भाजपा की राजनीतिक मशीन अधिक शक्तिशाली और कुशल है

punjabkesari.in Monday, Nov 28, 2022 - 06:02 AM (IST)

गुजरात में विधानसभा चुनाव भारतीय राजनीति के भविष्य के पाठयक्रम को नया आकार दे सकता है। यह चुनावी पुनरुद्धार के प्रति कांग्रेस के संकल्प का परीक्षण करने जा रहा है। यह चुनाव यह भी दर्शाएंगे कि क्या आम आदमी पार्टी (आप) अपने पदचिन्हों का विस्तार करने का प्रयास कर रही है? क्या ब्रांड मोदी और हिंदुत्व भाजपा के लिए मूल्यवान हैं? बेशक जाति आधारित सोशल इंजीनियरिंग गुजरात में बहुत प्रचलित है। हालांकि यहां पर भावनात्मक संबंधों से संबंधित कारकों का एक समूह भी है जो चुनावी परिणामों को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। 

ऐसा पहला कारक ‘ब्रांड मोदी’ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि गुजराती गौरव का पर्याय है। प्रधानमंत्री के रूप में उनकी उपस्थिति ने गुजरात में भारतीय राष्ट्रवाद के व्यापक ढांचे के भीतर एक उप-राष्ट्रवादी दावा बनाया है। यह भावनात्मक सूत्र किसी भी संगठनात्मक या दल केंद्रित प्रयासों से कहीं अधिक चुनाव परिणाम को आकार देने वाला है। 

मोदी की छवि सर्वव्यापी है। उनकी यह छवि मीडिया में, रैलियों में और केंद्र द्वारा प्रचारित विकास की प्राथमिकताओं पर अंकित है। इसके बारे में डांग के आदिवासी क्षेत्रों के साथ-साथ अहमदाबाद और वड़ोदरा सहित महानगरीय शहरों में भी बात की जाती है। बेशक ‘ब्रांड मोदी’ की कहानी का विपक्ष ने विरोध किया है लेकिन यह चर्चा में मुश्किल से ही आता है या इतना शक्तिशाली नहीं लगता कि इससे पैदा हुई चुनावी पूंजी में सेंध लग सके। 

गुजरात में दूसरा कारक ‘हिंदुत्व आकांक्षा’ है जो राजनीतिक संबंध में एक भावनात्मक आधार प्रदान करती है। अयोध्या में राममंदिर का निर्माण, काशी विश्वनाथ मंदिर कोरीडोर का जीर्णोद्धार और हिंदुत्व के अन्य बड़े प्रतीकों का निर्माण करके हिंदू गौरव को बढ़ाने का भाजपा प्रयास कर रही है। यह जमीन पर एक प्रतिध्वनि है। सांस्कृतिक राजनीति करने की भाजपा की क्षमता बेजोड़ है। दिल और दिमाग को फिर से आकार देने में इसके प्रभाव को अक्सर राजनीतिक विशलेष्कों द्वारा नजरअंदाज कर दिया जाता है। ऐसा लगता है कि ‘आप’ प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने इस पहलू के आयाम को पहचान लिया है। 

इस स्थान के भीतर एक जगह बनाने के उनके प्रयासों से स्पष्ट है कि मौद्रिक नोटों में ङ्क्षहदू देवी-देवताओं-लक्ष्मी और गणेश जी की छवियां हों। दावों और नारों के प्रमाणिक होने के लिए निरंतर और गहन जमीनी कार्य की आवश्यकता है। तीसरा अदृश्यकारक सहकारी आंदोलन के भीतर राजनीतिक रिश्तेदारी है। राजनीति और सहकारिता आंदोलन हमेशा ही एक-दूसरे से जुड़े रहे। हालांकि भाजपा ने अब सहकारी आंदोलन में प्रमुख खिलाड़ी के रूप में कांग्रेस की जगह ले ली है जो राजनीतिक दलों को कैडर और प्रभावशाली व्यक्ति प्रदान करती है। सहकारी समितियों के बीच कांग्रेस के प्रभाव को कमजोर करके गुजरात में भाजपा का उदय हुआ था। 

एक चौथा कारक जो चुनावी लामबंदी को सक्षम कर रहा है वह आकांक्षाओं से जुड़ा हुआ है। एक विकास से संबंधित और दूसरा व्यवसाय (धंधा) से संबंधित है। सभी राजनीतिक दल इन आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं लेकिन भाजपा  ‘डबल इंजन’ पर अपनी बयानबाजी के माध्यम से खुद को सरकार की पार्टी के रूप में प्रस्तुत कर अपने प्रतिद्वंद्वियों से बहुत आगे निकल गई है। राजनीतिक जीवन में रुचि रखने वाले नवागंतुकों के लिए आम आदमी पार्टी एक रास्ता है। अधिकांश नागरिक तथा सामाजिक कार्यकत्र्ता इसमें अपना राजनीतिक भविष्य देखते हैं। वास्तव में नागरिक और सामाजिक कार्यकत्र्ता ‘आप’ को पार्टी संगठन बनाने में मदद कर रहे हैं। 

दिलचस्प बात यह है कि ‘आप’ कांग्रेस के हमदर्दों का दिल जीतती नजर आ रही है। इससे पहले यह धारणा थी कि ‘आप’ के उदय से भाजपा को नुक्सान होगा। इन कारकों के आसपास लोगों को लामबंद करने के लिए एक मजबूत पार्टी संगठन की आवश्यकता है। भाजपा की राजनीतिक मशीन किसी भी अन्य की तुलना में अधिक शक्तिशाली और कुशल है।  गुजरात में कौन से कारक परिणाम को प्रभावित करते हैं यह देखने लायक है।-बद्री नारायण


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