिशें तेजी से आगे बढ़ी हैं। हालांकि राज्य पुलिस समय-समय पर ड्रग माफिया पर शिकंजा कसती आ रही है लेकिन आए दिन ड्रग माफिया नशीले पदार्थों की तस्करी के नए-नए तरीके ढूंढ लेता है। वहीं नशे के इस कारोबार में ड्रग माफिया ने युवाओं की भागीदारी को भी सुनिश्चित कर रखा है। 
 
प्रदेश में नशे के कारोबार को जड़ से खत्म करने की कोशिश राज्य सरकार की ओर से शुरू कर दी गई है। पंजाब के साथ लगते हिमाचल के क्षेत्रों में नशीले पदार्थों की तस्करी काफी बड़े पैमाने पर हो रही है। पिछले दिनों इस पर गहरी ङ्क्षचता जताते हुए राज्य के उद्योग मंत्री मुकेश अग्रिहोत्री ने यह सारा विषय मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के समक्ष रखा। वहीं हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने भी प्रदेश में नशीले पदार्थों की तस्करी और युवा पीढ़ी को लग रही नशे की लत पर कड़ा संज्ञान लिया है। 
 
उच्च न्यायालय ने सरकार को आदेश दिए हैं कि नशे के कारोबार में जो भी संलिप्त पाया जाए उसकी सम्पत्ति को जब्त कर लिया जाए। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अपनी पार्टी के वरिष्ठ मंत्री और उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद खुद राज्य के उच्चाधिकारियों के साथ बैठक कर इस समस्या को जड़ से उखाड़ फैंकने के कड़े निर्देश दिए हैं। जिसके तहत राज्य सरकार पूरे प्रदेश में नशों के खिलाफ 22 अगस्त से पंचायत स्तर तक एक विशेष अभियान शुरू करने जा रही है। 
 
यह अभियान 15 दिन तक लगातार चलेगा और इस दौरान सरकारी व निजी भूमि पर लगे भांग और अफीम के पौधों को नष्ट कर नशीले पदार्थों के प्रति जनता को जागरूक किया जाएगा। हालांकि यह विशेष अभियान 15 दिन का होगा लेकिन उसके बाद भी इस पर पुलिस और प्रशासन काम जारी रखेंगे। 
 
हिमाचल प्रदेश के कुछ ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में लंबे समय से अफीम और भांग की खेती अवैध रूप से होती आ रही है। नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और प्रदेश की पुलिस हर साल नशे की खेती वाले ऐसे क्षेत्रों में दबिश देती है लेकिन नशे का यह कारोबार कम होने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है। हिमाचल पुलिस ने पिछले 7 माह में 490 के करीब मादक द्रव्यों की तस्करी के मामले दर्ज कर 260 किलो चरस पकड़ी है। इसी अवधि में पुलिस ने 7 किलो गांजा, 18 किलो अफीम, 219 किलो चूरा-पोस्त (भुक्की), 250.035 ग्राम हैरोइन, 70.098 ग्राम स्मैक और 5 ग्राम कोकीन भी पकड़ी है। 
 
वहीं नशीली दवाओं का जिक्र करें तो पुलिस ने 7000 गोलियां, 13000 कैप्सूल, 1500 सिरप और 500 इंजैक्शन बरामद किए हैं। यानी पारम्परिक नशीले पदार्थों के अलावा राज्य में कैमीकल आधारित नशे के कारोबार ने भी अपने पांव पसार लिए हैं। 
 
राज्य सरकार ने भी ऐसे नशों के कारोबार को गंभीरता से लिया है और राज्य विधि विभाग को वर्तमान ड्रग्स एंड कास्मैटिक एक्ट का अध्ययन कर उसमें आवश्यक संशोधन कर उसे और कठोर बनाने के निर्देश भी दिए हैं। राज्य के मुख्य सचिव वी.सी. फारका ने तो इस संदर्भ में एक उच्चस्तरीय बैठक कर बद्दी औद्योगिक क्षेत्र में यह समस्या ज्यादा होने का साफ जिक्र किया है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि पता लगाया जाए कि नशीली दवाओं की इतनी ज्यादा खेप आखिर कहां से आ रही है। 
 
दूसरी ओर राज्य की कांग्रेस सरकार की राजनीतिक चिंता भी नशे के इस कारोबार से बढ़ गई है। पड़ोसी राज्य पंजाब में इन दिनों नशे के मुद्दे पर राजनीतिक द्वंद्व चल रहा है क्योंकि पंजाब में अब विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। हिमाचल प्रदेश में भी अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और यहां की कांग्रेस सरकार उससे पहले ही राज्य से ड्रग माफिया के खिलाफ विशेष अभियान छेड़कर इस समस्या से निजात पाना चाहती है। 
 
हालांकि बरसों से अपनी जड़ें जमाकर बैठे ड्रग माफिया को खत्म करना राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। अगर हिमाचल की कांग्रेस सरकार राजनीतिक इच्छा शक्ति दिखाती है तो यह संभव भी हो सकता है। क्योंकि इस शांत पहाड़ी प्रांत की युवा पीढ़ी ड्रग माफिया के चंगुल में फंसती जा रही है। जाहिर है ऐसे में राज्य की सरकार का प्रमुख दायित्व है कि वह प्रदेश की जवानी को नशे की दलदल से बाहर निकाले। वहीं हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने भी इस विषय पर संज्ञान लेने के बाद इस पर विशेष ध्यान देना शुरू कर दिया है।         
 

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