‘बंजर मन’ पंजाब में ‘प्रवासी प्यास’ का दर्द

punjabkesari.in Saturday, Jun 29, 2019 - 04:01 AM (IST)

पंजाब की जमीन बंजर होने जा रही है, इसका मन बंजर हो चुका है, मस्तक बंजर है। मस्तक तो संवेदनाओं सहित प्रवास कर गया है। मस्तक, जिसे हम ‘ब्रेन ड्रेन’ कहते हैं। पंजाब के पास बचा है असंवेदनशील तथा ज्ञान से कोरी स्लेट जैसा नौजवान, जो सरकारों की अनदेखी के कारण नशों के गले लग रहा है या फिर परेशान होकर डिप्रैशन में जा रहा है। इनमें से भी यदि कोई किसी तरह की ‘सार्थक प्यास’ लेकर विदेश की ओर कानूनी या गैर कानूनी तरीके से जाता है तो उसको यह प्यास ही निगल रही है। उसे जंगल खा रहे हैं, बर्फों के दैत्य निगल रहे हैं, रेगिस्तान झुलसा रहा है। दर्द की इंतिहा है। 

जब ये हरफ धीरे-धीरे कागज पर उभर रहे हैं, इसी वक्त पंजाबी बच्ची गुरप्रीत का अमरीका में संस्कार हो रहा होगा। उस बच्ची का, जो अमरीका के रास्ते में रेगिस्तान में प्यासी मर गई। जिसने अपने पिता को देखा भी नहीं था। जो अपने बेहतर जीवन के लिए, माता-पिता के बेहतर जीवन के सपने लिए घर से निकली थी। जिसके माता-पिता ने पता नहीं कितनी आशाएं लगा रखी थीं। मगर उन्हें क्या पता था कि अमरीका के टस्कन शहर से लगभग पांच मील की दूरी पर रेगिस्तान में झुलस कर वह प्यासी ही मर जाएगी। उसकी मां उसकी प्यास बुझाने के लिए उस रेगिस्तान में पानी की तलाश में निकल गई, गुरप्रीत को किसी अन्य प्रवासी के पास छोड़ कर। उसके लौटने तक गुरप्रीत प्यास से तड़प कर मर चुकी थी। यह तड़प अमरीका में बसते लाखों पंजाबियों को भीतर से हिला कर रख गई। कुल विश्व की आंखें नम और चेहरों पर प्रश्र था। यह प्रश्र अमरीका जैसे देश के इमीग्रेशन कानून की सख्ती को लेकर था। 

पकड़े जाते हैं हजारों पंजाबी 
हालात की नजाकत इससे भी अधिक है। आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष लगभग 9000 भारतीय, जिनमें बड़ी संख्या पंजाबियों की है, अमरीका की विभिन्न सीमाओं से हिरासत में लिए गए। ये लोग गैर कानूनी तरीके से अमरीका में घुसना चाहते थे। इससे भी भयानक तस्वीर यह है कि मई 30 तक के आंकड़ों के अनुसार लगभग 58 प्रवासी मौत के मुंह में जा चुके हैं। इन आंकड़ों को क्या कहोगे? यहां हम अमरीका को कोसें या भारत को अथवा उन देशों को जिनके लोग अमरीका पहुंचने के लिए मौत से पंजा लड़ा लेते हैं। पंजाबियों की तो जो हालत है, वह किसी से छुपी नहीं है क्योंकि पंजाब में हताशा के अलावा अन्य कोई रास्ता नौजवान पीढ़ी को नजर ही नहीं आ रहा। 

सरकारी प्रतिनिधि अपने-अपने अहंकारों में डूबे हुए हैं कि मुझे हल्का महकमा दिया, किसी अन्य को तगड़ा, यह वजीरों की लड़ाई है। फिर होता क्या है? होता यह है कि हल्के समझे जाते महकमे में बेअदबी मामले का जो दोषी है, उसका कत्ल हो जाता है। लुधियाना जैसी जेल में बंद गैंगस्टर जेल पर कब्जा करने तक पहुंच जाते हैं। जेल में आग लगती है, तोड़-फोड़ होती है, सरेआम चल रही गोलियों के वीडियो वायरल होते हैं। गैंगस्टर फेसबुक पर ये सब लाइव दिखाते हैं। फिर ऐसे माहौल में गुरप्रीत का रेगिस्तान की आग में तड़पते हुए प्यासी मर जाना समझ आता है। 

