कमला हैरिस को ‘काम के लिए तैयार’ मानते हैं बाइडेन

punjabkesari.in Friday, Aug 21, 2020 - 04:52 AM (IST)

विश्व के दो सर्वाधिक शक्तिशाली लोकतंत्रों की बहुमुखी शक्ति 15 अगस्त को भारत का स्वतंत्रता दिवस मनाने के अवसर पर एक वर्चुअल कम्पेन में जीवंत हो उठी जब डैमोक्रेटिक प्रैजीडैंशियल उम्मीदवार ने भावुकतापूर्ण यह कहा कि वह सीमाओं पर खतरे का सामना करने के लिए भारत के साथ खड़े हैं। यह चीन तथा पाकिस्तान के लिए एक स्पष्ट संकेत था। उन्होंने  ‘ईमानदारीपूर्ण बातचीत’ के बारे में भी बात की, जो वह विभिन्न मुद्दों तथा समस्याओं पर देश के साथ करेंगे। 

यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए पुन: एक आश्वासन होना चाहिए जिन्होंने अमरीका के रिपब्लिकन राष्ट्रपति ट्रम्प के साथ अपने दोस्ताना संबंध बना लिए। फरवरी 2020 में अहमदाबाद में आयोजित एक बड़े कार्यक्रम में ट्रम्प-मोदी की घनिष्ठता दिखाई दी थी। यह सब अच्छा है यद्यपि ग्रेटर मिडल ईस्ट तथा खाड़ी क्षेत्र, अफगानिस्तान, पाकिस्तान से संबंधित कुछ मुद्दों को लेकर भारत-अमरीकी मतभेदों को शायद ही छुपाए रखा जा सकता है। राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा बार-बार कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने का आह्वान विशेष रूप से नई दिल्ली के लिए निराशाजनक है। काबुल के साथ-साथ इस्लामाबाद का मुद्दा भी अभी तक अनसुलझा है। इसे नियंत्रित करने के अमरीकी प्रयासों को धक्का लगा है। 

हालांकि राष्ट्रपति ट्रम्प ने हाल ही में दावा किया था कि ‘उनके साथ कमला हैरिस के मुकाबले अधिक भारतीय हैं।’ उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, यह कोई रहस्य नहीं कि 13 लाख भारतीय अमरीकी अधिकतर डैमोक्रेट्स को वोट देते हैं। यद्यपि भारतीय अमरीकियों को लुभाने के अपने विशेष प्रयासों के अंतर्गत डैमोक्रेट कोई जोखिम नहीं उठा रहे। 

सीनेटर कमला हैरिस को अपनी रङ्क्षनग मेट चुनने के बाद भारतीय अमरीकी समुदाय को अपनी पहली टिप्पणी में कथित रूप से बाइडेन ने कहा था कि  ‘विभिन्नतापूर्ण लोकतंत्र होना’ भारत तथा अमरीका की एक पारस्परिक शक्ति है। निश्चित तौर पर ऐसा है। विवादपूर्ण मुद्दों पर लोकतंत्र एक खुले मन की मांग करता है। इसी बात का जो बाइडेन ने वायदा किया है। उन्होंने उस भूमिका के लिए कमला हैरिस को ‘स्मार्ट, अनुभवी, तैयार’ बताया है जिसकी उप राष्ट्रपति चुने जाने पर उनसे आशा की जाती है। 

कमला हैरिस का जन्म चेन्नई की एक कैंसर शोधकत्र्ता श्यामला गोपालन की कोख से 1964 में हुआ था। श्यामला ने ‘साऊथ एशिया फॉर बाइडेन’ द्वारा आयोजित वर्चुअल इवैंट में संबोधित भी किया था। उन्होंने बहुत भावपूर्वक महात्मा गांधी, माॢटन लूथर किंग तथा भारत के स्वतंत्रता संग्राम के बारे में बात की। उन्होंने ‘सहिष्णुता, बहुलतावाद तथा विभिन्नता’ जैसे मूल्यों के बारे में भी बात की और गत 7 दशकों के दौरान  ‘न्याय के लिए लड़ाई’ हेतु भारत की प्रगति का भी उल्लेख किया। मैं समझता हूं कि प्रधानमंत्री मोदी को उनकी टिप्पणियों को गंभीरतापूर्वक लेना चाहिए क्योंकि मोदी शासन के अंतर्गत कुछ अमरीकी नेताओं तथा आलोचकों ने धार्मिक सहिष्णुता तथा बहुलतावाद पर प्रश्र उठाए हैं। 

