अब भावनात्मक मुद्दों पर ध्यान देगी भाजपा

punjabkesari.in Saturday, Dec 17, 2022 - 06:56 AM (IST)

भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए टोन सैट करना शुरू कर दिया है। उसने सुनिश्चित किया है कि इस बार अर्थव्यवस्था नहीं बल्कि भावनात्मक मुद्दे सुर्खियों में रहेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में 156 सीटों की रिकार्ड जीत के साथ भारतीय जनता पार्टी की मदद की। अब यह 2024 के लोकसभा चुनावों तक होड़ जारी रखने के लिए अर्थव्यवस्था को पार करने वाला एक तीव्र हिंदू बदलाव हो सकता है।
पार्टी अर्थशास्त्र और राजनीति से परे जाना पसंद करती है। भाजपा फरवरी 2023 में चुनावी प्रक्रिया शुरू होने से पहले एक खुली बहस के लिए एजैंडा तय कर रही है।

पार्टी 9 राज्य विधानसभाओं और 2024 के लोकसभा  चुनाव से पहले व्यवस्थित रूप से राजनीति की पिच तैयार शुरू कर रही है। 2024 का चुनाव एक बार फिर आर्थिक ब्लू प्रिंट पर नहीं लड़ा जा सकता। भारत भले ही 6 फीसदी से अधिक वृद्धि के साथ बेहतर प्रदर्शन कर रहा हो लेकिन यह मतदाताओं को लुभाने के लिए पर्याप्त नहीं होगा। भाजपा प्रचार के दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ती है। यह दृष्टिकोण 2023 में उत्तर-पूर्व में 9 राज्यों मेघालय, नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा, कर्नाटक, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में अलग-अलग होगा।

अप्रैल 2024 में लोकसभा चुनाव के साथ आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम में चुनाव होने की संभावना है। भाजपा के चुनाव आयोजक जानते हैं कि विवाद वोट बटोरने वाले होते हैं। भाजपा फिर से ध्रुवीकरण और जनसंख्या जैसे मुद्दे का जुआ खेल सकती है। पार्टी अब लगभग पूरे देश में एक लहर पैदा करने के लिए समान नागरिक संहिता (यू.सी.सी.) को आगे बढ़ा सकती है। पर्सनल लॉ के मुद्दे पर चर्चा लगभग सभी भारतीयों को छूती है। एक छोटा-सा उदाहरण 9 दिसम्बर को राज्यसभा में भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा द्वारा एक निजी सदस्य विधेयक पेश करने के साथ देखा गया।

उन्होंने यू.सी.सी. को तैयार करने और इसे लागू करने के लिए एक पैनल की मांग की। यह मुद्दा राज्यसभा को विभाजित करता है। अपेक्षित रूप से कांग्रेस, टी.एम.सी., माकपा, आई.यू.एम.एल., एम.डी.एम.के., सपा और राजद ने हंगामे के बीच कड़ा विरोध दर्ज करवाया। अध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने मत विभाजन की मांग की और प्रस्ताव के पक्ष में 63 और इसके विरोध में 23 मत पड़े। अभियान को धार देने के लिए यू.सी.सी. को जनसंख्या नियंत्रण नीति से अलंकृत किया जाएगा।

अगर भाजपा सभी राज्यों में यू.पी.ए.-कांग्रेस द्वारा शुरू की गई 10 साल पुरानी कारों को कबाड़ करने की नीति को बदलने पर ध्यान केंद्रित करेगी तो यह कई करोड़ लोगों और उनके परिवारों के दिलों को यह बात छू जाएगी। यह मुद्दा भाजपा के लिए ‘गेम चेंजर’ हो सकता है क्योंकि स्विट्जरलैंड ने अनुचित तकनीकी बिजली खपत वाले इलैक्ट्रिक वाहनों (ई.वी.) को दूर करने के लिए पहला कदम उठाया है। यू.पी., हरियाणा, उत्तराखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, पंजाब और कई अन्य राज्यों के किसानों में कारों और ट्रैक्टरों को जबरन  कबाड़ करने के खिलाफ गुस्सा देखा जा रहा है।

एक बार फिर आदिवासियों और वंचित समूहों के लिए कई अन्य कार्यक्रमों के साथ-साथ मुफ्त भोजन की ढील को लोकसभा चुनाव तक विस्तार मिलने की प्रबल संभावना है।  इस कार्यक्रम को कई चरणों में 2024 तक बढ़ाए जाने की संभावना है। अल्पसंख्यकों को प्रधानमंत्री आवास योजना आवासों के आबंटन, आर्थिक रूप से पिछड़ी श्रेणी (ई.डब्ल्यू.एस.) कोटे में नौकरी, धार्मिक विद्यालयों, मदरसों और कुछ अन्य कार्यक्रमों के आबंटन में विशेष सहायता दी जानी है। यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि पिछड़े अल्पसंख्यक समुदाय धीरे-धीरे हिंदू पार्टी की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

आर.एस.एस. नेता इंद्रेश कुमार  ने विभिन्न धर्मों के अल्पसंख्यक समूहों के बीच सूक्ष्म प्रचार से लोगों को आकर्षित किया है। स्थानीय धार्मिक प्रतीकों को भी कई तरह से पेश किया जाएगा। अरुणाचल प्रदेश में डोनी-पोलो, सूर्य-चंद्र मंदिर पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मोदी ने कुछ समय पहले डोनी-पोलो एयरपोर्ट का उद्घाटन किया था। नागालैंड विविध है और इसी तरह इस क्षेत्र के अन्य राज्य भी हैं। संघ के एक नेता का कहना है कि संघ दशकों से प्रत्युत्तर के आदिवासी समूहों की सेवा कर रहा है। प्रत्येक राज्य के लिए तैयार किए गए विभिन्न कार्यक्रमों का उद्देश्य भगवा पार्टी के मूड को बदलना है। कल्याण और लोकप्रिय छवि पर ध्यान केंद्रित करने वाले प्रत्येक राज्य के लिए दृष्टिकोण, पैकेजिंग और तरीके विशेष हैं। -शिवाजी सरकार (साभार पायनियर)  (लेखक जहाजरानी मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य हैं)


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