डोनाल्ड ट्रम्प की सख्ती
‘प्रवासी प्यास’ के कारण झुलस कर मरते इन प्रवासी पंजाबियों का इधर पीछे एक अन्य घोर दुखांत है। यहां गांवों में केवल बुजुर्ग रह गए हैं, अपनी जिंदगी काटते। बुरी तरह से घोर उदासी के आलम में जीने को मजबूर, अकेलेपन के मारे। कोई इलाज करवाने वाला भी नहीं। विदेश जाने वालों के भविष्य के दुखांत की निशानदेही करता सुरजीत पातर का एक शे’र जो मंजर दिखाता है, रौंगटे खड़े कर देने वाला है। शे’र है : 
जो विदेशां च रुलदे ने रोजी लई
ओ जदों देश परतणगे आपणे कदीं
कुझ तां सेकणगे मां दे सिवे दी अगन
बाकी कबरां दे रुख हेठ जा बहणगे। 

इस मामले में यदि अमरीका वाला पक्ष लेना है तो बहुत से प्रश्र फिर पैदा हो जाएंगे। हमें पता होना चाहिए कि अमरीकी राष्ट्रपति के चुनाव के समय डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि वह गैर कानूनी प्रवास रोकेंगे। उन्होंने तो यह भी कहा था कि वह मैक्सिको सीमा पर 2000 किलोमीटर लम्बी दीवार बनाएंगे। फिर जब उन्होंने यह निर्णय लागू करने वाली बात की तो कौन नहीं जानता कि चुने गए सदनों में काफी हंगामा हुआ था। मैक्सिको सीमा पर ही एक बाप-बेटी की नदी के बहाव में आकर हुई मौत के बाद मैक्सिको के राष्ट्रपति एंड्रेस मैनुअल लोपेज ओब्राडोर ने कहा कि ऐसी घटना अफसोसनाक है। अमरीका द्वारा शरणाॢथयों को स्वीकार न करना सही नहीं है क्योंकि इसी कारण अनेक लोग नदियों में डूब कर या रेगिस्तानों में झुलस कर मर जाते हैं। मगर प्रश्रों का प्रश्र तो फिर वही आ जाता है कि आखिर लोग गैर कानूनी ढंग से अमरीका या अन्य देशों में क्यों जाना चाहते हैं? 

पुलिस के पास नशे, मंत्री अहं के घोड़े पर सवार 
इस घड़ी में पंजाब का नेतृत्व कर रही लीडरशिप, सरकार, केन्द्र सरकार के सामने बहुत से प्रश्र विकराल मुंह बाए खड़े हैं। सच जानो पंजाब मन से बंजर हो चुका है। पंजाब सामाजिक तौर पर शरण की ओर है, इसकी जमीन का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। इसके भूमिगत पानी का स्तर 400 फुट तक गिर गया है। वनों का रकबा कम है। लाखों औद्योगिक इकाइयां माइग्रेट कर रही हैं। बिजली के टैक्सों ने लोगों की कमर तोड़ दी है। नशे दिनोंदिन बढ़ते जा रहे हैं। पुलिस अधिकारी से साढ़े पांच किलो अफीम पकड़े जाना, दांतों में उंगली दबाने लगा देता है। 

ऐसे माहौल में पंजाब सरकार के रवैये पर उंगलियां उठ रही हैं। मंत्री अहं के घोड़ों पर सवार है। मुख्यमंत्री अपनी भड़ास निकाले जा रहा है। जो वास्तविक मुद्दे हैं, वे बेअदबी की आड़ में जा छुपे हैं और बेअदबी लापरवाही के कारण नाभा जेल में कत्ल हो गई। पंजाब को इस वक्त सचमुच मरहम की जरूरत है। यह सिसक रहा है। आओ सभी मिलकर हिम्मत करें और भविष्य की पीढ़ी को कोई राहत दें।-देसराज काली (हरफ-हकीकी)
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News