दिलचस्प बात यह है कि डैमोक्रेटिक राष्ट्रपति उम्मीदवार भारतीय अमरीकियों के लिए एक व्यापक नीति दस्तावेज के साथ आगे आए हैं। ऐसा अमरीका के चुनावी इतिहास में पहली बार हुआ है। यह अमरीकी समाज में अमरीकी भारतीयों के महत्व को रेखांकित करता है। आज पहले के मुकाबले कहीं अधिक भारतीय सरकारी पदों पर विराजमान हैं। राजनीति के अलावा भारतीय समुदाय ने चिकित्सा, विज्ञान तथा तकनीक, इंजीनियरिंग तथा गणित संबंधी नौकरियों तथा होटल व्यवसाय के क्षेत्रों में अपनी छाप छोड़ी है। आधे से अधिक होटलों के मालिक गुजरात के पटेल समुदाय से हैं। 

नुशाइबा इकबाल के अनुसार भारतीय अमरीकी, जो अमरीकी जनसंख्या का एक प्रतिशत बनाते हैं, का सिलिकॉन वैली स्टार्टअप्स के एक तिहाई पर कब्जा है। अमरीका में लगभग 8 प्रतिशत हाईटैक फर्मों की स्थापना अमरीकी भारतीयों ने की थी। अमरीका में प्रत्येक 7 में से एक डाक्टर भारतीय मूल का है। वर्तमान में माइक्रोसॉफ्ट, आई.बी.एम., मास्टरकार्ड, एडोब तथा अल्फाबैट सहित फॉरच्यून 500 कम्पनियों में से 2 प्रतिशत का नेतृत्व भारतीय अमरीकी सी.ई.ओ. कर रहे हैं। उतने ही भारतीय अमरीकी हॉलीवुड, टैलीविजन शोज आदि में नजर आते हैं। जो बाइडेन का नीति दस्तावेज इस दीर्घकालिक विश्वास को रेखांकित करता है कि भारत तथा अमरीका ‘स्वाभाविक सांझीदार’ हैं  तथा संबंधों को मजबूत करने को उच्च प्राथमिकता देते हैं। यह ‘स्थायी कार्य-आधारित प्रवास के लिए वीजों’ की संख्या बढ़ाने का भी वायदा करता है।’’ 

हैरिस अमरीका में किसी प्रमुख दल द्वारा राष्ट्रपति पद के लिए टिकट दिए जाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला एवं अश्वेत महिला हैं। एक ऐसे देश में जो तिहरे संकट में बहुत बुरी तरह से जकड़ा है-महामारी, जातीय अन्याय तथा पुलिसिंग और एक ऐसी अर्थव्यवस्था जिसमें 16 लाख बेरोजगार हैं, अमरीकी सार्वजनिक जीवन में हैरिस का उत्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। कैलिफोर्निया से 55 वर्षीय अमरीकी सीनेटर कमला हैरिस पहले ही एक अश्वेत महिला के तौर पर किसी बड़े पद पर पहुंचने वाली महिला के तौर पर इतिहास बना चुकी हैं जिनके सामने एन.एस.ए. सूसन राइस तथा मैसाचुसेट्स से सीनेटर एलिजाबेथ वारेन जैसे मजबूत उम्मीदवार थे। 

अपने लम्बे करियर में कमला हैरिस ने पहले ही खुद को दूसरों से अलग स्थापित कर दिया है। हैरिस आपराधिक न्यायिक सुधारों  की झंडाबरदार के तौर पर अपना नाम बना चुकी हैं। अमरीकी राजनीति में उनकी पहचान को डोनाल्ड ट्रम्प के एंटी-इमीग्रैंट कदम के विरोध के तौर पर देखा जाता है। पुलिस के हाथों अफ्रीकी अमरीकियों जॉर्ज फ्लायड तथा ब्रेओना टेलर की हत्याओं के बाद हैरिस सीनेट के जून में जस्ट्सि इन पोलिस एक्ट की सहप्रायोजक थीं। उन्होंने लिंचिंग को एक संघीय अपराध बनाने के लिए एक विधेयक का सह-प्रयोजन भी किया। 

जो बाइडेन, जिन्हें अब राष्ट्रपति चुनाव के लिए औपचारिक रूप से उम्मीदवार घोषित कर दिया गया है, को यह कहने में जरा भी हिचकिचाहट नहीं है कि उन्होंने कमला हैरिस को इसलिए अपनी सांझीदार चुना क्योंकि ‘वह एक सख्त तथा अनुभवी लैजिस्लेटर हैं जो पहले दिन से ही अपने कार्य के लिए तैयार हैं।’ बाइडेन के अनुसार उनकी कहानी अमरीका की कहानी है। उन्होंने कड़ी मेहनत की है और चुनौतियों से कभी मुंह नहीं मोड़ा। 

नि:संदेह उनकी सफलता की कहानी एक तरह से अमरीकी समाज के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े 13 लाख अमरीकी भारतीयों में से अधिकतर की सफलता की कहानी कहती है और वह पर्याप्त रूप से अमीर हैैं और बाइडेन तथा हैरिस के लिए अभियान हेतु धन देने से हिचकिचाएंगे नहीं। मैं नवम्बर 2020 में होने वाले अमरीका के ऐतिहासिक चुनावों के लिए  बाइडेन-कमला टीम को सफलता के लिए शुभकामनाएं देता हूं।-हरि जयसिंह


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