भारत के कुछ राजनीतिज्ञों का बाबा आदम ही निराला

punjabkesari.in Tuesday, Nov 08, 2022 - 05:15 AM (IST)

भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक ऋषि सुनक ने अपनी अद्भुत योग्यता, कार्यकुशलता, दूरदर्शिता और विश्व में फैले भयंकर रोग कोविड के दौरान वित्तमंत्री होने के नाते अपनी जिम्मेदारियों को खूबसूरत तरीके से सरअंजाम दिया था। उनकी इस भूमिका को सम्मुख रखते हुए शुक्रगुजार राष्ट्र ने उनको प्रधानमंत्री की पदवी पर सुशोभित करके ब्रिटेन के इतिहास में एक नया रिकार्ड स्थापित किया है। यह समूचे भारतीय महाद्वीप के लोगों के लिए फख्र का मुकाम है क्योंकि उनके बुजुर्ग अविभाजित भारत के प्रसिद्ध शहर गुजरांवाला के निवासी थे, जो यहां से कीनिया और बाद में इंगलैंड में जा बसे। 

गुजरांवाला हमारे इतिहास में अति महत्वपूर्ण स्थान रखता है क्योंकि यहीं पर शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह का जन्म हुआ जिन्होंंने उत्तरी भारत से आक्रमणकारियों के लिए सब रास्ते बंद कर दिए और भारत को एक सुरक्षित देश बनाने में अद्भुत सफलता हासिल की। गुजरांवाला में ही पंजाब के महान जरनैल हरि सिंह नलवा का भी जन्म हुआ जिन्होंने उत्तर, पूर्व, पश्चिम के इलाकों में अपनी बहादुरी के जौहर दिखाए। इन दोनों के नाम भारतीय इतिहास में सदा-सदा के लिए अमर रहेंगे। ऋषि सुनक के बुजुर्गों का भी यह पुराना शहर था। पिछले कुछ वर्षों से भारत के 200 से अधिक राजनीतिज्ञ 60 देशों में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, कैबिनेट मिनिस्टर और कई ऊंची पदवियों पर विराजमान हैं। 

बड़ी ईमानदारी और प्रगतिशील सोच से उन देशों के आथक विकास और सामाजिक सामंजस्य के लिए काम कर रहे हैं। विश्व के शक्तिशाली देश अमरीका में कमला देवी हैरिस उपराष्ट्रपति हैं और अब इंगलैंड में ऋषि सुनक प्रधानमंत्री बने हैं। पुर्तगाल में भी प्रधानमंत्री आधे हिंदुस्तानी और आधे पुर्तगाली हैं। अमरीका में पहली बार अश्वेत बराक ओबामा को राष्ट्रपति बनने का अवसर मिला जिन्होंने अपनी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय जिम्मेदारियों को बड़े सकारात्मक ढंग से निभाया। साऊथ अफ्रीका में नैलसन मंडेला को जिन्हें अंग्रेजों ने 26 साल जेल में रखा उस अश्वेत को भी वहां राष्ट्रपति बनने का अवसर मिला। और भी विश्व के कई देशों में धार्मिक संकीर्णता को तिलांजलि देकर देश की प्रगति के लिए काबिल लोगों को ऊंचे पदों पर सुशोभित किया जा रहा है। 

भारत के कुछ राजनीतिज्ञों का बाबा आदम ही निराला है। ऋषि सुनक को दिली मुबारकबाद देने की बजाय अपने ही देश में गड़े मुर्दे उखाडऩे लगते हैं। यह न तो उनके लिए लाभदायक है और न ही समूचे राष्ट्र के हित में। इनमें भारत में अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक का सवाल पैदा करके एक नया बखेड़ा शुरू कर दिया गया है जो केवल और केवल हास्यस्पद है। ऊंचे पदों पर केवल और केवल बड़े ही कार्यकुशल लोगों को ही लगाना चाहिए जो देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी को बड़ी लगन के साथ निभा सकें। 

अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक के शोर से भारत पहले ही 1947 में बहुत बड़ा खामियाजा भुगत चुका है। सियासतदानों का प्रथम फर्ज राष्ट्र के विकास, बाहरी सुरक्षा और लोगों को सहूलियतें देने का होना चाहिए न कि साम्प्रदायिक और जात-पात के नाम पर अपना वोट बैंक बनाने के लिए लोगों की भावना से खेल कर अपना स्वार्थ पूरा करना।

ऋषि सुनक सर्वप्रथम देश को आर्थिक संकट से सुरक्षित करना होगा क्योंकि पहली बार डॉलर के मुकाबले पौंड गिर रहा है। जी.डी.पी. कम हो रही है और महंगाई से लोग परेशान हैं और जो कमियां, कमजोरियां और खामियां पूर्व प्रधानमंत्री लिजा ट्रस ने की थीं उन्हें सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऋषि सुनक को दिली मुबारकबाद देते हुए कहा कि हम मिलकर एक नए विश्व का निर्माण करेंगे, जहां शांति, विकास, सुरक्षा और स्मृद्धि होगी। 

प्रधानमंत्री बनते ही सुनक ने सबसे पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलंस्की को टैलीफोन पर विश्वास दिलवाया कि वह उनके साथ हैं। तो यह स्वाभाविक है कि ब्रिटेन एक स्वतंत्र नीति अपनाएगा क्योंकि इस समय भिन्न-भिन्न देशों में कशमकश के कारण विश्व तीसरे युद्ध के कगार पर खड़ा हो गया है। क्योंकि रूस, यूक्रेन, साऊथ कोरिया, नॉर्थ कोरिया, चीन, ताइवान और जापान, ईरान और इसराईल और अमरीका द्वारा पाकिस्तान को भारत के सामने खड़ा करने के लिए एफ-16 जहाजों को देना इन सब घटनाओं से विश्व का वातावरण राजनीतिक और सामरिक रूप से प्रदूशित हो रहा है। रूस में सेना की कमी के कारण वह अफगानिस्तान से भी 30 हजार के करीब किराए के सैनिक ले रहा है। 

भारत और ब्रिटेन में पिछले कुछ महीनों से फ्री ट्रेड और अन्य मसलों पर बड़ी गंभीरता से बातचीत चल रही थी। पर ब्रिटेन में सरकार गिरने से यह मसला खटाई में पड़ गया। ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनने पर भारत और ब्रिटेन में समग्र एवं संतुलित मुक्त व्यापार समझौता होगा। इसको शीघ्र-अतिशीघ्र अमलीजामा पहनाने के लिए इंगलैंड के विदेशमंत्री भारत आ रहे हैं। जिस दौरान दोनों देशों में 2030 तक रोड मैप पर बातचीत होगी। इससे भारत और इंगलैंड के संबंधों में और प्रगाढ़ता आएगी। 

आप्रवासी भारतीयों के मसले भी हल होंगे। दोनों देशों में टैरिफ कम करने से व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। वीजे पर लगी पाबंदी भी आसान की जाएगी क्योंकि यूरोपियन यूनियन से निकलने के बाद ब्रिटेन को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हम एक अरब 40 करोड़ लोग उनकी सफलता के लिए आशीर्वाद देते हैं। क्योंकि भारतवंशी होते हुए उन्होंने इंगलैंड के साथ-साथ भारत को भी चार चांद लगाए हैं।-प्रो. दरबारी लाल पूर्व डिप्टी स्पीकर, पंजाब विधानसभा


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